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Bihar Politics: 17 माह पुरानी महागठबंधन सरकार का अंत, Nitish Kumar ने CM पद से दिया इस्तीफा, जानें क्या बताई वजह, कब-किसके संग रहे और क्या मिला

Nitish Kumar Resigns as Bihar CM: बिहार में चल रही राजनीतिक उथल-पुथल के बीच मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने रविवार को अपने पद से इस्तीफा दिया. इसके साथ ही राज्य में 17 महीने पुरानी महागठबंधन सरकार का अंत हो गया है. 

Nitish Kumar Resigns as Bihar CM Nitish Kumar Resigns as Bihar CM
हाइलाइट्स
  • नीतीश पहली बार बीजेपी के समर्थन में बने थे सीएम 

  • सम्राट चौधरी को बीजेपी विधायक दल का चुना गया नेता

बिहार की राजनीति में सियासी उठापटक का रविवार को पटाक्षेप हो गया. नीतीश कुमार ने महागठबंधन का साथ छोड़ दिया है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राजभवन जाकर अपने इस्तीफा सौंप दिया. इसके बाद महागठबंधन की सरकार गिर गई. सीएम पद से इस्तीफा देने के बाद नीतीश कुमार ने लालू यादव की पार्टी पर जमकर निशाना साधा. नीतीश कुमार ने राजभवन से बाहर आकर पत्रकारों से बात करते हुए कहा, 'हमारी पार्टी की राय के बाद मैंने इस्तीफा दिया. उन्होंने कहा कि सरकार के सभी कामों का क्रेडिट वहीं (आरेजडी) ले रही थी, मैं काम कर रहा था लेकिन मुझे काम नहीं करने दिया जा रहा था.

सम्राट चौधरी और विजय कुमार सिन्हा बनेंगे उपमुख्यमंत्री
जनता दल यूनाइटेड और भारतीय जनता पार्टी के गठबंधन से रविवार शाम तक राज्य में नई सरकार के गठन की संभावना है. जदयू और बीजेपी के गठबंधन वाली इस सरकार में नीतीश कुमार मुख्यमंत्री होंगे. नीतीश नौवीं बार सीएम पद की शपथ लेंगे. सम्राट चौधरी और विजय कुमार सिन्हा को उपमुख्यमंत्री बनाया जाएगा. सम्राट चौधरी को बीजेपी विधायक दल का नेता ही चुना गया है. साथ ही विजय कुमार सिन्हा उपनेता होंगे. 

पांच बार हुए विधानसभा चुनाव में इतने बार रहे सीएम
पिछले 23 साल में बिहार में विधानसभा चुनाव तो पांच बार ही हुए हैं, लेकिन नीतीश कुमार ने 8 बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली है. अब फिर सीएम पद की शपथ लेने जा रहे हैं.  मार्च 2000 में नीतीश कुमार को बिहार के मुख्यमंत्री पद के लिए एनडीए का नेता चुना गया. उन्होंने केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी के कहने पर पहली बार बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी. 324 सदस्यीय सदन में एनडीए और सहयोगी दलों के पास 151 विधायक थे जबकि लालू प्रसाद यादव के पास 159 विधायक थे. दोनों गठबंधन बहुमत के आंकड़े यानी 163 से कम थे. सदन में बहुमत साबित नहीं कर पाने के चलते नीतीश ने इस्तीफा दे दिया था. महज सात दिन बाद ही वह सत्ता से बाहर हो गए. 

बीजेपी के समर्थन में मिली थी पहली बार सीएम की कुर्सी
सीएम पद से इस्तीफा देने के बाद नीतीश कुमार पटना से दिल्ली की राजनीति में शिफ्ट हो गए. वह वाजपेयी सरकार में रेल मंत्री रहते एक बड़े चेहरे के तौर पर अपने आप को स्थापित किया. वक्त की नजाकत समझते हुए 2003 में शरद यादव की अगुवाई वाले जनता दल का जॉर्ज फर्नांडीस और नीतीश कुमार की समता पार्टी से विलय हुआ और जनता दल यूनाइटेड बनी. हालांकि नीतीश की राजनीति को बड़ी पहचान 2005 में मिली. जब बीजेपी के समर्थन से उन्हें मुख्यमंत्री की कुर्सी मिली.

बिहार में बहार है, नीतीशे कुमार है...
नीतीश कुमार ने भले ही डिग्री इंजीनियरिंग की ली हो, लेकिन फुलटाइम पॉलिटिशियन रहे हैं. वो सिर्फ और सिर्फ राजनीति करते हैं. पटना में कभी कहा जाता था कि जब तक समोसे में रहेगा आलू, तब तक बिहार में रहेगा लालू, लेकिन जब नीतीश कुमार का दौर शुरू हुआ तो कहा जाने लगा बिहार में बहार है, नीतीशे कुमार है. नीतीश किसी भी दल के साथ देश, काल, परिस्थिति के हिसाब से गठबंधन करने में उस्ताद माने जाते हैं. वो जिस राजनीति शास्त्र के सहारे बिहार की सत्ता में बने हुए हैं- उसमें उन्हें कोई मौकापरस्त कहता है. कोई यू-टर्न का मास्टर. कोई पलटूराम तो कोई कुर्सीजीवी.

जॉर्ज फर्नांडीस के साथ मिलकर समता पार्टी का किया था गठन
90 के दशक में बिहार में समाजवादी आंदोलन पर जातियां हावी हो चुकी थीं. मंडल कमीशन को लागू करवाने वाले जनता दल के अंदर ही पिछड़ी जातियों को लेकर खींचतान शुरू हो गई. लालू यादव पर एक खास जाति को बढ़ावा देने के आरोप लगने लगे थे. इसी असंतोष के गर्भ से 1994 में नीतीश कुमार ने जॉर्ज फर्नांडीस के साथ मिलकर समता पार्टी का गठन किया. यहां से एक अलग तरह की राजनीति शुरू हुई. 

नीतीश कुमार ने कब-कब और किससे किया गठबंधन 
1. 2005 में बिहार में विधानसभा चुनाव हुए. इस चुनाव के लिए पहली बार भाजपा और जदयू को चुनावी सफलता हासिल की। 243 सदस्यीय विधानसभा में इस चुनाव में भाजपा ने 55 सीटें जबकि जदयू ने 88 सीटें जीतीं. नीतीश कुमार सत्ता के केंद्र में रहे.

2. 2009 के लोकसभा चुनाव में भी गठबंधन को बड़ी सफलता मिली. 40 लोकसभा सीटों वाले बिहार में जदयू 25 और भाजपा 15 सीटों पर लड़ी. इनमें से 32 सीटों पर इस गठबंधन को सफलता मिली. भाजपा के 15 में से 12 उम्मीदवार जीतने में सफल रहे. वहीं, जदयू के 25 में से 20 उम्मीदवार जीतकर लोकसभा पहुंचे. 

3. साल 2010 में बिहार विधानसभा चुनाव हुए. भाजपा-जदयू ने एक बार फिर एक साथ चुनाव लड़ा और जबरदस्त सफलता हासिल की. 243 सदस्यीय बिहार विधानसभा में भाजपा-जदयू गठबंधन ने 206 सीटों पर जीत दर्ज की. जदयू ने 115 सीटें तो भाजपा ने 91 सीटें जीतीं. इस जीत के साथ नीतीश एक बार फिर राज्य के मुख्यमंत्री बने.

4. 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले देश की राजनीति में बड़ा बदलाव हुआ. 2014 आम चुनाव के लिए भाजपा ने अपनी चुनाव अभियान समिति का अध्यक्ष गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को बना दिया. इस फैसले के विरोध में नीतीश कुमार ने बिहार में भाजपा के साथ 17 साल पुराना गठबंधन तोड़ दिया. 

5. बीजेपी से गठबंधन तोड़ने के बाद भी नीतीश की पार्टी जदयू सत्ता में बनी रही. उनकी पार्टी की सरकार को राजद और कांग्रेस ने बाहर से समर्थन दिया. 

6. 2014 में भाजपा के प्रचंड बहुमत से चुनाव जीतने के बाद नीतीश ने जेडीयू की हार की जिम्मेदारी ली और जीतम राम मांझी को सीएम नियुक्त करते हुए मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया. 

7. मई 2014 में लालू यादव की पार्टी राजद और कांग्रेस ने जदयू का समर्थन किया और विधानसभा में बहुमत परीक्षण में सफल रहे. इस तरह से जदयू, कांग्रेस और राजद ने महागठबंधन का गठन किया.

8. 2014 में महागठबंधन बनाने के बाद 2015 में बिहार विधानसभा चुनाव हुए. इस चुनाव में राज्य में महागठबंधन के तहत राजद ने 80 सीटों पर, जदयू ने 71 सीटों पर और कांग्रेस ने 27 सीटों पर जीत दर्ज की. भाजपा महज 53 सीटों पर ही जीत दर्ज कर सकी. इसके साथ नीतीश कुमार फिर बिहार के मुख्यमंत्री बने और तेजस्वी यादव को उपमुख्यमंत्री चुना गया.

9. नीतीश कुमार 2016 में फिर से सुर्खियों में आए. भाजपा की नोटबंदी और जीएसटी संबंधी नीतियों की ओर उनका झुकाव हुआ. इसी बीच सीबीआई की ओर से लालू यादव और उनके रिश्तेदारों के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले दर्ज करने के बाद उनके गठबंधन से निकलने का रास्ता बन गया.

10.  जुलाई 2017 में नीतीश कुमार ने 20 महीने पुराने महागठबंधन वाली सरकार को समाप्त करते हुए, बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में अपना इस्तीफा दे दिया. 27 जुलाई 2017 को उन्होंने फिर से भाजपा के समर्थन से बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली.

11. 2019 के लोकसभा चुनाव में भी जदयू और भाजपा साथ लड़े. बिहार की कुल 40 सीटों में से एनडीए ने 39 सीटें जीत लीं. जहां भाजपा के 17 उम्मीदवार जीते तो जदयू के 16 प्रत्याशी विजयी हुए. लोजपा ने छह सीटें जीतीं.
 
12. 2020 में बिहार विधानसभा चुनाव में राज्य में भाजपा जदयू ने एक साथ चुनाव लड़ा. इस चुनाव में भाजपा ने 74 सीटों पर और जदयू ने 43 सीटों पर जीत दर्ज की. इसके साथ ही जीतन राम मांझी की हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के साथ मिलकर सरकार बनी जिसके मुखिया नीतीश कुमार बने. भाजपा की तरफ से तारकिशोर प्रसाद और रेणू देवी के रूप में दो उपमुख्यमंत्री बनाए गए.
 
13. बीजेपी से मतभेदों के बाद 9 अगस्त 2022 को नीतीश कुमार ने घोषणा की कि बिहार विधानसभा में भाजपा के साथ जदयू का गठबंधन खत्म हो गया है. उन्होंने दावा किया कि बिहार में नई सरकार, राजद और कांग्रेस सहित नौ पार्टियों का गठबंधन महागठगंधन 2.0 होगी. जदयू भाजपा से नाता तोड़कर राजद के साथ मिल गई और नीतीश फिर से बिहार के मुख्यमंत्री बन गए. राजद से तेजस्वी यादव राज्य के उप मुख्यमंत्री बने.

क्या है मौजूदा सियासी समीकरण 
बिहार की 243 सदस्यीय विधानसभा में 79 सीटों के साथ राजद सबसे बड़ा दल है. इसके बाद भाजपा के 78 विधायक, जदयू के 45, कांग्रेस के 19, सीपीआई (एमएल) के 12, हम के 4, सीपीआई के 2, सीपीआईएम के 2 विधायक हैं. एआईएमआईएम का एक विधायक और एक निर्दलीय विधायक.


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