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Prayagraj Ground Report: लोकसभा चुनाव को लेकर क्या है माहौल, कौन है भारी? संगम के नाविकों ने बताया

Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव 2024 में 2 फेज की वोटिंग हो चुकी है. बाकी चरणों का चुनाव प्रचार जोरशोर से चल रहा है. हर कोई जानना चाहता है कि आखिर देश में किसकी लहर चल रही है? क्या मोदी सरकार तीसरी बार सत्ता में आएगी या विपक्ष बाजी मारेगा? इन सवालों को लेकर प्रयागराज के नाविकों और पर्यटकों ने अपनी-अपनी बात रखी. चलिए आपको बताते हैं कि प्रयागराज में क्या माहौल है?

Boatmen of Sangam Boatmen of Sangam

संगम नगरी प्रयागराज केवल धर्म और आस्था का ही केंद्र नहीं है, बल्कि देश और दुनिया से आने वाली सैलानी और श्रद्धालु अपनी सोच के साथ यहां पर आते हैं और इन्हीं सोच से बनती है चुनाव की राई, जो सदियों से यहां के नाविक चुनाव के नतीजे का दावा करते चले आए हैं. माना जाता है कि पिछले तीन दशकों से यहां की नाविकों ने चुनाव की नब्ज को पकड़ा है और यहां की राय ही देश की राय की बनती हुई देखी गई है.

क्या है 2024 का माहौल-
39 साल के प्रदीप निषाद पिछले 13 सालों से नाव चला रहे हैं. ये चुनाव के माहौल को पहले ही भांप लेते हैं. 2014 और 2019 आम चुनाव में भी इन्होंने पहले भी माहौल भांप लिया था और अब 2024 चुनाव के बारे में अपनी राय बताया है. प्रदीप ने कहा कि इस बार मोदी का ही असर देखा जा रहा है, जो लोग दूर इलाकों से आते हैं, वह देश में आए बदलाव की बात कर रहे हैं और मानते हैं कि फिलहाल कोई बड़ी चुनौती सामने नजर नहीं आ रही है. वे कहते हैं कि उनके पिता भी नाव चलाते थे और चुनाव के माहौल को समझ लेते थे.

महंगाई और बेरोजगारी का असर?
गणेश निषाद का कहते हैं कि इस चुनाव में महंगाई और बेरोजगारी भी बड़ा मुद्दा है. ज्यादातर लोग उसी से परेशान नजर आते हैं और अपनी राय रखते हैं. लेकिन फिलहाल माहौल अभी तक बीजेपी के ही पक्ष में नजर आ रहा है, क्योंकि ऐसा लगता है कि सरकार की योजना जनता को लाभ दे रही है. उनकी नाव में गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, आंध्र, कर्नाटक, बिहार और बंगाल तक से पर्यटक आते रहे हैं और सब अपने चुनावी मुद्दों पर चर्चा करते हैं, जिससे पता चलता है कि माहौल कैसा बन रहा है.

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क्या हैं नाविकों के स्थानीय मुद्दे-
संगम में नाविकों की अपने स्थानीय मुद्दे भी हैं. सरकार नाविकों के लिए टोकन सिस्टम लागू करने जा रही है. इससे नाविक खुश नहीं हैं. नाविक गणेश निषाद कहते हैं कि इससे नाविकों के रोजगार पर असर पड़ेगा और वह चाह कर भी ज्यादा कमाई नहीं कर पाएंगे. एक नाविक कहते हैं कि उन्हें अभी तक सिर्फ राशन ही मिला है, इसके अलावा उनको कोई लाभ नहीं मिला है. उनका कहना है कि उन्होंने आयुष्मान कार्ड बनवाने की कोशिश की थी, लेकिन कागज पूरे नहीं हो पाए थे. हालांकिन उनका ये भी कहना है कि सुरक्षा, शासन बेहतर हुआ है. गुंडागर्दी खत्म हुई है, जिसको लेकर लोगों में माहौल सकारात्मक है.

नाविक संघ के महामंत्री मगन निषाद कहते हैं कि संगम के नाविक पिछले कई दशकों से चुनाव का माहौल बताते रहे हैं. लेकिन इस बार महंगाई का असर देखने को मिल रहा है और इसका असर चुनाव के नतीजे पर भी पड़ेगा. उनका ये कहना है कि सरकार के पक्ष में माहौल नहीं है,  ये कहना ठीक नहीं होगा, क्योंकि लोगों की राय और माहौल अभी भी एक तरफ ही नजर आ रहा है. वहीं इस बार विपक्ष गठबंधन भी कुछ बड़े मुद्दों के साथ चुनाव में नजर आ रहा है, जिसका असर भी नतीजों में दिखाई देगा.

पर्यटकों की क्या है राय-
प्रयागराज लोकसभा सीट के नाविकों की अपनी राय है तो वहीं दूसरी तरफ देशभर से आए श्रद्धालु भी गंगा की लहरों पर नाव में सवारी करते हुए चुनाव की चर्चा करते नजर आते हैं. गुजरात के सूरत से आए छगनलाल कहते हैं कि पूरा माहौल बीजेपी के पक्ष में है और उनके क्षेत्र में तो सांसद की निष्पक्ष जीत हुई है. पीएम मोदी के काम को लेकर जनता में संतुष्टि है और अभी भी इसका असर चुनाव में देखने को मिलेगा. ललिता बेन कहती हैं कि मोदी सरकार ने महिलाओं को लाभ देने वाली कई योजनाएं शुरू की है. इसका सीधा लाभ उनके खातों में मिल रहा है. उज्ज्वला, पीएम आवास और शौचालय जैसी योजना कई गरीबों को मिली है, इसीलिए बहुत ज्यादा नाराजगी फिलहाल नहीं दिखाई देती है.

श्रीगंगानगर से आए सुरेंद्र शर्मा कहते हैं कि हालांकि पूरे तौर पर अभी चुनाव में समय है, लेकिन अभी तक की लहर से लगता है कि बदलाव की स्थिति ज्यादा नहीं होगी. यह जरूर है कि महंगाई जनता को परेशान कर रही है, लेकिन उन्हें उम्मीद है कि नई सरकार इस मुद्दे पर काम जरुर करेगी.  उनकी पत्नी सुनीता का कहना है कि महिला सुरक्षा और स्वास्थ्य ज्यादा बेहतर हुई है और इसी पर उनका वोट होगा.

संगम की लहर की नाव पर श्रद्धालुओं का पूजन करा रहे पंडित शंभू नाथ कहते हैं कि राम मंदिर को लेकर के भले ही माहौल बन रहा है, लेकिन महंगाई, बेरोजगारी सबसे बड़े मुद्दे हैं और इसी के आधार पर इस बार के चुनाव में बदलाव की भी उम्मीद की जा रही है. हालांकि प्रयागराज की स्थिति तो बेहतर हुई है, लेकिन अभी भी बहुत से धार्मिक स्थलों की स्थिति में बदलाव नहीं आया है और स्थानीय लोगों को रोजगार भी नहीं मिल सका है.

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