देश के सबसे बड़े प्रदेश उत्तर प्रदेश में बीजेपी की सत्ता में वापसी में पीएम नरेंद्र मोदी और सीएम योगी आदित्यनाथ का चेहरा आगे रहा. लेकिन इस जीत में संगठन की भूमिका भी महत्वपूर्ण रही. संगठन की टीम चुनाव प्रबंधन और प्लानिंग में लगी रही. पूरे चुनाव में राज्य मुख्यालय में दिन में 10 बैठकों से लेकर बूथ में सबसे छोटी इकाई पन्ना प्रमुखों तक को साधने में उत्तर प्रदेश बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह और संगठन महामंत्री सुनील बंसल के नेतृत्व में संगठन की टीम ने कुछ इस रणनीति से काम किया कि पार्टी ने जीत की कहानी दोहरा दी. प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह का यूपी की जमीनी हकीकत को समझना जहां काम आया वहीं चुनाव प्रबंधन का माइक्रो मैनेजमेंट(micro management) भी एक अहम बात थी. यहां छोटे से छोटे काम को लेकर ज़िम्मेदारी तय थी. प्रदेश अध्यक्ष ने जहां इस बीच हर क्षेत्र का दौरा किया वहीं प्रदेश मुख्यालय पर संगठन की टीम ने मोर्चा सम्भाला. हर दिन चुनाव प्रबंधन की बैठक शाम 8 बजे तय थी जिसके पहले सभी को अपना होमवर्क करना होता था. राउंड द क्लॉक यानी 24 घंटे काम होता रहा.
1) सुनील बंसल ने फिर चुनाव प्रबंधन का लोहा मनवाया
उत्तर प्रदेश बीजेपी में 2014 के बाद संगठन महामंत्री सुनील बंसल का लोहा माना जाने लगा. राजस्थान के कोटपुतली में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ता और फिर पदाधिकारी बने सुनील बंसल ने यूं तो संगठन में अलग-अलग मौकों पर काम किया पर यूपी प्रभारी के रूप में अमित शाह ने देश के सियासी लिहाज से सबसे अहम प्रदेश में जो जिम्मेदारी सुनील बंसल को सौंपी वो एक मिसाल बन कर रह गयी. यूपी में बीजेपी की पूरी टीम को साधने वाले सुनील बंसल के लिए परीक्षा की घड़ी तो कई बार आयी पर हर बार उस कसौटी पर नयी टीम के साथ वो खरे उतरे. साल 2014, 2017,2019 और अब 2022 यूपी में चौका लगाने में इस शख़्स की अहम भूमिका रही. खुद सारी प्लानिंग और उसके एक्ज़िक्यूशन के लिए सही लोगों को चुनना और फिर उसकी मॉनिटरिंग करना सुनील बंसल की ज़िम्मेदारी है. यूपी प्रभारी अमित शाह ने सुनील बंसल को यूपी की जो ज़िम्मेदारी दी थी, समय के साथ यूपी को लेकर उनकी समझ में इजाफा होता गया.
सुनील बंसल की ताकत ये है कि वो बेहतरीन टास्कमास्टर (TaskMaster)हैं. यानी कार्यकर्ताओं का सही कार्य के लिए चयन और उनसे वो काम करवाने की क्षमता यूपी जैसे बड़े प्रदेश में जीत का लक्ष्य दोहराने में काम आता रहा. एक और बात जो सुनील बंसल के लिए कही जाती है वो ये कि हर बार उनकी कोर टीम (core team)के कुछ सदस्य नए होते हैं लेकिन सबसे रिज़ल्ट ऑरीएंटेड काम करवाने में उनको महारत हासिल है. इस बार एक महत्वपूर्ण ज़िम्मेदारी सुनिल बंसल ने और निभायी. इस बार उन्होंने मीडिया टीम की सीधी मॉनिटरिंग भी की.सुनील बंसल के साथ टीम में काम कर जीत की स्क्रिप्ट लिखने वाले चेहरों में भी कई नाम प्रमुख रूप से शामिल हैं जिनके पास अलग अलग ज़िम्मेदारी थी.
2) जे पी एस राठौड़(महामंत्री, यूपी बीजेपी)
यूपी बीजेपी के महामंत्री और एमएलसी JPS rathod सुनील बंसल की टीम का वो चेहरा हैं जो लगातार प्रदेश में सबसे महत्वपूर्ण काम को सम्भालते रहे हैं. जेपीएस राठौड़ के पास चुनाव प्रबंधन(election management)जैसी महत्वपूर्ण ज़िम्मेदारी थी. इसमें बूथ प्रबंधन का काम था तो वहीं बूथ से सम्बंधित सारा आंकड़ा रखना करना था. बूथ के काम की मॉनिटरिंग करना भी. इसके अलावा चुनाव आयोग से संपर्क भी जेपीएस राठौड़ के ज़िम्मे था. उनके साथ इसके लिए पूरी टीम काम कर रही थी. किसी विषय को लेकर चुनाव आयोग जाना हो या शिकायत करना या पार्टी के स्टार प्रचारकों को लिस्ट सौंपना राठौड़ के ही नेतृत्व में हुआ.
इस बार पन्ना प्रमुखों को टेक्नोलॉजी से जोड़ने की पहल की गयी. बीजेपी हमेशा से अपनी ताकत बूथ मैनेजमेंट को मानती रही है इसलिए प्रदेश के 1 लाख 74 हज़ार बूथों का प्रबंधन चुनावी सफलता की रीढ़ है.
3) गोविंद नारायण शुक्ला(महामंत्री, यूपी बीजेपी)
एमएलसी और बीजेपी के कार्यालय प्रभारी की ज़िम्मेदारी निभा रहे गोविंद नारायण शुक्ला के पास चुनाव में प्रचार से सम्बंधित ज़िम्मेदारी थी. अत्यंत मृदुभाषी गोविंद नारायण शुक्ला को अक्सर बीजेपी के कार्यक्रमों में मंच संचालन करते हुए देखा जा सकता है. बीजेपी के लिए ये चुनाव, प्रचार की दृष्टि से इसलिए भी महत्वपूर्ण था क्योंकि पार्टी ने hoardings, बैनर तो लगाए ही इस बार LED वाहनों से पूरे प्रदेश में प्रचार किया गया. डिजिटल रथ से मोदी योगी सरकार की उपलब्धियों को पूरे प्रदेश की 403 विधानसभाओं में प्रचार किया गया. सभी प्रत्याशियों के पास एक जैसे प्रचार सामग्री जाए उसमें बारीक से बारीक बातों का ध्यान रखना गोविंद नारायण शुक्ला के ज़िम्मे रहा. कार्यालय के सभी कार्यक्रमों के लिए भी योजना भी लगातार बनती रही. योजना के अनुसार ही संकल्प पत्र छपवाना और बंटवाना था. एक रात में 4घंटे में संकल्प पत्र छपवाना जिससे वो लीक न हो जाए जैसे काम गोविंद नारायण शुक्ला ने किया.
4) अनूप गुप्ता(महामंत्री)
रैली स्थल में समीक्षा हो या कार्यालय में पीएम की रैली की तैयारियों की योजना, इस काम को अंजाम देते यूपी बीजेपी के महामंत्री अनूप गुप्ता को पूरे चुनाव के दौरान देखा का सकता था. लखनऊ में बीजेपी कार्यालय के ऊपर बने वर्चुअल रैली रूम में शुरुआती वर्चुअल रैलियों की व्यवस्था की मॉनिटरिंग करके उन्होंने नयी परिस्थितियों में व्यवस्था के अनुरूप काम करके रिज़ल्ट दिया. प्रधानमंत्री की 28 वास्तविक रैलियों में एक-एक रैली में किस तरह से और कैसा प्रबंधन होगा इसमें अनूप गुप्ता ने योजना बनाने से लेकर मॉनिटरिंग की. पीएम की रैलियां बीजेपी के लिए हमेशा खास रही हैं. इस बार बड़ी रैलियों की जगह छोटी रैलियों की योजना बनायी गयी थी. जिससे सघन प्रचार किया जा सके. इसके लिए तैयारी करना और उस जिले के कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों से सम्पर्क रखना ज़रूरी था.
5) अश्विनी त्यागी (महामंत्री)
अश्विनी त्यागी इसी बार प्रदेश की कोर टीम में शामिल हुए थे. उन्होंने अभियानों और विशेष अभियानों की जिम्मेदारी सम्भाली. इस बार चुनाव घोषित होने के बाद अभियानों कि संख्या 100 से भी ज़्यादा रही. पार्टी के हर मोर्चे को अभियानों की ज़िम्मेदारी दी गयी. विशेष अभियानों के लिए पदाधिकारियों के साथ प्लानिंग और उनके काम की मॉनिटरिंग, सम्पर्क के लिए अश्विनी त्यागी ने रोज़ एक-एक अभियान की समीक्षा की. इस बार पार्टी को मिली सफलता में अभियानों की बड़ी भूमिका रही है. लाभार्थी सम्पर्क अभियान से भी पार्टी को बड़ी उम्मीदें थीं. मोर्चों के अभियानों में युवाओं की बाइक रैली हो या महिला सम्पर्क अभियान अश्विनी त्यागी ने कोई भी ज़िम्मेदारी बड़े अच्छे से निभायी.
6) लक्ष्मीकांत वाजपेयी(जोईनिंग़ कमेटी इंचार्ज)
पूर्व प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मीकान्त वाजपेयी को जोईनिंग़ कमेटी के इंचार्ज के तौर पर लोगों को पार्टी में शामिल कराने की ज़िम्मेदारी थी. ये इसलिए भी जरूरी था कि जिन क्षेत्रों में बीजेपी पिछली बार हार जीत का मार्जिन कम था वहां पार्टी को दूसरे दलों के उन चेहरों की भी ज़रूरत थी जिनके ऊपर भरोसा कर जीत सुनिश्चित की जा सके. लक्ष्मीकान्त वाजपेयी ने ये काम कुछ यूं किया कि पिछले डेढ़ महीने में कोई दिन ऐसा नहीं रहा जब कुछ लोगों की जोईनिंग़ पार्टी में न हुई हो. इसमें जहां मुलायम सिंह यादव की छोटी बहू अपर्णा यादव और साढ़ू प्रमोद गुप्ता शामिल रहे. वहीं पूर्व आई पी एस अधिकारी असीम अरुण और राजेश्वर सिंह जैसे अधिकारियों की जोईनिंग की भी बहुत चर्चा रही. स्वामी प्रसाद मौर्य, धर्म सिंह सैनी जैसे मंत्रियो के पार्टी छोड़ने की वजह से नयी जोईनिंग बहुत महत्वपूर्ण हो गयी.
7) विजय बहादुर पाठक(उपाध्यक्ष, प्रभारी महिला मोर्चा)
इस बार बीजेपी की जीत में महिलाओं की बड़ी भूमिका रही. महिलाओं के जाति, क्षेत्र से अलग हटकर बीजेपी के लिए वोट किया. महिलाओं की सक्रियता को भांपते हुए इस बार कई नयी बातें शामिल की गयीं. पहली बार मंडल तक महिला मोर्चा की टीम का गठन किया गया. प्रदेश में 1लाख महिला पदाधिकारी बनायी गयीं. वहीं पहली बार अलग से महिला सम्पर्क अभियान भी चलाया गया. पहली बार दूसरे राज्यों की महिला कार्यकर्ताओं को प्रवासी कार्यकर्ता के रूप में हर विधानसभा में ज़िम्मेदारी दी गयी. कमल संवाद, कमल मेहेंदी जैसे कार्यक्रम किए गए जिससे उन महिलाओं के बीच सीधे सम्पर्क किया जा सके जो राजनीतिक कार्यक्रमों का हिस्सा नहीं बनती. केंद्रीय योजनाओं की लाभार्थी महिलाओं और राज्य सरकार के फैसलों को महिलाओं के हित में बताते हुए जो अभियान, कैम्पेन चलाए गए उनका सीधा असर चुनाव के नतीजों में दिख रहा है. इसकी ज़िम्मेदारी निभाने वाली महिलाओं की टीम को प्रभारी के तौर पर लीड करने वाले विजय बहादुर पाठक ने इस क्षेत्र में योजना से लेकर मॉनिटरिंग तक की जिम्मेदारी निभाई.
8) कामेश्वर मिश्रा, अंकित सिंह चंदेल
केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने लगातार लखनऊ में प्रवास कर एक-एक अभियान और सोशल मीडिया कैम्पेन पर ध्यान दिया. इस बार सोशल मीडिया और आई टी टीम के सामने समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के कई कैम्पेन को बेअसर करने की ज़िम्मेदारी थी. इसके लिए रोजाना सोशल मीडिया की बैठक न सिर्फ़ पार्टी कार्यालय में बल्कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के लखनऊ रहने पर उनके साथ भी नियमित रूप से होती थी.
कामेश्वर मिश्रा ने कोरोना काल में ‘सेवा ही संगठन’योजना के तहत जो वर्चुअल मीटिंग्स सफलतापूर्वक शुरू करायी उसका लाभ ये हुआ कि चुनाव आते आते बीजेपी डिजिटली इतनी मज़बूत हो गयी कि ज़िले और मंडल स्तर पर भी IT विभाग और सोशल मीडिया विभाग के संयोजक बन गए. जीत में अहम भूमिका निभाने वाले ये कार्यकर्ता भी रहे जो पार्टी की किसी भी बात या प्रचार को वायरल कर देते थे.