scorecardresearch

Rajasthan lok sabha Election Result 2024: जातियों की नाराजगी राजस्थान में BJP पर पड़ी भारी, जाट, गुर्जर और मीणा ने कर दिया खेला, India Alliance को हुआ फायदा

Lok Sabha Election Results 2024: विधानसभा चुनाव के बाद बीजेपी ने राजस्थान के जातिगत समीकरण को ठीक से साधा नहीं और उसे लगा कि पीएम मोदी के चेहरे पर जातिगत समीकरण से उठने वाले सवालों को भी सुलझा लिया जाएगा. यहीं लोकसभा चुनाव 2024 में इस पार्टी से भूल हो गई. 

 Bharatiya Janata Party Bharatiya Janata Party
हाइलाइट्स
  • बीजेपी ने पिछले दो लोकसभा चुनावों में सभी सीटों पर दर्ज की थी जीत

  • इस बार महागठबंधन ने लगाया सेंध

लोकसभा चुनाव 2024 (Lok Sabha Election 2024) के नतीजों के आने के बाद भारतीय जनता पार्टी (BJP) को राजस्थान में बड़ा सेट बैक लगा है. दो बार के लोकसभा चुनावों में राज्य की सभी 25 सीटें जीतने वाली बीजेपी को इस बार केवल 14 सीटें मिली हैं. उधर, 8 सीटों पर कांग्रेस और 3 पर गठबंधन दलों को जीत मिली है. बीजेपी ने जो 14 लोकसभा सीटें जीती है, उसमें भी जयपुर छोड़कर 13 में पिछली बार से वोट शेयर गिरे हैं. 

ऐसे में यह सवाल उठता है कि पिछले छह महीने में ऐसा क्या हो गया कि विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 115 सीटें जीती थी और छह महीने बाद इस तरह से लोकसभा चुनाव में बुरी स्थिति हो गई. दरअसल, विधानसभा चुनाव के बाद बीजेपी ने राजस्थान के जातिगत समीकरण को ठीक से साधा नहीं और उसे लगा कि पीएम मोदी के चेहरे पर जातिगत समीकरण से उठने वाले सवालों को भी सुलझा लिया जाएगा. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. लोकसभा चुनाव 2024 में जातियों की नाराजगी बीजेपी पर भारी पड़ी.

1. जाट फैक्टर
बीजेपी राज्य में अपने बूते साल 2004 में पहली बार वसुंधरा राजे की अगुवाई में सरकार बना पाई क्योंकि कांग्रेस के सबसे मजबूत वोट बैंक जाटों को ओबीसी में शामिल कर आरक्षण देकर मास्टर स्ट्रोक खेला. लेकिन इस बार जैसे हीं बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष पद से सतिश पुनिया को हटा कर ब्राह्मण सीपी जोशी को बनाया, जाटों में  नाराजगी बढ़ी. उसके बाद चुरू लोकसभा से सासंद राहुल कस्वा का टिकट कटवाने का आरोप बीजेपी के बड़े नेता राजेंद्र राठौड़ पर लगा. इससे शेखावटी में जाटों में बीजेपी के खिलाफ नाराजगी बढ़ी. 

सम्बंधित ख़बरें

कांग्रेस ने शेखावटी इलाके से जाट नेता गोविंद सिंह डोटासरा को प्रदेशअध्षक्ष बना कर जाटों का वोट बैंक और मजबूत किया. कम्युनिस्ट पार्टी में ज्यादातर जाट नेता हैं. सीकर सीट पर सीपीएम से गठबंधन का फायदा कई सीटों पर जाट वोट बैंक बनने में मिली. राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के नेता हनुमान बेनीवाल का इंडिया गठबंधन में साथ आने से भी  कांग्रेस का जाट वोट मजबूत हुआ. इंडिया गठबंधन के जीते 8 उम्मीदवारों में से 5 जाट जाति हैं.

2. गुर्जर फैक्टर
विधानसभा चुनावों में गुर्जरों ने  कांग्रेस के खिलाफ वोट दिया था क्योंकि गुर्जर वोटरों की नाराजगी इस बात से थी कि अशोक गहलोत की वजह से सचिन पायलट राजस्थान के मुख्यमंत्री नहीं बन पाए. गुर्जर वोट से BJP सत्ता में आई लेकिन एक भी गुर्जर कैबिनेट मंत्री या स्वतंत्र प्रभार के राज्य मंत्री नहीं बन पाया. उधर, कांग्रेस सरकार में 2-2 गुर्जर कैबिनेट मंत्री थे.

गुर्जर विधायकों की हैसियत भी काफी ज्यादा थी. इस विधानसभा चुनाव में सचिन पायलट की वजह से गुर्जर वोटरों ने जमकर कांग्रेस के पक्ष में मतदान किया. सचिन पायलट राजस्थान के एकमात्र ऐसे लोकप्रिय नेता हैं, जो अपनी जाति के वोट किसी भी अन्य जाति के उम्मीदवार को ट्रांसफर करा सकते हैं. इंडिया गठबंधन के जीते 11 उम्मीदवारों में से सचिन पायलट के 5 समर्थकों ने जीत हासिल की है.

3. मीणा फैक्टर
राजस्थान में परंपरागत रूप से मीणा जाति के लोग कांग्रेस के वोटर रहे हैं लेकिन पिछले विधानसभा चुनाव में पेपर लीक और भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों पर मीणा समाज ने कांग्रेस के खिलाफ बीजेपी के पक्ष में वोट किया था. इसकी बड़ी वजह बीजेपी के कद्दावर नेता डॉ. किरोड़ी लाल मीणा भी थे. लेकिन सत्ता में आने के बाद डॉ. किरोड़ी लाल मीणा को कोई बड़ा मंत्रालय नहीं मिला और जो कृषि मंत्रालय या ग्रामीण विकास मंत्रालय मिला उसे भी काट छांट दिया गया. इसकी वजह से मीणा समाज में नाराजगी रही. सचिन पायलट की वजह से पूर्वी राजस्थान में मीणा और गुर्जर समाज ने एक साथ वोटिंग की. मीणा और गुर्जर समाज एक साथ यदि वोटिंग करता है तो पूर्वी राजस्थान की सभी सीटें कोई भी पार्टी अकेले जीत सकती है.

4. एससी फैक्टर
इस बार दलित और आदिवासी समुदाय में जिस तरह से भ्रम फैला कि यदि बीजेपी जीतेगी तो संविधान बदल जाएगा. उसे लेकर इस समुदाय में डर बैठ गया और बड़ी संख्या में दलितों और आदिवासियों ने BJP के खिलाफ वोट किया. इसके अलावा धौलपुर करौली और भरतपुर जैसे लोकसभा क्षेत्रों में जहां पर जाटव समुदाय के दोनों उम्मीदवार कांग्रेस से जीते हैं, वहां पर बहुजन समाज पार्टी के जाटव वोट बैंक में कांग्रेस ने सेंध लगाया है क्योंकि बहुजन समाज पार्टी इस इलाके में बेहद कमजोर हुई है.

5. किसान आंदोलन और अग्निवीर योजना
किसान आंदोलन और अग्निवीर योजना भी राजस्थान में बीजेपी को कम सीटें आने की वजह रहीं. श्री गंगानगर और हनुमानगढ़ लोकसभा क्षेत्र में जो पंजाब से लगता हुआ इलाका है, वहां पर सिख समुदाय ने बड़ी संख्या में इस बार कांग्रेस को वोट दिया है. इसकी वजह से कांग्रेस के उम्मीदवार ने जीत हासिल की है जबकि यहा पर सिख समुदाय परंपरागत रूप से बीजेपी का कट्टर वोटर रहा है.

(शरत कुमार की रिपोर्ट)