लोकसभा चुनाव 2024 के नतीज आ गए हैं. एनडीए को लगातार तीसरी बार बहुमत मिला है. लेकिन उत्तर प्रदेश में एनडीए को बड़ा झटका लगा है. सूबे में एनडीए के साथ बहुजन समाज पार्टी (BSP) को भी झटका लगा है. हार के बाद बीएसपी मुखिया मायावती ने बयान जारी किया है. बीएसपी मुखिया के इस बयान से ये आभास मिलता है कि बीएसपी इस चुनाव में पूरी तरीके से फ्लॉप हो गई है. बीएसपी जाटव समुदाय के अपने मूल जनाधार को भी खोती जा रही है. पूर्व सीएम मायावती ने अपने घटते जनाधार के बारे में कुछ नहीं लिखा. यह भी नहीं लिखा कि आखिर उनका वोट, चुनाव दर चुनाव क्यों नीचे जा रहा है? लेकिन उन्होंने इस चुनाव का ठीकरा, एक बार फिर मुस्लिम वोटों पर फोड़ने की कोशिश की है. मायावती ने अपने जारी प्रेस रिलीज के आखिर में यह लिखा है कि मुसलमान को इतना टिकट देने के बाद भी मुसलमानों ने उन्हें वोट नहीं दिया. अब आगे से राजनीतिक चुनावी हिस्सेदारी देने के पहले बहुत सोच कर आगे बढ़ना होगा.
बीएसपी को कांग्रेस से कम वोट-
मायावती के लिए सदमे की बात ये है कि इस बार कांग्रेस पार्टी से भी कम वोट प्रतिशत बीएसपी को मिला है. यही नहीं, दलित अगर इंडिया एलायंस में शिफ्ट हुए हैं तो उसके पीछे की वजह कांग्रेस पार्टी है. राहुल गांधी का 'बहुजन' अवतार पूर्व सीएम मायावती को सबसे ज्यादा खल रहा है.
माना जा रहा है मायावती का वोट बैंक अब खिसककर 8 फ़ीसदी के आसपास रह गया है और इस बार उनके अपने मूल वोटरों में एक तिहाई से ज्यादा की सेंध लग गई है. सिर्फ मूल जाटव वोटर ही नहीं, बल्कि गैर-जाटव दलितों में भी जो मायावती का जनाधार था, वह इस बार बड़ी तादात में खिसका है. नगीना में चंद्रशेखर आज़ाद का बड़ी मार्जिन से जीतना और बीएसपी का धरातल पर आ जाना बड़े दलित बदलाव की ओर इशारा कर रहा है.
नगीना सीट पर चंद्रशेखर की जीत-
नगीना सीट ने बीएसपी को यह बता दिया है कि उसकी सियासत किस गर्त में जा रही है. नगीना वह सीट है, जहां से मायावती ने अपना पहला चुनाव लड़ा था. लेकिन इस बार जमानत बचाना तो दूर, बीएसपी इतना कम वोट लेकर आएगी, इसका अंदाजा किसी को नहीं था. नगीना में बीएसपी चौथे नंबर पर रही और सिर्फ 13272 वोट ही उसे मिले, जबकि पहले नंबर पर चंद्रशेखर आजाद रावण रहे, जिनको 512552 वोट मिले, यानी चंद्रशेखर आजाद रावण से बीएसपी के वोटों का अंतर 499280 है. इस सीट पर दलितों ने मायावती की तरफ देखा भी नहीं है. बगल की बिजनौर सीट पर भी बीएसपी तीसरे नंबर पर रही.
बीएसपी पिछले आम चुनाव में अपनी जीती हुई सभी 10 सीटों पर या तो तीसरे नंबर पर या चौथे नंबर पर रही है. बीएसपी कहीं भी दूसरे नंबर पर नहीं आ पाई है.
पूर्व सीएम मायावती के लिए अब आगे की राह और मुश्किल होती जा रही है. कांग्रेस और समाजवादी पार्टी की तरफ बीएसपी के वोट खिसक चुके हैं. मायावती की 'एकला चलो' की रणनीति बीजेपी की 'बी' टीम का चस्पा हुआ लेबल बीएसपी के लिए काल बनता जा रहा है.
मायावती के लिए अब आगे साल 2027 का विधानसभा चुनाव है. ऐसे में क्या वह एक बार फिर बीजेपी के विरोध में गठबंधनों का रुख करेंगी या फिर अकेले लड़ेगी. यह सवाल उनसे फिर पूछा जाएगा. लेकिन पूर्व सीएम मायावती सियासत में इतनी अकेली पड़ती जा रही है कि कोई चमत्कार ही उनकी पार्टी को दोबारा मुख्य धारा में ला पाएगा.
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