
दिल्ली में विधानसभा चुनाव के रुझानों से एक बात साफ हो गई है कि दिल्ली में 27 साल बाद बीजेपी की सत्ता वापसी होने जा रही है. अब पूरा फोकस इस बात है कि मुख्यमंत्री पद की शपथ कौन लेता है? क्योंकि इस राज्य में भी बीजेपी ने मोदी के नाम पर ही चुनाव लड़ा था. अब परिणामों के बाद किसके नाम की पर्ची खुलती है, ये तो वक्त ही बताएगा. लेकिन हम एक बात की तरफ आपका ध्यान आकर्षित करना चाहते हैं कि भले ही दिल्ली की जंग बीजेपी ने जीत ली हो और इस जंग में अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया जैसे कद्दावर नेताओं को धूल चटा दी हो, लेकिन दिल्ली की राजनीति की कुछ बातें ऐसी भी हैं, जो बीजेपी के लिए आगे परेशानी का सबब भी बन सकती हैं.
तो आइए पहले आपको समझाते हैं कि हमारे ऐसा कहने के पीछे का तर्क क्या है? दरअसल देश में 18 राज्य ऐसे हैं, जहां बीजेपी और उसके गठबंधन की सरकार है. यानी यहां की जनता ने भी बीजेपी को ही वोट किया है और अपने हितों की रक्षा के लिए उनके हक में इच्छा दिखाई है. तो आने वाले समय में ये राज्य भी दिल्ली में चलाई जा रही जनहितकारी योजनाओं को अपने-अपने राज्यों में लागू करने की मांग उठा सकते हैं.
हिंदी भाषी राज्यों की बात करें तो उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड और हरियाणा में बीजेपी सरकार है. इसके अलावा अन्य बड़े राज्यों में महाराष्ट्र, गुजरात, गोवा और ओडिशा में बीजेपी की सरकार है. दक्षिण में आंध्र प्रदेश एक मात्र राज्य है, जहां बीजेपी गठबंधन में है. पूर्वोत्तर राज्यों में असम, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर और त्रिपुरा में बीजेपी की सरकार है, जबकि मेघालय और नगालैंड में बीजेपी गठबंधन सत्ता में है.
लोकलुभावने वादे ही BJP के लिए बन सकते हैं मुसीबत-
दिल्ली में बीजेपी ने अपने घोषणा पत्र में कई लोकलुभावने वादे किए हैं. लेकिन उसका पूरा करना आसान नहीं है. चलिए उन वादों के बारे में बताते हैं.
गरीब महिलाओं को हर महीने 2500 रुपए-
दिल्ली में बीजेपी ने अपने संकल्प पत्र में यह ऐलान किया था कि सरकार बनने पर राज्य की गरीब महिलाओं को हर महीने 2500 रुपये मिलेंगे. अब अगर दिल्ली की गरीब महिलाओं को 2500 रुपये मिलेंगे, तो क्या उसके आसपास के बीजेपी शासित राज्यों जैसे- यूपी, हरियाणा, उत्तराखंड, राजस्थान की गरीब महिलाएं इस बात को मुद्दा नहीं बनाएंगी कि जब एक ही देश है, एक ही पार्टी की सरकार है, एक ही पार्टी के वोटर हैं तो उनको ऐसी सुविधा क्यों नहीं?
बिहार में भी विधानसभा चुनाव सन्निकट है, ऐसे में पार्टी पर भारी दबाव होगा कि वहां भी ऐसी योजना लागू की जाएं, वहां की जनता भी बीजेपी गठबंधन से ऐसे सवाल कर सकती है.
10 लाख का मुफ्त इलाज-
देश में सस्ता इलाज एक सपना ही है. इसी बात को ध्यान में रखते हुए बीजेपी ने अपने संकल्प पत्र में इस बाद का ऐलान किया कि दिल्ली के लोगों को 10 लाख रुपये तक का मुफ्त इलाज का लाभ भी मिलेगा. बीजेपी ने कहा था कि 5 लाख रुपये तक इलाज आयुष्मान योजना और बाकी 5 लाख रुपये दिल्ली में बीजेपी की सरकार देगी. इसके अलावा ओपीडी सुविधाएं और लैब टेस्ट भी मुफ्त करने का वादा किया गया है.
अब बाकी के बीजेपी शासित राज्यों में भी इस योजना की डिमांड बढ़ेगी. आयुष्मान योजना भले ही पूरे देश में लागू हो, लेकिन अगर एक ही पार्टी की सरकार एक राज्य में 5 लाख का मुफ्त इलाज मुहैया करा सकती है तो ऐसा ही कुछ करने का दबाव बाकी बीजेपी शासित राज्यों पर भी होगा.
युवाओं को 15 हजार रुपये आर्थिक मदद-
बीजेपी के संकल्प पत्र में कहा गया है कि दिल्ली में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले युवाओं को 15 हजार रुपये की आर्थिक मदद दी जाएगी. ये योजना भी ऐसी है जिसकी डिमांड हर राज्य में उठ सकती है. बेरोजगार युवकों की बढ़ती जमात इस मांग का पुरजोर समर्थन कर सकती है. इसके अलावा बीजेपी ने यह भी दावा किया था कि दिल्ली में एससी और एसटी छात्रों को हर महीने 1000 रुपये की मदद मिलेगी. यह मांग भी सभी बीजेपी शासित राज्यों में उठ सकती है.
एलपीजी सिलेंडर पर 500 रुपये की सब्सिडी-
बीजेपी के संकल्प पत्र में महिला समृद्धि योजना के तहत कहा गया है कि दिल्ली में बीजेपी सत्ता में आई तो गरीब महिलाओं को एलपीजी सिलेंडर पर 500 रुपये की सब्सिडी दी जाएगी. इस सब्सिडी की मांग भी आने वाले समय में बीजेपी शासित अन्य राज्यों में उठ सकती है, क्योंकि एलपीजी सिलेंडर एक ऐसी चीज है जो हर परिवार से सीधा जुड़ता है.
21,000 रुपये का मातृत्व लाभ-
बीजेपी के संकल्प पत्र में महिलाओं से जुड़ी एक और बड़ी योजना का ऐलान हुआ था. बीजेपी ने कहा है कि जीतने के बाद वह दिल्ली में गर्भवती महिलाओं को 21 हजार रुपये की आर्थिक मदद उपलब्ध कराएगी. इस वादे को भी अन्य बीजेपी शासित राज्यों में लागू करने की मांग उठ सकती है.
(कौशलेंद्र बिक्रम सिंह की रिपोर्ट)
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