समाजवादी पार्टी ने मेरठ लोकसभा सीट से एक बार फिर उम्मीदवार बदल दिया है. जानकारी के मुताबिक बुधवार की रात को अखिलेश यादव ने मेरठ के दलित चेहरे योगेश वर्मा को बुलाकर उनकी पत्नी को टिकट दे दिया और आज दोपहर यानी 3 अप्रैल को मेरठ आकर नामांकन करने को कहा है. इससे पहले अतुल प्रधान को समाजवादी पार्टी ने उम्मीदवार बनाया था. उनको टिकट कटने की जानकारी देने, समझाने और योगेश वर्मा की मदद के लिए बुलाया गया था.
बताया जा रहा है कि कभी सियासत में साथ रहे अतुल प्रधान और योगेश वर्मा अब एक-दूसरे के सियासी दुश्मन बन गए हैं. दोनों नेताओं ने टिकट नहीं मिलने की हालत में पार्टी छोड़ने की धमकी दे डाली है.
मेरठ में टिकट को लेकर महाभारत-
सबसे पहले अखिलेश यादव ने सुप्रीम कोर्ट के वकील और EVM एक्टिविस्ट भानु प्रताप सिंह को टिकट दिया था. बताया जा रहा है कि एक बाहरी को उम्मीदवार इसलिए बनाया गया था, क्योंकि अतुल प्रधान और योगेश वर्मा एक दूसरे के नाम पर सहमत नहीं थे. जब भानु प्रताप सिंह का नाम आया तो समाजवादी पार्टी की जिला इकाई में उनके बाहरी होने का विरोध हुआ. इसके बाद अखिलेश यादव ने यादव ने अतुल प्रधान को टिकट दे दिया. अतुल प्रधान सरधना से विधायक हैं और गुर्जर बिरादरी से आते हैं.
लेकिन योगेश वर्मा जो कि दलित हैं, वह लगातार मेरठ से समाजवादी पार्टी से टिकट मांग रहे थे और समाजवादी पार्टी को यह लगने लगा कि योगेश वर्मा को अगर टिकट नहीं दिया गया तो असदुद्दीन ओवैसी की पार्टीAIMIM उन्हें टिकट दे देगी. बताया जा रहा है कि मेरठ में अतुल प्रधान और योगेश वर्मा के बीच जबरदस्त लड़ाई छिड़ी हुई है और अगर किसी एक को टिकट मिलता है तो दूसरा हराने में कोई कसर नहीं छोड़ेगा.
अतुल प्रधान को लेकर पार्टी में विरोध-
अतुल प्रधान को टिकट मिलते ही समाजवादी पार्टी के भीतर का एक खेमा बेहद सक्रिय हो गया और यह बात अखिलेश यादव को बताई गई कि आखिर मेरठ का हर टिकट अतुल प्रधान या उनके परिवार को ही क्यों मिलेगा. विधायक भी अतुल प्रधान, मेयर का टिकट भी अतुल प्रधान की पत्नी को और सांसद का टिकट भी अतुल प्रधान को ही क्यों मिले? इससे पार्टी के दूसरे नेताओं में घोर निराशा है और इसका असर मेरठ और उसके आसपास की सीटों पर पड़ सकता है. इस दावों के बनने के बाद अखिलेश यादव ने योगेश वर्मा को लखनऊ बुलाया. इसके साथ ही अतुल प्रधान को भी लखनऊ बुलाया गया.
अतुल प्रधान की पार्टी को चेतावनी-
देर रात को योगेश वर्मा की तरफ से बताया गया कि उन्हें टिकट दे दिया गया है और गुरुवार को दोपहर तक नामांकन दाखिल करने का आदेश दिया गया है. ऐसे में वह अपना नामांकन दाखिल करेंगे. पार्टी ने अतुल प्रधान को इसलिए बुलाया ताकि उन्हें बताया जा सके कि अब उनका भी टिकट काटा जा रहा है और वह योगेश वर्मा की मदद करें. लेकिन सूत्रों के मुताबिक अतुल प्रधान ने पार्टी नेतृत्व को यह चेतावनी दे दी है कि अगर उनका टिकट काटा गया तो वह पार्टी से इस्तीफा दे देंगे, क्योंकि उन्होंने अपना नामांकन भी दाखिल कर दिया है और उन्हें सिंबल भी मिल चुका है.
रामपुर की तरह एक बार फिर नजरे अब मेरठ पर टिक गई हैं कि क्या आखिरी वक्त में एक बार फिर मेरठ में भी खेला होगा और अतुल प्रधान का टिकट काटकर योगेश वर्मा की पत्नी सुनीता वर्मा को दिया जाएगा. हालांकि नजरें AIMIM पर भी हैं, क्योंकि उसने अभी तक किसी को टिकट नहीं दिया गया है और आखिरी वक्त में अपने प्रत्याशी उतार सकती है.
अभी तक अखिलेश यादव अपने 8 टिकट बदल चुके हैं और ये उनकी कमजोरी मानी जा रही है कि उनकी पार्टी पर उनका कोई वश ही नहीं है. बार बार टिकट काटने और बदलने से पार्टी काडर का मनोबल भी टूटता है. लेकिन अखिलेश यादव कह चुके हैं कि जहाँ जैसी जरूरत लगी वो टिकट बदल देंगे.
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