
Delhi Assembly Election 2025: दिल्ली में इस समय सियासी पारा चरम पर है. दिल्ली विधानसभा की कुल 70 सीटों के लिए 5 फरवरी को चुनाव होना है. वोटों की गिनती 8 फरवरी 2025 को होगी और नतीजे भी उसी दिन घोषित किए जाएंगे. इस बार कुल 699 उम्मीदवार चुनावी मैदान में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं.
दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 (Delhi Assembly Election 2025) में मुख्य मुकाबला भारतीय जनता पार्टी (BJP), आम आदमी पार्टी (AAP) और कांग्रेस (Congress) में है. दिल्ली चुनाव के साथ सियासी किस्से भी इस समय याद किए जा रहे हैं. आज हम आपको एक ऐसे युवा की कहानी बताने जा रहे हैं, जो 34 साल की उम्र में दिल्ली के सीएम बन गए थे. जी हां, हम बात कर रहे हैं दिल्ली के पहले मुख्यमंत्री चौधरी ब्रह्म प्रकाश यादव की, जो शेर-ए-दिल्ली और मुगले-आजम के नाम से भी मशहूर थे.
कौन थे चौधरी ब्रह्म प्रकाश यादव
चौधरी ब्रह्म प्रकाश का जन्म 16 जून 1918 को केन्या में हुआ था. हालांकि उनके पूर्वज हरियाणा के रेवाड़ी (तब अविभाजित पंजाब) के रहने वाले थे. ब्रह्म प्रकाश के पिता का नाम चौधरी भगवान दास था. ब्रह्म प्रकाश जब 13 साल के थे, तब उनके माता-पिता दिल्ली लौट आए थे. वे लोग दिल्ली के शकूरपुर गांव में बस गए थे.
ब्रह्म प्रकाश ने दिल्ली से पढ़ाई-लिखाई की. उन्होंने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के भारत छोड़ो आंदोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया. वह कई बार जेल भी गए. ब्रह्म प्रकाश को 1943 में दो साल की सजा हुई थी. उन्हें सेंट्रल जेल के बाद फिरोजपुर जेल में रखा गया था. बाद में वो बाहर आए और अंग्रेजों के खिलाफ बगावत जारी रखी.
कांग्रेस से की थी सियासी जीवन की शुरुआत
चौधरी ब्रह्म प्रकाश यादव ने अपने सियासी जीवन की शुरुआत कांग्रेस से की थी लेकिन बाद में वह जनता पार्टी में चले गए थे. दिल्ली में पहला विधानसभा चुनाव मार्च 1952 में हुआ था. उस समय असेंबली में 48 सीटें हुआ करती थीं. 10 पार्टियों (अखिल भारतीय भारतीय जनसंघ (BJS), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, फॉरवर्ड ब्लॉक (मार्क्सवादी), अखिल भारतीय हिन्दू महासभा, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, किसान मजदूर प्रजा पार्टी, अखिल भारतीय राम राज्य परिषद्, रेवोल्यूशनरी सोर्शा पार्टी, आल इंडिया शिडूल्यड कॉस्ट फेडरेशन, सोशलिस्ट पार्टी) ने उम्मीदवार उतारे थे.
36 विधानसभा क्षेत्र ऐसे थे जहां से एक-एक विधायक चुने गए लेकिन 6 विधानसभा क्षेत्र ऐसे भी थे जहां से एक नहीं, बल्कि 2-2 विधायक चुने गए थे. सरकार बनाने के लिए 25 सीटों पर जीत जरूरी थी. कांग्रेस ने 39 सीटों पर जीत दर्ज की थी. बीजेपी के पूर्ववर्ती भारतीय जन संघ ने पांच, सोशलिस्ट पार्टी ने दो, हिंदू महासभा और निर्दलीय ने 1-1 सीटों पर जीत हासिल की थी. नांगलोई सीट से कांग्रेस उम्मीदवार चौधरी ब्रह्म प्रकाश ने जीत दर्ज की थी.
ब्रह्म प्रकाश ऐसे बने थे दिल्ली के पहले सीएम
दिल्ली विधानसभा चुनाव 1952 में कांग्रेस की बहुमत आने के बाद लाला देशबंधु गुप्ता मुख्यमंत्री बनाए जाने थे. वह कांग्रेस विधायक दल के नेता चुने गए थे लेकिन सीएम पद की शपथ से पहले ही लाला देशबंधु का निधन हो गया. उसके बाद चौधरी ब्रह्म प्रकाश की किस्मत चमकी. वह कांग्रेस विधायक दल के नए नेता चुने गए और महज 34 साल की उम्र में उन्होंने 17 मार्च 1952 को दिल्ली के पहले मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी.
चौधरी ब्रह्म प्रकाश 17 मार्च 1952 से फरवरी 1955 तक सिर्फ तीन साल ही दिल्ली के सीएम रहे. जब 1955 में गुड़ घोटाला सामने आया तो ब्रह्म प्रकाश को 12 फरवरी 1955 को इस्तीफा देने के लिए मजबूर होना पड़ा था. उनके बाद कांग्रेस के ही सरदार गुरुमुख निहाल सिंह 13 फरवरी 1955 को सीएम बने थे, जो 1956 तक अपने पद पर रहे. उसके बाद दिल्ली की अंतरिम विधानसभा भंग हो गई और उसकी जगह पर दिल्ली मेट्रो काउंसिल का जन्म हुआ. काउंसिल के अगुआ लेफ्टिनेंट गवर्नर थे और उसकी भूमिका सिर्फ सलाहकार की थी.
दो बार चुने गए सांसद
ब्रह्म प्रकाश ने इमर्जेंसी के बाद 1977 में जनता पार्टी से जुड़ गए थे. 1979 में जब जनता दल में विघटन हुआ तो वह चौधरी चरण सिंह धड़े के साथ आ गए थे. उन्होंने दो बार लोकसभा चुनाव में भी जीत दर्ज की थी. वह चौधरी चरण सिंह की सरकार में केंद्रीय कृषि मंत्री भी रहे थे. साल 2001 में चौधरी ब्रह्म प्रकाश की याद में भारत सरकार ने डाक टिकट भी जारी किया था. चौधरी ब्रह्म प्रकाश अपनी सादगी के लिए मशहूर थे. उनके बारे में कहा जाता था कि वह किसी वाहन से नहीं, बल्कि आम लोगों की तरह बसों में यात्रा करते थे और वहां आम लोगों से संवाद भी करते थे. चौधरी ब्रह्म प्रकाश का निधन साल 1993 में हो गया.