देश के कई राज्यों में विधानसभा चुनावों की तैयारी चल रही है. इस कड़ी में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव की शुरुआत 10 फरवरी से हो रही है. 10 फरवरी को पहले चरण का मतदान होगा. लेकिन इस बार के चुनाव और मतदान सामान्य नहीं हैं.
इसका मुख्य कारण है कोरोना महामारी. कोरोना महामारी के कारण पिछले दो सालों में न सिर्फ रहन-सहन बल्कि कई बड़े इवेंट्स जैसे चुनाव प्रचार, वोटिंग आदि करने के तरीकों में भी तब्दीली आई है. उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में कोरोना से सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए चुनाव आयोग ने एक अहम फैसला किया है.
मिला घर से मतदान करने का मौका:
जी हां, उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनावों में मतदान के लिए चुनाव आयोग ने 80 साल से ज्यादा उम्र के बुजुर्गों, दिव्यांगों और कोविड-19 संक्रमित मरीजों को घर से मतदान करने का मौका दिया है. आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश में ऐसे लगभग 24 लाख मतदाता हैं जो इन केटेगरी में आते हैं.
चुनाव आयोग की सिफारिश पर, कानून और न्याय मंत्रालय ने चुनाव नियम, 1961 में संशोधन किया था. जिसमें वरिष्ठ नागरिकों और विकलांग व्यक्तियों को 2019 में अनुपस्थित मतदाता सूची में शामिल करने की अनुमति दी गई थी.
सिर्फ 10 हजार वोटर्स ने चुना विकल्प:
हालांकि, चुनाव आयोग के 5 फरवरी तक के डेटा के मुताबिक सिर्फ 10 हजार लोगों ने इस सुविधा को वोटिंग के लिए चुना है. जी हां, 24 लाख में से सिर्फ 10 हजार ऐसे वोटर्स हैं जो इस विकल्प से वोट डालने के इच्छुक हैं. चुनाव आयोग के आंकड़ों के हिसाब से घर से मतदान करने का विकल्प चुनने वाले 10 हजार वोटर्स में 7,396 नागरिक 80 वर्ष से अधिक आयु के हैं, जबकि 3,312 वोटर्स दिव्यांग श्रेणी में आते हैं.
उत्तर प्रदेश में पहली बार घर से मतदान करने का विकल्प मिला है. लेकिन ऐसा लग रहा है कि यह पहल विफल हो सकती है क्योंकि बहुत कम लोग इस सुविधा के लिए आगे आये हैं. और बहुत से लोगों का दावा है कि उन्हें इस तरह घर से मतदान कर सकने की सुविधा के बारे में कोई जानकारी ही नहीं है.
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