बिहार (Bihar) में लोकसभा चुनाव 2024 (Lok Sabha Election 2024) के नतीजों से स्पष्ट हो गया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) का जलवा राज्य में अभी भी बरकरार है और जाति की दीवार को तोड़ते हुए लोगों ने ब्रांड मोदी के नाम पर जमकर वोटिंग की है. 30 सीट के साथ बिहार में एनडीए (NDA) का प्रदर्शन एक मुख्य फैक्टर है, जिसके कारण देश में पीएम मोदी तीसरी बार एनडीए सरकार बनाने जा रहे हैं.
किसे और कितनी सीटें हुईं प्राप्त
लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजों के मुताबिक बिहार में एनडीए में शामिल बीजेपी (BJP) ने 12, जनता दल यूनाइटेड (JDU) ने 12, लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) ने 5 और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा ने 1 सीट पर जीत दर्ज की है. बीजेपी ने 17 में से 12 सीटों पर जीत हासिल की है, तो वहीं दूसरी तरफ नीतीश कुमार की जदयू ने 16 सीटों पर लड़कर 12 पर जीत दर्ज की है. वही चिराग पासवान की पार्टी लोजपा (आर) ने 5 सीटों पर चुनाव लड़के सभी सीटों पर जीत हासिल की है. जीतन राम मांझी की हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) ने भी अपनी गया की एकमात्र सीट जीत ली है.
जब नीतीश ने एनडीए में जाने का लिया था फैसला
बिहार में जनता दल यूनाइटेड का जो प्रदर्शन रहा है, उसे एक बात स्पष्ट रूप से समझ में आती है कि जनवरी में नीतीश कुमार ने महागठबंधन छोड़कर एनडीए में जो आने का फैसला किया था वह बिल्कुल सही फैसला था.उस वक्त नीतीश कुमार की पार्टी के 16 सांसद थे. उस दौरान सभी ने नीतीश कुमार से वापस एनडीए में आने की अपील की थी क्योंकि उन सबका मानना था कि यदि लोकसभा चुनाव में उन्हें दोबारा चुनकर आना है तो उन्हें ब्रांड मोदी की जरूरत पड़ेगी जैसा की 2019 में देखने को मिला था जब नीतीश कुमार की पार्टी ने 17 में से 16 सीट पर जीत हासिल की थी.
महागठबंधन में रहते तो होता नुकसान
दूसरी तरफ अगर महागठबंधन के प्रदर्शन पर नजर डालें तो तेजस्वी यादव के जबरदस्त के प्रचार-प्रसार के बावजूद भी राजद को केवल 4 सीट ही हासिल हुई जबकि उनकी पार्टी ने 23 सीटों पर चुनाव लड़ा था. महागठबंधन में शामिल कांग्रेस ने 9 सीट पर लड़कर 3 पर जीत हासिल की है. भाकपा माले ने तीन में से दो सीट पर जीत दर्ज की है. महागठबंधन के प्रदर्शन से स्पष्ट होता है कि यदि नीतीश को लोकसभा चुनाव 2024 में महागठबंधन में रहते तो संभवत जनता दल यूनाइटेड को और ज्यादा नुकसान उठाना पड़ सकता था.
पीएम मोदी को देखकर जानता ने दिया वोट
बिहार के लोकसभा चुनाव में जनता दल यूनाइटेड ने अगर 16 में से 12 सीट पर जीत हासिल की है तो ऐसा लगता है कि यह केवल नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता के कारण ही संभव हो पाया है. दरअसल, प्रचार-प्रसार के दौरान भी कई लोगों ने यह माना कि नीतीश कुमार पिछले कुछ वर्षों में लगातार पलटते आ रहे हैं. जिसके चलते उनकी विश्वसनीयता में भी कमी आई है और इसी कारण से लोग उन्हें या उनकी पार्टी को वोट नहीं देना चाहते थे लेकिन यह लोकसभा चुनाव देश का चुनाव था और लोगों को दिल्ली में नरेंद्र मोदी की वापसी करनी थी.
इसी कारण से बिहार में लोगों ने जनता दल यूनाइटेड को भी वोट किया.यानी नीतीश की लोकप्रियता में आई कमी के कारण भाजपा के समर्थक और कैडर ने जहां-जहां जनता दल यूनाइटेड के उम्मीदवार थे उन्हें वोट किया था ताकि नरेंद्र मोदी को तीसरी बार प्रधानमंत्री बनाया जा सके.चुनाव के नतीजों से ऐसा लगता है कि बिहार में एनडीए 2019 में 39 सीट से 2024 में 30 सीट पर आ गई है तो समझ में आता है कि इसकी मुख्य वजह लोगों के बीच तेजस्वी यादव का क्रेज नहीं बल्कि नीतीश कुमार के खिलाफ नाराजगी रही है क्योंकि यदि तेजस्वी यादव के समर्थन में लोगों का उत्साह होता तो फिर आरजेडी चार सीटों पर नहीं सिमटी होती.