इस बार उत्तर प्रदेश के चुनाव में कई नैरेटिव बनते बिगड़ते दिखाई दिए. साल 2019 में जिन जातियों ने बीजेपी को झोली भर के वोट दिया था, उन जातियों में बिखराव की कई कहानियां सुनाई दी. चुनाव के दौरान फील्ड में घूमने वाले पत्रकारों और सर्वे करने वाले लोगों ने माना कि इस बार 2019 जैसे हालात नहीं हैं, जब मोदी- मोदी के शोर से पूरा चुनावी कैंपेन भरा होता था, इस बार ना तो मोदी-मोदी का शोर सुनाई दे रहा था. ना ही राम मंदिर का कोई प्रत्यक्ष दिखने वाला करंट था. लेकिन एक्सिस माई इंडिया पोल के आंकड़ों ने यह बताया कि मोदी-मोदी का शोर और राम मंदिर मुद्दा दोनों अंडर करंट की तरह काम कर गए. हां, इतना जरूर हुआ है कि बीजेपी और NDA को समर्थन देने वाली ओबीसी और दलित जातियों में एक बड़ा बिखराव देखने को मिला है.
क्या कहता है Exit Poll-
सवाल यह उठता है कि जब ओबीसी जातियों में बीजेपी को लेकर बिखराव था. जब कुर्मी, मौर्य और लोध जैसी ओबीसी बिरादरियों के एक तबके ने इस बार बीजेपी के खिलाफ समाजवादी पार्टी-कांग्रेस गठबंधन को वोट दिया. गैर जाटव दलित वोटों का एक बड़ा हिस्सा भी इंडिया एलायंस की तरफ गया. फिर भी NDA की सीटें क्यों और कैसे घटने की बजाए बढ़ रही हैं? ठाकुरों की नाराजगी का वोट कहाँ गया?
सबसे पहले Axis My India के जातिवार आंकड़ों को समझते हैं, जिसके जरिए यह साफ हो रहा है कि इस बार बीजेपी के वोट बैंक में इंडिया गठबंधन ने अच्छी खासी सेंध लगाई है.
आंकड़ों को समझने के पहले एक बात गौर करने वाली है, पिछली बार यूपी में समाजवादी पार्टी और बीएसपी का गठबंधन था. इंडिया एलाइंस जैसा कुछ नहीं था. लेकिन इस बार बीएसपी साथ नहीं है, कांग्रेस और समाजवादी पार्टी साथ है और जब वोटों के बिखराव की बात होगी, तो पिछले बार बीएसपी को मिले वोट बड़ी तादाद में खिसककर समाजवादी पार्टी और कांग्रेस की तरफ जाते दिखाई देंगे.
गैर-जाटव वोटों में NDA को नुकसान-
एक्सिस माई इंडिया को मिले जातिवार आंकड़े में एनडीए को सबसे ज्यादा नुकसान गैर जाटव दलितों में हुआ है. साल 2019 में एनडीए को गैर-जाटव दलित वोट 60 फीसदी मिले थे, जो साल 2024 में 9 फीसदी घटकर 51 फीसदी मिलते दिख रहे हैं. जाटव वोट में एनडीए को ज्यादा नुकसान नहीं हुआ है. सिर्फ 1 फीसदी का नुकसान है. साल 2019 में एनडीए 32 फीसदी जाटव वोट मिले थे, जो 2019 में 31 फीसदी मिलते दिख रहे हैं.
यादव वोट का क्या रहा हाल-
यादव वोटरों में भी बड़ी गिरावट आई है. इस बार साल 2019 में NDA को मिलने वाले यादव वोटों में 6 फीसदी गिरावट आई है. साल 2019 में 24 फीसदी यादव वोट एनडीए को मिला था, जो इस बार घटकर 18 फीसदी रह गया है. यही नहीं, मुस्लिम वोटों में भी एनडीए को इस बार 2019 के मुकाबले आधे कम मिले हैं. कहा जा रहा है कि इस बार मुसलमान के 6 फीसदी वोट और कम हो गए हैं. साल 2019 में एनडीए को 12 फीसदी मुस्लिम वोट मिले थे, जो इस बार घटकर 6 फीसदी हो गए.
इंडिया एलायंस को फायदा-
अब जरा इंडिया गठबंधन को मिलने वाले वोटों का आंकड़ा देखिए. India My Axis के मुताबिक इस बार इंडिया एलाइंस को जाटवों के 7 फीसदी वोट ज्यादा मिले. साल 2019 में जो 25 फीसदी मिला था, वह इस बार 32 फीसदी हो गया है. गैर जाटव दलितों के 14 फीसदी वोट इस बार इंडिया एलाइंस को साल 2019 की तुलना में ज्यादा मिले. साल 2019 में गैर जाटव दलित INDIA Alliance को 19 फीसदी मिले थे, जो इस बार 33 फीसदी मिले हैं. यादवों के 35 फीसदी वोट इस बार इंडिया गठबंधन को ज्यादा मिले. इंडिया माई एक्सिस के मुताबिक इस बार बढ़कर वोट बढ़कर 79 फीसदी पहुंच गया है. मुसलमान के वोट भी इस बार इंडिया एलाइंस को 38 फीसदी ज्यादा मिले, जो कुल मुस्लिम वोट का 87 फीसदी मिला.
बीएसपी को नुकसान-
सबसे ज्यादा नुकसान बीएसपी को हुआ है, जिसे पिछली बार मुसलमान के मिले 36 फीसदी वोटों में से 34 फीसदी वोट खिसक गए यानी सिर्फ 2 फीसदी मुस्लिम वोट ही बीएसपी को मिले. यादवों के 29 फीसदी वोटों में से 28 फीसदी वोट साल 2024 में बीएसपी से खिसक गए और 2024 में सिर्फ एक फीसदी यादव वोट मिलते दिख रहे हैं.
गैर-जाटव दलितों में भी बीएसपी को नुकसान हुआ है. साल 2019 के मुकाबला साल 2024 में 4 फीसदी वोट कम मिले हैं. साल 2019 में 17 फीसदी गैर-जाटव वोट बीएसपी को मिले हैं, जो इस बार 13 फीसदी पर आ गए हैं.
इस बार जाटव वोटों में भी बीएसपी को 8 फीसदी का नुकसान हुआ है. बीएसपी को 43 फीसदी जाटव वोट साल 2019 में मिले थे, साल 2024 में यह घटकर 35 फीसदी पर आ गया है. पिछली बार समाजवादी पार्टी और बीएसपी का गठबंधन था और दोनों लगभग आधी-आधी सीटों पर लड़ रहे थे.
गैर-यादव ओबीसी का आंकड़े-
पिछली बार एनडीए को कुर्मी बिरादरी के 67 फीसदी वोट मिले थे, जो इस बार 5 फीसदी घट गए हैं और 62 फीसदी पर आ गए हैं. इस तरह लोध किसान बिरादरी ने पिछली बार 78 फीसदी वोट एनडीए को दिया था, जिसमें 5 फीसदी का नुकसान हुआ है और इस बार 73 प्रतिशत लोध जाति ने एनडीए को वोट किया है. यहां तक की जयंत चौधरी का जादू भी नहीं चला और पिछली बार एनडीए को 78 फीसदी मिलने वाले जाट वोटों में भी सेंध लगी है और 7 फीसदी वोट एनडीए को जाटों के कम मिले हैं. साल 2024 में जाट वोट 78% से घटकर 71 फीसदी पर आ गया है. कुल मिलाकर पूरे गैर-यादव ओबीसी में बीजेपी को 4 फीसदी का नुकसान है. साल 2019 में 76 फीसदी गैर-यादव ओबीसी बीजेपी को दिया था, उसने इस बार बीजेपी को 72 फीसदी वोट दिया है.
गैर यादव ओबीसी का बड़ा फायदा इस बार इंडिया एलाइंस को मिलता दिख रहा है जिसमें 2019 में 16 फ़ीसदी कुर्मी वोट इंडिया एलाइंस को मिला था जो इस बार 29 फीसदी भी हो गया लोध किसानों के 12% वोट पिछली बार सपा और कांग्रेस को मिले थे जो इस बार 6 फीसदी बढ़कर 18 फीसदी हो गए.
जाट ओबीसी में इस बार कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के 12 फीसदी वोट बढ़े हैं, जो 2019 में 10 फीसदी वोट समाजवादी पार्टी और आरएलडी के गठबंधन में मिले थे. इस बार एसपी-कांग्रेस के 22 फीसदी हो गए.
कुल गैर-यादव ओबीसी के वोट भी इस बार 6 फीसदी समाजवादी पार्टी-कांग्रेस या फिर इंडिया गठबंधन को ज्यादा मिले हैं. साल 2019 में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस का गैर-यादव ओबीसी का आंकड़ा 13 फीसदी था, जो इस बार 19 फीसदी हो गया है. जबकि एनडीए को 76 फीसदी ओबीसी का समर्थन मिला था, वह इस बार घटकर 72 फीसदी पर आ गया है.
राजपूत वोटों का नुकसान-
एक्सिस माई इंडिया के मुताबिक राजपूतों के इतने विरोध के बावजूद सिर्फ 2 फीसदी राजपूत वोटरों ने एनडीए के खिलाफ वोट किया और यही दो प्रतिशत वोट इंडिया गठबंधन को राजपूतों ने दिया है. साल 2019 में राजपूतों ने 77 फीसदी वोट एनडीए को दिया था, जो इस बार घटकर 75 फीसदी पर आ गया है. समाजवादी पार्टी और कांग्रेस को मिलाकर 2019 में 13 फीसदी राजपूत वोट मिले थे, जो इस बार 15 फीसदी पहुंच गए हैं. लेकिन राजपूतों के विरोध का फायदा बीजेपी की तरफ दिखा. इस बार एक फीसदी ब्राह्मणों ने बीजेपी को ज्यादा वोट दिया है. साल 2019 में 75 फीसदी ब्राह्मणों ने बीजेपी को वोट किया था, इस बार उनका वोट प्रतिशत 76फीसदी पहुंच रहा है.
एनडीए को वैश्य का कितना समर्थन-
साल 2014 में वैश्य और बनिया वोट एनडीए को साल 2019 चुनाव जैसे ही मिले हैं. साल 2019 आम चुनाव में एनडीए को 78 फीसदी बनिया वोट मिला था, इस बार भी 78 फीसदी ही है. हालांकि कुल स्वर्ण वोटो में एनडीए को दो फीसदी का नुकसान साल 2024 में होता दिख रहा है और यही दो फीसदी का फायदा इंडिया गठबंधन को मिल रहा है.
घट रहा वोट, फिर क्यों बढ़ रही सीटें-
अब सवाल यह उठता है कि अगर एनडीए को हर वर्ग/जाति के वोटों का नुकसान है तो फिर वह ज्यादा सीट कैसे जीत रही है? आपको बताएं कि Axis My India ने इस बार एनडीए के लिए 67 से 72 सीटें मिलने का दावा किया है जो साल 2019 में 64 थी.
साल 2019 में समाजवादी पार्टी ने 37, बीएसपी ने 38 और आरएलडी 2 सीटों पर चुनाव लड़ा था. तब दोनों के वोट बड़ी तादात में एक दूसरे को ट्रांसफर हुए थे, जिसमें से यादव वोट भी बीएसपी को ट्रांसफर हुआ था और दलित जाटव वोट समाजवादी पार्टी को ट्रांसफर हुआ था. लेकिन इस बार बीएसपी इस गठबंधन से अलग रही है. ऐसे में यादव वोट पूरी तरीके से समाजवादी पार्टी में वापस चला गया है. लेकिन जाटव और गैर जाटव दलित वोट बीएसपी की तरफ नहीं लौटा और यह वोट इंडिया एलायंस की तरफ बड़ी तादाद में मूव कर गया है. हालांकि कुछ हिस्सा एनडीए को भी गया है. ऐसे में यह आंकड़े बताते हैं कि समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने खूब वोट पाए, लेकिन वह बीजेपी का वोट प्रतिशत कम नहीं कर पाए. इनको मिलने वाले वोट अधिकांश बीएसपी के कोटे से आए हैं और बीजेपी अपने साल 2019 के वोट के आंकड़े के आसपास स्थिर बनी रही है. ऐसे में एक्सिस माई इंडिया के सर्वे के मुताबिक अभी भी 10 फीसदी का फासला दोनों गठबंधन के बीच बना हुआ है और यही बीजेपी के बढ़त की वजह है.
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