यूपी, पंजाब, गोवा, उत्तराखंड और मणिपुर में अगली विधानसभा की तस्वीर साफ होने जा रही है. हार या जीत किसी भी पार्टी की हो लेकिन इन नतीजों से काफी कुछ प्रभावित होने वाला है. हालांकि हर बार की तरह इस बार भी ईवीएम हैकिंग जैसे मुद्दे उठने लगे हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि ईवीएम (Electronic Voting Machine) को काफी सुरक्षित जगह रखा जाता है. इसमें बड़ा साथ होता है स्ट्रांग रूम (Strong Room) का. मतदान की प्रक्रिया पूरी होने के बाद EVM और VVPAT मशीनें स्ट्रॉन्ग रूम में रखी जाती हैं.
आपको बता दें ये कोई आम कमरे नहीं होते हैं. इन कमरों में ईवीएम और वीवीपीएटी मशीनों की सुरक्षा की जाती है और इसके लिए थ्री-लेयर सिस्टम बनाया जाता है. चुनाव आयोग इन स्ट्रॉन्ग रूम्स को नियंत्रित करता है.
चलिए जानते हैं कि आखिर इनमें क्या खास होता है? इनसे जुड़े नियम क्या हैं और इनकी रखवाली कैसे की जाती है?
डबल लॉक सिस्टम में किया जाता है सील
दरअसल, भारतीय चुनावों में स्ट्रॉन्ग रूम ऐसे कमरे होते हैं जहां मतदान के दौरान ईवीएम (Electronic Voting Machine) और वीवीपीएटी (Voter Verifiable Paper Audit Trail) जमा होते हैं. उम्मीदवारों और चुनाव आयोग के आब्जर्वर की मौजूदगी में इन कमरों को डबल लॉक सिस्टम में सील कर दिया जाता है. इनकी निगरानी सीसीटीवी से की जाती है और साथ में केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों के सुरक्षा कर्मी इसकी देखरेख करते हैं.
क्या होता है पूरा प्रोसेस?
अगर इस पूरे प्रोसेस की बात करें तो मतदान के दिन, उम्मीदवारों के पोलिंग एजेंट को कुल वोट, सील (यूनिक नंबर), पोलिंग स्टेशन पर जो ईवीएम और वीवीपीएटी हैं, उनके विवरण वाले फॉर्म -17 सी की एक कॉपी दी जाती है. मतदान पूरा होने के बाद, ईवीएम और वीवीपीएटी को इन एजेंटों की उपस्थिति में ही सील कर दिया जाता है. यही नहीं बल्कि सील पर पोलिंग एजेंट के हस्ताक्षर भी लिए जाते हैं. फिर आखिर में, मतदान की गई ईवीएम और वीवीपैट को उम्मीदवारों/उनके प्रतिनिधियों की उपस्थिति में ही डबल लॉक सिस्टम में रखने के लिए स्ट्रॉन्ग रूम में ले जाया जाता है.
क्या होता है गिनती के दिन
गिनती के दिन उम्मीदवारों, रिटर्निंग ऑफिसर और एक चुनाव आयोग के आब्जर्वर की मौजूदगी में स्ट्रांग रूम खोला जाता है. लगातार सीसीटीवी कवरेज के तहत स्ट्रॉन्ग रूम से राउंड-वाइज काउंटिंग यूनिट को काउंटिंग टेबल पर लाया जाता है. ईवीएम और वीवीपीएटी को चुनाव याचिका का समय पूरा होने तक उम्मीदवारों/उनके प्रतिनिधियों की उपस्थिति में स्ट्रॉन्ग रूम में वापस रखा जाता है.
स्ट्रॉन्ग रूम की सिक्योरिटी कैसे होती है?
-चुनाव आयोग की गाइडलाइन के मुताबिक, स्ट्रॉन्ग रूम में केवल एक ही दरवाजा होना चाहिए. अगर उस कमरे में दूसरा दरवाजा है तो उसे किसी भी चीज से सील किया जाना चाहिए.
-स्ट्रॉन्ग रूम में डबल लॉक सिस्टम होना चाहिए. इसमें दरवाजे की एक चाबी उस कमरे के इंचार्ज पर होनी चाहिए और दूसरी चाबी किसी एडीएम रैंक से ऊपर के अधिकारी के पास होनी चाहिए.
-आग और बाढ़ से निपटने के लिए सारे इंतजाम होने चाहिए.
-24 घंटे उस कमरे के सामने सीएपीएफ गार्ड होना चाहिए.
-स्ट्रॉन्ग रूम 24 घंटे सीसीटीवी की निगरानी में होना चाहिए.
-सिक्योरिटी मैनेजमेंट और निगरानी के लिए पुलिस ऑफिसर के साथ एक गैज़ेटेड ऑफिसर जरूर होने चाहिए. इनका काम बीच-बीच में आकर उस कमरे की निगरानी करना होगा.
क्या कहीं भी बनाया जा सकता है स्ट्रॉन्ग रूम?
जी नहीं, स्ट्रॉन्ग रूम ऐसे ही किसी भी बिल्डिंग में नहीं बनाया जा सकता है. इसके लिए सरकारी बिल्डिंग होनी जरूरी होती है. इस सरकारी बिल्डिंग को पहले से ही चुन लिया जाता है. इसे पोलिंग बूथ, राजनीतिक पार्टियों और पुलिस आदि से दूरी के हिसाब से चुना जाता है. रिटर्निंग ऑफिसर खुद सभी प्रत्याशियों को लिखित में इस जगह की जानकारी देता है.
थ्री टियर सिस्टम से होती है सिक्योरिटी
किसी भी स्ट्रॉन्ग रूम को थ्री-टियर सिस्टम से सिक्योर किया जाता है. इसमें पहले टियर में सीएपीएफ गार्ड होते हैं. दूसरे टियर में राज्य की पुलिस फोर्स होती है. इसके अलावा, तीसरे टियर में डिस्ट्रिक्ट एग्जीक्यूटिव फोर्स होती है.
आपको बता दें, स्ट्रॉन्ग रूम में किसी भी मंत्री या फिर दूसरे अधिकारी को जाने की अनुमति नहीं होती है. वे अपनी गाड़ी लेकर इस पैरामीटर को क्रॉस नहीं कर सकते हैं. उन्हें भी इस अंदरूनी घेरे में पैदल ही जाना होता है.