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Delhi Congress Chief Arvinder Singh Lovely के इस्तीफे के ये हैं तीन बड़े कारण, क्या कांग्रेस आलाकमान लेगी सनद?

अरविंदर सिंह लवली ने रविवार को कांग्रेस की राज्य इकाई के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया. उन्होंने इस्तीफा देते हुए कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को एक पत्र लिखा, जिसमें इस फैसले के पीछे के कारण बताए गए.

Delhi Congress chief Arvinder Lovely resigned today. Delhi Congress chief Arvinder Lovely resigned today.
हाइलाइट्स
  • लवली ने रविवार सुबह दिया इस्तीफा

  • खरगे को लिखे पत्र में बताए तीन प्रमुुख कारण

लोकसभा चुनाव (Loksabha Elections 2024) के तीसरे चरण के मतदान से पहले कांग्रेस (INC) को एक बड़ा झटका लगा है. दिल्ली के पूर्व शिक्षा मंत्री और दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष अरविंदर सिंह लवली ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने रविवार को पद त्यागने की बात कही. कांग्रेस के साथ 1998 में अपना राजनीतिक करियर शुरू करने वाले लवली ने इस बड़े फैसले के पीछे तीन बड़े कारण बताए.

नहीं चाहते थे आप के साथ 'हाथ' मिलाना
अरविंदर सिंह लवली ने इस्तीफा देते हुए कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे (Mallikarjun Kharge) को एक पत्र लिखा. उन्होंने इस पत्र में इस्तीफे का सबसे पहला कारण यह बताया कि वह आम आदमी पार्टी (AAP) के साथ कांग्रेस का गठबंधन नहीं चाहते थे. उन्होंने कहा  कि आम आदमी पार्टी का गठन ही कांग्रेस के खिलाफ झूठे और बदनीयत इलजामों के आधार पर हुआ था. फिर भी कांग्रेस ने दिल्ली में 'आप' के साथ गठबंधन किया. 
लवली ने कहा कि दिल्ली कांग्रेस के कई नेता आप के साथ गठबंधन का विरोध कर रहे थे. दिल्ली सरकार के कई नेता इस समय भ्रष्टाचार के आरोप में जेल में बंद हैं, फिर भी कांग्रेस ने अरविंद केजरीवाल की पार्टी के साथ गठबंधन करने का फैसला किया. 
उन्होंने पत्र में लिखा, "दिल्ली कांग्रेस यूनिट आप के साथ गठबंधन के खिलाफ था. क्योंकि मैं दिल्ली कांग्रेस कार्यकर्ताओं के हितों की रक्षा नहीं कर सकता, इसलिए मुझे पद पर बने रहने का कोई कारण नजर नहीं आता."

अजनबियों को दिया गया टिकट
लवली ने इस्तीफे का दूसरा कारण बताते हुए कहा कि कांग्रेस ने दिल्ली में ऐसे लोगों को लोकसभा का टिकट दिया जो पार्टी की राज्य इकाई के लिए 'अजनबी' थे. अजनबी से यहां मुराद उदित राज और कन्हैया कुमार से थी. कांग्रेस ने उदित राज को नॉर्थ-वेस्ट दिल्ली जबकि कन्हैया को नॉर्थ-ईस्ट दिल्ली से टिकट दिया है.
लवली ने कहा कि इन दोनों उम्मीदवारों को टिकट मिलने से दिल्ली कांग्रेस कार्यकर्ता खासे नाराज हैं. उन्होंने यह भी कहा कि कन्हैया कुमार मीडिया के सामने कई बयानों में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की तारीफ कर चुके हैं, जो पार्टी लाइन के खिलाफ है.

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आगामी लोकसभा चुनावों में साथ लड़ने के लिए कांग्रेस और आप दिल्ली के लिए 4:3 सीट-बंटवारे के फॉर्मूले पर सहमत हुए थे. केजरीवाल की पार्टी दिल्ली में पश्चिमी दिल्ली, दक्षिणी दिल्ली, पूर्वी दिल्ली और नई दिल्ली सहित चार सीटों पर. उत्तर पूर्वी दिल्ली, उत्तर पश्चिम दिल्ली और चांदनी चौक सहित बाकी तीन सीटें कांग्रेस के पास हैं.
सीट-बंटवारा अब तक इंडिया अलायंस (INDIA Alliance) का बहुत बड़ा सिरदर्द रहा है. हालिया विधानसभा चुनावों में हिन्दी हार्टलैंड में कांग्रेस को मिली निराशा के कारण लोकसभा चुनावों में स्थानीय पार्टियां ज्यादा सीटें मांगने की हिम्मत कर चुकी हैं. 

बाबरिया की दखलअंदाजी से थे नाखुश
कांग्रेस प्रमुख खरगे को लिखे अपने इस्तीफे में लवली ने पार्टी के दिल्ली प्रभारी महासचिव दीपक बाबरिया के तरीकों की भी आलोचना की. उन्होंने कहा कि वह बाबरिया के हस्तक्षेप की वजह से खुद को 'विकलांग' महसूस करते हैं और दिल्ली कांग्रेस इकाई के अध्यक्ष के रूप में बने रहने में असमर्थ हैं. 
लवली ने यह भी आरोप लगाया कि दिल्ली कांग्रेस प्रमुख के रूप में उनके कई फैसलों को बाबरिया आगे नहीं बढ़ने देते थे. उन्होंने कहा, "डीपीसीसी अध्यक्ष बनने के बाद से एआईसीसी महासचिव (दिल्ली प्रभारी) ने मुझे डीपीसीसी में कोई भी वरिष्ठ नियुक्ति करने नहीं दी है."

उन्होंने ऐसे भी कई उदाहरण दिए जब पार्टी नेताओं ने बाबरिया के तरीकों पर आपत्ति जताई. लवली ने दावा किया कि उनके ऊपर बाबरिया के तौर-तरीकों पर आपत्ति जताने वाले नेताओं को निष्कासित करने का दबाव था. वह बतौर अध्यक्ष अपनी शक्तियों का इस्तेमाल नहीं कर पा रहे थे और यह उनके इस्तीफे का सबसे बड़ा कारण बना. 
लवली को पिछले साल अगस्त में दिल्ली कांग्रेस का अध्यक्ष चुना गया था. लवली के इस्तीफे की खबर आते ही कई कांग्रेस नेता उनके आवास पर पहुंचे. पूर्व सांसद संदीप दीक्षित ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि लवली को "दिल्ली में पार्टी की पुरानी प्रतिष्ठा वापस लाने के लिए संघर्ष करने" का "व्यक्तिगत दर्द" है.

उन्होंने कहा, "इसके बावजूद, उन्होंने पिछले 6-8 महीनों में कड़ी मेहनत की और पार्टी बनाई... सभी को लगा कि कांग्रेस धीरे-धीरे जाग रही है और जब हमें 2 या 3 सीटें मिलीं, तो ऐसा लगा कि अगर हम पार्टी के लोगों की सहमति से सीटें देते हैं तो भविष्य में काम बेहतर होगा."