चंडीगढ़ मेयर चुनाव (Chandigarh Mayor Election) में धांधली के मामले में सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. मेयर चुनाव में धांधली की शिकायत पर अदालत ने सख्त रुख अपनाते हुए नए सिरे से मेयर का चुनाव कराए जाने के निर्देश दिए हैं. मेयर चुनाव में धांधली करने वाले रिटर्निंग अधिकारी अनिल मसीह ने सुप्रीम कोर्ट में स्वीकार किया कि उन्होंने बैलेट पेपर पर निशान लगाकर उन्हें अवैध घोषित किया. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में बड़ी टिप्पणी करते हुए रिटर्निंग अधिकारी पर केस चलाने को कहा है.
कोर्ट ने क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट ने बैलेट पेपर खराब करने को लेकर सख्त रुख अपनाया है. कोर्ट ने पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट से चुनाव के बैलेट पेपर तलब किए हैं. शीर्ष अदालत ने पर्याप्त सुरक्षा के साथ बैलेट पेपर लाने को कहा है. साथ ही मतगणना का पूरा वीडियो भी तलब किया है. मंगलवार दो बजे फिर से मामले में सुनवाई होगी.
हालांकि, शीर्ष अदालत में सुनवाई से पहले ही बीजेपी के नए मेयर मनोज सोनकर ने इस्तीफा दे दिया है. इतना ही नहीं, चंडीगढ़ में एक और बड़ा सियासी घटनाक्रम हुआ है. चंडीगढ़ में आम आदमी पार्टी के 3 पार्षदों ने पाला बदल लिया है और बीजेपी का दामन थाम लिया है. ऐसे में एक बार फिर चंडीगढ़ मेयर चुनाव को लेकर समीकरण बदल गए हैं. अब सुप्रीम कोर्ट ने फिर से चुनाव कराने के आदेश दिए हैं, ऐसे में किस पार्टी का पलड़ा भारी रहेगा? कौन मेयर बनेगा? चलिए इन तमाम सवालों के जवाब ढूंढने की कोशिश करते हैं.
आपको बता दें कि कांग्रेस और आम आदमी पार्टी गठबंधन के मेयर उम्मीदवार कुलदीप कुमार ने याचिका दायर की थी. कुलदीप कुमार ने अनिल मसीह पर वोटिंग में धोखाधड़ी का आरोप लगाया था.
मेयर मनोज सोनकर का इस्तीफा-
सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई से पहले ही मेयर मनोज सोनकर ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. मनोज सोनकर ने निगम आयुक्त को अपना इस्तीफा सौंपा है. पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट के आदेश पर 30 जनवरी को सीसीटीवी की निगरानी में चुनाव हुए थे. इसमें मनोज सोनकर विजयी घोषित हुए थे. हालांकि इस चुनाव को लेकर कांग्रेस-AAP के उम्मीदवार ने धांधली के आरोप लगाए थे. फिलहाल ये मामला सुप्रीम कोर्ट में है.
3 पार्षदों ने बदला पाला-
मेयर चुनाव में धांधली को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होने वाली है. उधर, सियासी बदलाव भी हो रहे हैं. आम आदमी पार्टी के 3 पार्षदों ने पाला बदल लिया है. इन पार्षदों ने बीजेपी का दामन थाम लिया है. इसमें पूनम देवी, नेहा मुसावट और गुरचरण काला का नाम शामिल है. इन पार्षदों के पाला बदलने से कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के गठबंधन की स्थिति कमजोर हुई है और बीजेपी मजबूत हुई है.
अब क्या है समीकरण-
आम आदमी पार्टी के 3 पार्षदों के पाला बदलने के बाद समीकरण पूरी तरह से बदल गए हैं. चंडीगढ़ नगर निगम में कुल 35 पार्षद हैं. इसके अलावा एक वोट सांसद का होता है. ऐसे में कुल वोट 36 हुए. AAP के 3 पार्षदों के पाला बदलने से बीजेपी के पास पार्षदों की संख्या 17 हो गई है. इसके अलावा एक सांसद का वोट भी बीजेपी के पास है. इसके अलावा अकाली दल के एक पार्षद का समर्थन भी बीजेपी को है. ऐसे में बीजेपी के पास कुल 19 वोट हैं. जबकि आम आदमी पार्टी के पास सिर्फ 10 और कांग्रेस के पास 7 वोट रह गए हैं. इस तरह से इस गठबंधन के पास सिर्फ 17 वोट हैं. मेयर चुनने के लिए 18 वोट चाहिए. जबकि बीजेपी खेमे के पास 19 वोट हैं. ऐसे में अगर फिर से चुनाव हुए तो बीजेपी का मेयर चुना जाना तय है.
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