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BJP दिल्ली पर रखेगी नजर Delhi Secretariat से, किस मंजिल पर बैठेगा कौनसा मंत्री.. जानिए पूरा समीकरण

आम आदमी पार्टी सरकार के गिरने के बाद दिल्ली की भाजपा सरकार दिल्ली सचिवालय के काम करेगी. साथ ही किस मंजिल किस नेता को देनी है यह भी फैसला हो चुका है.

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दिल्ली में BJP की नई सरकार ने कामकाज संभाल लिया है. सरकार के लिहाज से मुख्यालय यमुना के किनारे ITO पर बना दिल्ली सचिवालय है. सचिवालय यूं तो 10 मंजिलां है लेकिन इन सारी मंजिलों पर सीढ़ी दर सीढ़ी सत्ता का समीकरण बदलता रहता है. जब दिल्ली की नई मुख्यमंत्री Rekha Gupta ने पिछले दिनों शपथ ग्रहण के ठीक बाद जाकर कामकाज संभाला तो तस्वीर अलग-अलग प्लेटफॉर्म पर छाई रहीं. आज कहानी इस दिल्ली सचिवालय की जिसके लिए पिछले दिनों विधानसभा चुनाव की लड़ाई लड़ी गई.

कैसे बदला दिल्ली के सीएम ऑफिस का स्वरूप
दिल्ली सचिवालय की तीसरी मंजिल पर दिल्ली का सीएम ऑफिस स्थित है. दूसरी मंजिल की लॉबी में मुख्यमंत्री समेत तमाम गणमान्य लोगों की गाड़ियां रूकती हैं. वहां से होते हुए चंद सीढ़ियों को चढ़कर आता है दिल्ली सरकार का सबसे पावरफुल सीएमओ. 

2013 तक जब तक Sheila Dikshit दिल्ली की मुख्यमंत्री थी. तब तक बहुत आम सा दिखने वाला मुख्यमंत्री कार्यालय केजरीवाल सरकार के दौरान हुए करोड़ों रुपए के रिनोवेशन के बाद अब अंदर तक चमचमाता हुआ दिखता है. आमतौर पर शीला दीक्षित सरकार की कैबिनेट मीटिंग इसी तीसरे फ्लोर पर हुआ करती थी. बाकी महत्वपूर्ण मीटिंग्स दूसरी मंजिल पर बने तीन कॉन्फ्रेंस हॉल्स में होती है. लेकिन Arvind Kejriwal जब तक मुख्यमंत्री रहे तब तक इस तीसरी मंजिल का महत्व थोड़ा कम हो गया क्योंकि मुख्यमंत्री कार्यालय के लोग बताते हैं कि तब मुख्यमंत्री सचिवालय कम ही आते थे. ज्यादातर कामकाज सिविल लाइंस में मुख्यमंत्री आवास से ही चलता था और महत्वपूर्ण मीटिंग्स वहीं पर बुला ली जाती थीं.

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हर मंजिल पर बदलता है सत्ता का गणित
दिल्ली सचिवालय की फ्लोर दर फ्लोर संरचना भी काफी रोचक है. तीसरी मंजिल के बाद चौथे और पांचवें फ्लोर पर किसी मंत्री का दफ्तर नहीं है. चौथी मंजिल पर दिल्ली का वित्त और विजिलेंस विभाग हैं वहीं पांचवी मंजिल पर दिल्ली के मुख्य सचिव यानी चीफ सेक्रेटरी का दफ्तर और साथ ही PWD के सचिव का ऑफिस है.

छठे, सातवें और आठवें फ्लोर पर मंत्रियों के दफ्तर बने हुए हैं. दिल्ली में चूंकि मुख्यमंत्री के अलावा 6 मंत्री ही होते हैं तो शीला दीक्षित कार्यकाल तक इन फ्लोर पर दो-दो मंत्रियों के ऑफिस होते थे. लेकिन केजरीवाल सरकार में यह स्ट्रक्चर भी बदल गया. दिल्ली में पहली बार उपमुख्यमंत्री पद बना जिस पर मनीष सिसोदिया काबिज़ रहे. उन्होंने छठी मंजिल पर बने दो मंत्रियों के दफ्तर में अकेला काम करना शुरू किया. जाहिर सी बात है उनके पास 18 विभागों की जिम्मेदारी भी थी. इसकी वजह से सातवीं मंजिल पर दो की जगह तीन मंत्रियों को एडजस्ट करवाया गया.

इस बार कैसा है मंत्रियों के बीच फ्लोर का बंटवारा
दिल्ली में 27 साल बाद भाजपा सरकार बनी तो पहली बार दिल्ली सचिवालय में किसी बीजेपी के मुख्यमंत्री ने पैर रखा. क्योंकि 1998 से पहले दिल्ली का सचिवालय आईटीओ से नहीं बल्कि दिल्ली विधानसभा से ही चला करता था. अब चूंकि छठे फ्लोर पर सिर्फ एक ही मंत्री का कार्यालय पिछली सरकार के बाद से चल रहा है तो वह बड़ा दफ्तर प्रवेश साहिब सिंह वर्मा को मिला. 

सातवीं मंजिल पर पहले की ही तरह तीन मंत्रियों को जगह दी गई है. ये मंत्री हैं आशीष सूद, डॉ पंकज सिंह और रविंद्र इंद्रराज. आठवीं मंजिल पर मनजिंदर सिंह सिरसा और कपिल मिश्रा को जगह मिली है. हालांकि कुछ मंत्रियों को इस फ्लोर बंटवारे पर भी निजी कारणों से कुछ ऐतराज है, इसलिए संभव है कि आने वाले दिनों में यह बदल भी सकता है.

कैसे बना मौजूद सचिवालय का स्वरूप
दरअसल आज जो सचिवालय की बिल्डिंग है उसे सरकारी दफ्तर नहीं बल्कि एक होटल की तर्ज पर बनाया गया था. इस बिल्डिंग का शुरुआती नाम प्लेयर्स बिल्डिंग रखा गया. साल 1982 में जब दिल्ली में एशियन गेम्स आयोजित किए गए थे तब इसे इंदिरा गांधी स्टेडियम के ठीक बगल में खिलाड़ियों के लिए बनवाया गया था. लेकिन गेम्स के बीत जाने के लगभग डेढ़ दशक बाद तक यह बिल्डिंग सिर्फ ढांचा बनी रही. साल 1997 में इसे केंद्र सरकार ने दिल्ली सरकार को लगभग 40 करोड़ में बेच दिया. यह सचिवालय लगभग साढे चार एकड़ जमीन पर बना है जिसमें कवर्ड एरिया 40 हज़ार स्क्वायर फीट का है.