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Multi Party Meeting: कैबिनेट बर्थ से लेकर स्पीकर के पद तक, NDA के घटक दलों ने BJP के सामने रखीं ये मांगें

लोकसभा चुनाव में 240 सीट लाने वाली भगवा पार्टी सरकार बनाने के लिए घटक दलों पर निर्भर है. इसी बात को ध्यान में रखते हुए घटक दलों ने पीएम मोदी के तीसरी बार शपथ लेने से पहले बीजेपी के सामने अपनी मांगें रखना शुरू कर दी हैं. 

NDA meeting NDA meeting
हाइलाइट्स
  • पीएम आवास पर हुई एनडीए की बैठक

  • नीतीश-नायडू बैठक में हुए शामिल

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में बुधवार को एनडीए (National Democratic Alliance) की बैठक हुई. इस बैठक में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के साथ एनडीए के घटक दल भी मौजूद रहे. बैठक में बहुमत पा चुके एनडीए के सरकार बनाने को लेकर चर्चा हुई. साथ ही, एनडीए के घटक दलों ने मोदी 3.0 के सामने अपनी कुछ मांगें भी रखीं. 

घटक दलों ने क्या मांग रखी?
पीएम मोदी की तीसरी जीत पिछली दो विजयों से इस मायने में अलग है कि बीजेपी इस बार पूर्ण बहुमत हासिल नहीं कर सकी. लोकसभा चुनाव में 240 सीट लाने वाली भगवा पार्टी सरकार बनाने के लिए घटक दलों पर निर्भर है. इसी बात को ध्यान में रखते हुए घटक दलों ने पीएम मोदी के तीसरी बार शपथ लेने से पहले बीजेपी के सामने अपनी मांगें रखना शुरू कर दी हैं. 

बुधवार की बैठक में तेलुगु देशम पार्टी (TDP) के अध्यक्ष एन चंद्रबाबू नायडू, जनता दल यूनाइटेड (JDU) के अध्यक्ष नीतीश कुमार, शिवसेना अध्यक्ष एकनाथ शिंदे और एलजेपी (राम विलास) अध्यक्ष चिराग पासवान मौजूद रहे. 

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टीडीपी ने क्या मांगा?
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, लोकसभा चुनाव में 16 सीट जीतने वाली टीडीपी के अध्यक्ष चंद्रबाबू नायडू ने लोकसभा स्पीकर की सीट मांगी है. सूत्रों के अनुसार, नायडू मोदी कैबिनेट में 7-8 सीटों के अलावा एक राज्य मंत्री की सीट पर भी नजरें जमा चुके हैं. नायडू जिन मंत्रालयों पर नजर जमाए हुए हैं, उनमें सड़क परिवहन, ग्रामीण विकास, स्वास्थ्य, आवास और शहरी मामले, कृषि, जल शक्ति, आईटी और वाणिज्य, शिक्षा और वित्त (राज्य मंत्रालय) शामिल हैं. 

नायडू ने एनडीए की बैठक में शामिल होने से पहले कहा था, "मैं अनुभवी हूं और मैंने इस देश में कई राजनीतिक बदलाव देखे हैं. हम एनडीए में हैं, मैं दिल्ली में एनडीए की बैठक में जा रहा हूं."

जनता दल (यूनाइटेड) ने क्या मांगा?
अक्सर 'किंगमेकर' कहे जाने वाले नीतीश कुमार के कड़ी सौदेबाजी करने और अगली मोदी सरकार में अधिक मंत्री पद की मांग करने की उम्मीद है. सूत्रों के मुताबिक, जेडीयू ने 3 कैबिनेट सीटों की मांग की है. इससे पहले दिन में, बिहार के मंत्री और जदयू के वरिष्ठ नेता विजय कुमार चौधरी ने कहा कि नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली पार्टी को इंडिया ब्लॉक लुभाने की कोशिश कर रहा है, लेकिन वह एनडीए के साथ बनी रहेगी. जेडीयू ने बिहार की 40 लोकसभा सीटों में से 12 सीटें जीतीं और सरकार गठन में एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में उभरी है.

लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास)
सूत्रों ने कहा कि चिराग पासवान के नेतृत्व वाली लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) अगली एनडीए सरकार में एक कैबिनेट और एक राज्य मंत्री पद के लिए दबाव डाल सकती है. एलजेपी (रामविलास) ने चुनाव में शानदार प्रदर्शन किया और बिहार में एनडीए सीट-बंटवारे के हिस्से के रूप में उसे आवंटित सभी पांच लोकसभा सीटें हासिल कर लीं.

पार्टी ने हाजीपुर, वैशाली, समस्तीपुर, खगड़िया और जमुई सीटों पर चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. सूत्रों ने बताया कि इसके अलावा, हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा (सेक्युलर) के प्रमुख जीतम राम मांझी नई सरकार में कैबिनेट पद चाहते हैं. बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री मांझी गया लोकसभा सीट के रास्ते पहली बार संसद पहुंचे हैं. 

जनता दल (सेक्युलर) 
सूत्रों ने कहा कि जद (एस) नेता और पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने संकेत दिया कि उनकी पार्टी नई एनडीए सरकार में कृषि विभाग में रुचि रखती है. कुमारस्वामी ने कहा, "हमारी ऐसी कोई मांग नहीं है. हमारी प्राथमिकता केंद्र से लंबे समय से चले आ रहे कर्नाटक से संबंधित मुद्दों का समाधान है. केंद्र में कर्नाटक को प्रतिनिधित्व (कैबिनेट बर्थ) देने के बारे में नरेंद्र मोदी फैसला करेंगे." 

बीजेपी और जेडीएस ने कर्नाटक में मिलकर लोकसभा चुनाव लड़ा था, जहां कुल 28 सीटें हैं. बीजेपी ने 17 सीटें और जेडीएस ने दो सीटें जीतीं.

शिव सेना 
सूत्रों का कहना है कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना ने प्रधानमंत्री को अपना समर्थन दिया, लेकिन मोदी 3.0 सरकार में एक कैबिनेट और दो राज्यमंत्री पद भी मांगे हैं. महाराष्ट्र में बीजेपी, शिव सेना (एकनाथ शिंदे) और एनसीपी (अजित पवार) वाली महायुति गठबंधन को 17 लोकसभा सीटें मिलीं, जबकि कांग्रेस, शिव सेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) और एनसीपी (शरदचंद्र पवार) वाली महाविकास अघाड़ी ने कुल 48 सीटों में से 30 सीटें हासिल कीं. 

शिवसेना (शिंदे) अकेले लोकसभा में सात सीटें जीतने में कामयाब रही और उसे केंद्र में भाजपा की महत्वपूर्ण सहयोगी के रूप में देखा जाता है.