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Assembly Election 2022: अखबार की रद्दी खरीदने वाला शख्स, अब खुद बनाना चाहता है खबर, गाजियाबाद से चुनाव मैदान में है प्रत्याशी

अखबार की रद्दी खरीदने वाला शख्स अब खुद खबर बनाना चाहता है. नरेश गाजियाबाद से चुनाव मैदान में उतरे हैं. नरेश कुमार का कहना है कि मोबाइल में 3000 नंबर हैं तो 3000 वोट तो मिल जाएंगे.

रद्दी खरीदने वाला शख्स गाजियाबाद से चुनाव मैदान में है प्रत्याशी (प्रतीकात्मक तस्वीर) रद्दी खरीदने वाला शख्स गाजियाबाद से चुनाव मैदान में है प्रत्याशी (प्रतीकात्मक तस्वीर)
हाइलाइट्स
  • गाजियाबाद में रद्दी खरीदने वाले एक प्रत्याशी ने प्रचार के लिए अपने पेशे को हथियार बनाया.

  • नरेश चुनाव प्रचार के दौरान रद्दी खरीदने के काम को प्रचार से जोड़ रहे हैं.

विधानसभा चुनाव 2022 के लिए चुनावी बिगुल बज चुका है. तमाम पार्टियां जहां एक-एक कर अपने कैंडीडेट्स का एलान कर रही हैं, वहीं प्रचार-प्रसार में भी कोई कसर नहीं छोड़ रही हैं. कोरोना महामारी के कारण लगी पाबंदियों के कारण पार्टियां इस बार डिजिटल प्रचार पर ज्यादा फोकस कर रही हैं. वोटर्स को लुभाने के लिए जहां सभी पार्टी वर्चुअल तरीके आजमा रही हैं. हालांकि पांच राज्यों में चुनाव आयोग ने सशर्त रैलियों की इजाजत दे दी है. ऐसे में गाजियाबाद में रद्दी खरीदने वाले एक प्रत्याशी ने प्रचार के लिए कैसे अपने पेशे को हथियार बनाया है. 

अखबार की रद्दी खरीदने वाला प्रत्याशी 

 उत्तर प्रदेश चुनाव में आपको अलग-अलग रंग देखने को मिलेंगे. यहां प्रत्याशी प्रचार के अलग-अलग तरीकों का इस्तेमाल कर रहे हैं. गाजियाबाद से चुनाव लड़ रहे नरेश कुमार पेशे से रद्दी खरीदते हैं और अब चुनाव प्रचार में इस काम उन्होंने कैसे जोड़ा जरा देखिए. कैसे अखबार की रद्दी खरीदने वाला शख्स अब खुद खबर बनाना चाहता है.आइए जानते हैं रद्दी वाले विधायक प्रत्याशी नरेश को. नरेश गाजियाबाद से चुनाव मैदान में उतरे हैं. नरेश का कहना उसके लिए डोर टू डोर प्रचार करना उनका रोज का काम है. रद्दी खरीदने घर-घर जाना, आवाज देकर लोगों को बुलाना वो हम रोज करते हैं.  

रद्दी खरीदने के साथ प्रचार-प्रसार

विधानसभा चुनाव की गहमागहमी के बीच रद्दी खरीदने के साथ प्रचार-प्रसार जारी है. नरेश पिछले कुछ सालों से अखबार की रद्दी खरीद कर बदले में बर्तन या पैसे देते हैं. एक दिन विधायक के घर से जब वो गुजरा तो उन्हें विधायक से मिलने का मन हुआ, पर विधायक से कई बार कोशिश के बाद जब वो नहीं मिल पाए तो उन्होंने ये तय किया क्यों न खुद की किस्मत को अजमाया जाए. नरेश कहते हैं, "रद्दी खरीदते समय वो अखबार जब पड़ते थे तो लगता था कि बदलाव किया जाए और अब चुनाव के जरिये ये मौका मिला है." नरेश कुमार का कहना है कि मोबाइल में 3000 नंबर हैं तो 3000 वोट तो मिल जाएंगे. मैंने देखा कि नेता आम लोगों से नहीं मिलते हैं फिर आम आदमी की कौन सुनेगा इसलिए मैंने चुनाव लड़ने का सोचा.

नरेश अभी चुनाव प्रचार के दौरान रद्दी खरीदने के काम को प्रचार से जोड़ रहे हैं. वो लोगो के घर जाकर रद्दी ख़रीदते हैं और फिर उनसे वोट देने की अपील करते हैं. नरेश कहते हैं कि पिछले 10 साल से वो कागज की रद्दी खरीद रहे हैं. लोग उनको खुद फोन करके रद्दी ले जाने के लिए कहते हैं इसलिए अब जहां-जहां से उनके पास फोन आता है वो प्रचार भी करते हैं और तुरंत वोट भी मांग लेते हैं.