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Sultan Bathery: सुल्तान बाथरी का नाम क्यों बदलना चाहती है BJP, क्या है इसका इतिहास, Tipu Sultan से क्या है कनेक्शन

केरल के वायनाड लोकसभा क्षेत्र में एक नगरपालिका का नाम सुल्तान बाथेरी है. ये जगह पहले गणपति वट्टम के नाम से जानी जाताी थी. लेकिन टीपू सुल्तान इसे गोला-बारुद रखने के लिए इस्तेमाल किया. इस जगह पर टीपू सुल्तान ने एक किला भी बनवाया था. उसके बाद से इस जगह को सुल्तान बाथेरी के नाम से जाना जाने लगा.

Jain Temple at Sulthan Bathery (Image: Kerala Tourism) Jain Temple at Sulthan Bathery (Image: Kerala Tourism)

केरल में बीजेपी ने सुल्तान बाथरी का नाम बदलने का मुद्दा फिर से उठाया है. केरल के बीजेपी अध्यक्ष और वायनाड लोकसभा सीट से उम्मीदवार के. सुरेंद्रन ने कहा कि अगर हम सांसद बनते हैं तो सुल्तान बाथरी का नाम बदल देंगे और इसका नाम बदलकर गणपति वट्टम कर देंगे. आपको तबा दें कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी भी वायनाड सीट से ही चुनाव लड़ रहे हैं. चलिए आपको बताते हैं कि सुल्तान बाथेरी क्या है और क्यों बीजेपी ये नाम बदलना चाहती है.

BJP बदलना चाहती है नाम-
सुल्तान बाथेरी वायनाड का एक प्रमुख शहर है. बीजेपी का मानना है कि इस शहर का मूल नाम गणपति वट्टम था. लेकिन बाद में इसका नाम बदल दिया गया था. अब बीजेपी फिर से इस नाम को बदलना चाहती है. साल 1984 में बीजेपी लीडर प्रमोद महाजन सुल्तान बाथरी पहुंचे थे. उस दौरान भी उन्होंने कहा था कि यह सुल्तान बाथरी नहीं, बल्कि गणपति वट्टम है.

कहां से आया गणपति वट्टम नाम-
वायनाड के तीन नगरपालिका शहरों में से एक सुल्तान बाथेरी है. इस जगह एक पत्थर का मंदिर है. जिसे गणपति वट्टम के नाम से जाना जाता था. विजयनगर राजवंश की स्थापत्य शैली में इस मंदिर का निर्माण 13वीं शताब्दी में किया गया था. इस मंदिर का निर्माण तमिलनाडु और कर्नाटक क्षेत्र से आए जैनियों ने किया था. पहले इस मंदिर की वजह से ही इस जगह को गणपति वट्टम कहा जाता था.

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18वीं शताब्दी में मैसूर के शासक टीपू सुल्तान के आक्रमण के दौरान ये मंदिर नष्ट हो गया. 1750 और 1790 के बीच टीपू सुल्तान और उसके पिता हैदर अली ने कई बार आक्रमण किया. करीब 150 साल तक इसपर किसी ने ध्यान नहीं दिया. बाद में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने इसे अपने अधिकार में ले लिया और इसे राष्ट्रीय स्मारक घोषित कर दिया.

सुल्तान बाथेरी का इतिहास-
केरल का सबसे स्वच्छ शहर सुल्तान बाथेरी है. यह मैसूर शासन के दौरान हथियार और गोला-बारूद का डंपिंग ग्राउंड था. 18वीं शताब्दी में टीपू सुल्तान ने मालाबार क्षेत्र में विद्रोह को दबाने के लिए जा रहे थे. इस दौरान यह क्षेत्र उनेके रास्ते में आता था. टीपू सुल्तान की सेना ने गमपति वट्टम शहर को गोला-बारुद रखने के जगह के तौर पर इस्तेमाल किया और इस शहर को सुल्तान की बैटरी के नाम से जाना जाने लगा. बाद में इसकी वजह से इसे सुल्तान बाथेरी कहा जाने लगा.आज भी इस शहर का नाम सुल्तान बाथेरी ही है. टीपू सुल्तान ने इस जगह एक किला भी बनवाया. हालंकि आज वो खंडहर बन गया है.

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