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Tikamgarh Lok Sabha Seat: Congress के सिर सजेगा ताज या BJP लगातार चौथी बार मारेगी बाजी, जानिए टीकमगढ़ लोकसभा सीट का इतिहास और समीकरण

Tikamgarh Lok Sabha Seat: टीकमगढ़ लोकसभा सीट से लगातार 3 बार से केंद्रीय राज्य मंत्री वीरेंद्र खटीक चुनाव जीतते आ रहे हैं. एक बार फिर वे बीजेपी के टिकट पर मैदान में हैं और उनके सामने हैं कांग्रेस के युवा नेता पंकज अहिरवार.

Tikamgarh Lok Sabha Seat Tikamgarh Lok Sabha Seat

मध्य प्रदेश की टीकमगढ़ लोकसभा सीट प्रदेश की चर्चित सीटों में से एक है. 2009 के परिसीमन के बाद से यहां तीन बार चुनाव हुए और तीनों बार बीजेपी ने ही जीत दर्ज की है. 2024 के चुनाव में भी जीत दर्ज कर पार्टी चौका लगाना चाहेगी तो वहीं कांग्रेस खाता खोलना चाहेगी. हालांकि परिसीमन से पहले कांग्रेस भी यहां से 3 बार जीत चुकी है. बता दें कि इस सीट पर दूसरे चरण में 26 अप्रैल को वोट डाले जाएंगे. 

2024 चुनाव के लिए किसे मिला टिकट

बीजेपी- वीरेंद्र खटीक

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भारतीय जनता पार्टी ने अपने पुराने सिपाही वीरेंद्र खटीक पर एक बार फिर भरोसा जताया है. खटीक यहां से लगातार 3 बार (2009, 2014 और 2019) जीतने में कामयाब रहे. वे फिलहाल केंद्रीय राज्य मंत्री सामाजिक न्याय और अधिकारिता हैं. राजनीति में खटीक की कद का अंदाजा आप ऐसे लगा सकते हैं कि वे सागर लोकसभा सीट से भी लगातार 4 बार सांसदी का चुनाव जीत चुके हैं. यानी 1996 में जब वे पहली बार सागर सीट से सांसद बने उसके बाद फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा. प्रतिद्वंदी कोई भी हो खटीक लगातार कमल खिलाने में कामयाब रहे और चुनाव दर चुनाव जीत का सेहरा उनके सिर बंधता रहा. बीते 28 साल से वे अपराजेय हैं. 

कांग्रेस-  पंकज अहिरवार 

वीरेंद्र खटीक को चुनौती देने के लिए कांग्रेस ने युवा नेता पंकज अहिरवार को मैदान में उतारा है. पंकज एससी विभाग (कांग्रेस) के प्रदेश उपाध्यक्ष हैं. पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़ रहे पंकज 2004 से ही कांग्रेस से लगातार जुड़े हुए हैं. 2023 में उन्होंने जतारा विधानसभा सीट से टिकट मांगा जरूर था लेकिन पार्टी ने उनकी मांग को दरकिनार करते हुए किरण अहिरवार पर भरोसा जताया था. इसके बाद पंकज नाराज हो गए थे. अब लोकसभा का टिकट देकर कांग्रेस ने उन्हें बड़ा मौका दिया है.

2009,2014 और 2019 का जनादेश

2009 हो, 2014 हो या हो 2019 बीजेपी यहां से लगातार जीतती आई है. 
2009 के चुनाव में कांग्रेस के अहिरवार वृंदावन को बीजेपी के वीरेंद्र खटीक ने शिकस्त दी थी. वीरेंद्र खटीक को इस चुनाव में 2,00,109 वोट मिले थे. तो वहीं अहिरवार वृंदावन को 1,58,247 वोट ही प्राप्त हुए थे. 
2014 में मोदी लहर का फायदा इस सीट पर देखने को मिला. खटीक को जहां 2009 के चुनाव में 38.1    प्रतिशत वोट मिले थे तो 2014 के चुनाव में 55.20 प्रतिशत वोट मिले. कुल वोटों की बात करें तो वीरेंद्र खटीक को 4,22,979 वोट तो कांग्रेस के डॉ कमलेश वर्मा को 2,14,248 वोट मिले.
2019 के चुनाव में बैक टू बैक तीसरी बार वीरेंद्र खटीक ने जीत दर्ज की. इस चुनाव में वोट का प्रतिशत 2014 के चुनाव से और बढ़ गया और 672,248    वोट मिले. जो कि कुल वोटों को 61.30 प्रतिशत था.

अब तक चार बार हो चुका है परिसीमन 

वैसे तो टीकमगढ़ लोकसभा सीट 1952 में ही अस्तित्व में आ गया था लेकिन उसके बाद 4 बार परिसीमन हुआ. बता दें कि वर्तमान स्वरूप 2009 से अस्तित्व में आया. और तब से इस सीट पर लगातार बीजेपी ही जीतती आ रही है. बात अगर करें पहले लोकसभा चुनाव 1952 की तो कांग्रेस के राम सहाय को यहां से जीत मिली थी. उसके बाद 1962 में प्रजा सोशलिस्ट पार्टी और फिर 1967 और 1971 में  कांग्रेस ने ही यहां से बाजी मारी.  1977 से लेकर 2008 तक टीकमगढ़ खजुराहो लोकसभा का हिस्सा रही. 

जातिगत समीकरण

2011 की जनगणना के अनुसार टीकमगढ़ की कुल जनसंख्या 1,445,166 है.  इनमें 760,355 पुरुष तो 684,811 महिला है. हालांकि 2019 के आधार डेटा को देखें तो कुल जनसंख्या 1,616,201 है.ये सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है. बता दें कि  इस सीट पर सबसे ज्यादा 31.4 प्रतिशत एससी-एसटी और फिर 28.9 प्रतिशत ओबीसी है. सारे समीकरण को देखते हुए माना जा रहा है कि वीरेंद्र खटीक चुनाव में भारी पड़ेंगे. हालांकि पंकज अहिरवार की युवाओं पर अच्छी पकड़ है और वे चुनौती देने के मूड में चुनाव लड़ रहे हैं.