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Rajya Sabha Election में Samajwadi Party के 7 MLA की क्रॉस वोटिंग, Raebareli और Amethi में मुसीबत में फंसी Congress, जानें BJP की रणनीति

उत्तर प्रदेश में राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग ने कांग्रेस के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी है. इस चुनाव में रायबरेली और अमेठी के कई समाजवादी नेताओं ने पार्टी लाइन से अलग होकर वोट किया. इसमें राकेश प्रताप सिंह और मनोज पांडेय शामिल हैं. इसके अलावा गायत्री प्रजापति की पत्नी महाराजी देवी अनुपस्थित रहीं. बीजेपी ने अब तक अमेठी और रायबरेली की कई दिग्गज विरोधी नेताओं को अपने पाले में किया है. अब गांधी परिवार के लिए लोकसभा की ये दोनों सीटें चुनौती बन गई हैं.

Akhilesh Yadav, Rahul Gandhi and Priyanka Gandhi Akhilesh Yadav, Rahul Gandhi and Priyanka Gandhi

उत्तर प्रदेश में राज्यसभा चुनाव (Rajya Sabha Election) में क्रॉस वोटिंग ने कई सियासी दलों की नींद उड़ा दी है. इस चुनाव में समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के 7 विधायकों की क्रॉस वोटिंग (Cross Voting) और एक विधायक की अनुपस्थिति ने यूपी के कई सियासी समीकरण बिगाड़ दिए हैं. समाजवादी पार्टी के नेतृत्व को जबरदस्त झटका तो लगा ही है, लेकिन अगर किसी एक पार्टी को शॉक लगा है तो वह है कांग्रेस (Congress). आप ये सुनकर जरूर सोच में पड़ गए होंगे कि समाजवादी पार्टी के विधायकों की क्रॉस वोटिंग से कांग्रेस को कैसे झटका लगा है? चलिए आपको बताते हैं.

क्रॉस वोटिंग करने वाले समाजवादी पार्टी के विधायकों में रायबरेली और अमेठी के एक-एक विधायक  शामिल हैं. जबकि अमेठी की एक विधायक चुनाव में वोट नहीं डाला. सवाल उठता है कि इन विधायकों के समाजवादी पार्टी से अलग रूख अख्तियार करने से लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को रायबरेली (Raebareli) और अमेठी (Amethi) में जीत कैसे मिलेगी? सवाल उठता है कि क्या गांधी परिवार अपनी इन दोनों सीटों को बचा पाएगी.

राकेश सिंह, मनोज पांडेय ने छोड़ा साथ-
राकेश प्रताप सिंह अमेठी के गौरीगंज से विधायक हैं. राकेश सिंह समाजवादी पार्टी के मजबूत और दमदार नेता माने जाते रहे हैं. जबकि मनोज पांडेय ऊंचाहार के मजबूत लीडर है और समाजवादी पार्टी के मुख्य सचेतक थे. उनकी गिनती इलाके के बड़े ब्राह्मण चेहरे के तौर पर होती है. अमेठी की विधायक महाराजी देवी कुम्हार बिरादरी से आती हैं, जो गायत्री प्रजापति की पत्नी हैं. ओबीसी समुदाय में उनकी अच्छी पकड़ है. ऐसे में इन तीनों नेताओं की समाजवादी पार्टी से बेरुखी और बीजेपी के साथ खड़े हो जाने से कांग्रेस के लिए अपने पुराने गढ़ को बचाने की चुनौती खड़ी हो गई है.

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ब्राह्मण, ठाकुर नेताओं का मोहभंग-
दरअसल रायबरेली में कांग्रेस पार्टी ने ठाकुर और ब्राह्मण दोनों बिरादरियों को तरीके से अपने साथ जोड़ रखा था. लेकिन रायबरेली में अदिति सिंह और दिनेश प्रताप सिंह बीजेपी में जा चुके हैं. साल 2017 से ही बीजेपी ने यहां अपना ऑपरेशन शुरू कर दिया था, पहले रायबरेली के सभी ठाकुर चेहरों को तोड़कर बीजेपी ने अपने साथ मिला लिया और अब मनोज पांडेय जैसे दमदार ब्राह्मण चेहरे को भी अपने पक्ष में कर लिया है. मनोज पांडेय सिर्फ समाजवादी पार्टी के बड़े चेहरे नहीं थे, बल्कि उन्होंने सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) के चुनाव में भी ब्राह्मणों को साथ रखने में बड़ी भूमिका अदा की थी. यही वजह है कि उनके गृह प्रवेश में सोनिया गांधी खुद ऊंचाहार पहुंची थीं.

मौर्य और प्रजापति को भी बीजेपी ने साधा-
इस राज्यसभा चुनाव ने कांग्रेस को रायबरेली और अमेठी में अंदर से हिला कर रख दिया है. सिर्फ ठाकुर और ब्राह्मण ही नहीं, बल्कि मौर्य और कुम्हार जैसे बिरादरी के नेता भी बीजेपी के साथ खड़े दिखाई दिए. ऊंचाहार से चुनाव लड़ने वाले बीजेपी नेता अमरपाल मौर्य को पार्टी ने राज्यसभा भेजा तो गायत्री प्रजापति को साधकर उनकी पत्नी महाराजी देवी को भी बीजेपी के पाले में लगभग ला दिया है.

कांग्रेस के सामने बड़ी चुनौती-
इन सभी नेताओं के बीजेपी के साथ खड़े हो जाने से कांग्रेस के लिए मुसीबत बढ़ गई है. कांग्रेस पहले से ही यहां धीरे-धीरे कमजोर हो चुकी थी. राहुल गांधी अमेठी से पिछला चुनाव हार चुके हैं. सोनिया गांधी भी रायबरेली छोड़कर राज्यसभा आ चुकी है. ऐसे में इन सीटों पर कांग्रेस के लिए कोई भी मजबूत कंधा दिखाई नहीं दे रहा है. राजा संजय सिंह सरीखे नेता भी बीजेपी में जा चुके हैं.

कांग्रेस पार्टी के लिए समाजवादी पार्टी के दमदार और रसूखदार विधायक ही बड़ी बैसाखी हुआ करते थे, जो राहुल गांधी या सोनिया गांधी की जीत में बड़ी भूमिका निभाते थे, क्योंकि समाजवादी पार्टी इन दोनों सीटों पर कांग्रेस पार्टी को बिना शर्त समर्थन देती रही है. अब जबकि एक-एक करके कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के सभी मजबूत लीडर बीजेपी के साथ खड़े हो चुके हैं तो कांग्रेस पार्टी के सामने अपने गढ़ की दोनों सीटों को जीतने की एक बड़ी चुनौती होगी, क्योंकि इन सीटों को जीतने के लिए कोई भी मजबूत क्षत्रप दिखाई नहीं दे रहा है.

अमेठी-रायबरेली से फिर मैदान होगा गांधी परिवार?
इस बार कांग्रेस पार्टी ने अमेठी और रायबरेली को एक बार फिर गांधी परिवार की सीट मानते हुए परिवार से ही किसी के लड़ने का ऐलान किया है. क्या राहुल और प्रियंका अमेठी और रायबरेली से लड़ेंगे? इस पर एक सवालिया निशान लगा हुआ है. लेकिन अगर परिवार यहां चुनाव लड़ने आता है तो कांग्रेस और समाजवादी पार्टी का वह कौन नेता होगा? जो यहां गांधी परिवार के लिए दमदारी से खड़ा होगा. बीजेपी ने करीब सभी मजबूत कंधों को अपने साथ जोड़ लिया है. ऐसे में यह चुनाव समाजवादी पार्टी के लिए जितना बड़ा झटका है, उससे कहीं ज्यादा गांधी परिवार के सियासी वजूद पर बन आई है. माना जा रहा है कांग्रेस की जमीन को खिसकाने के लिए बीजेपी ने यह पूरी व्यूह रचना रच रखी है.

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