उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव के आखिरी दो चरणों में बाजी पूर्वांचल में पहुंच चुकी है. बलिया में छठे और काशी सहित पूर्वांचल की कई सीटों पर मतदान होना है. पूर्वांचल क्षेत्र से इस बार कई नामी-गिरामी बाहुबली मैदान में हैं. कुछ खुद चुनाव लड़ रहे हैं तो कइयों ने अपनी अगली पीढ़ी को रण में उतारा है.
यह देखना बहुत दिलचस्प होगा कि चुनाव में इन बाहुबलियों का दम दिखेगा या जनता उन्हें नकार देगी. हालांकि फिलहाल ये पूरे तन-मन और धन से प्रचार में जुटे हुए हैं.
वाराणसी, भदोही, गाजीपुर, जौनपुर, आजमगढ़ जैसी कई महत्वपूर्ण सीटों पर दांव लगा है. अब देखना यह है कि जनता के दरबार में किसी किस्मत पलटती है.
इन बाहुबलियों ने लगाया है दांव:
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धंनजय सिंह जदयू की टिकट पर मल्हनी से मैदान में उतरे हैं. वह पहले भी विधायक और सांसद रह चुके हैं. हालांकि उनके लिए चुनाव जीतना आसान नहीं रहेगा. क्योंकि इस बार भी उनके सामने भाजपा के प्रत्याशी केपी सिंह रण में हैं.
बता दें कि 2014 में केपी सिंह ने उन्हें चुनाव में मात दी थी. और अब दोनों एक बार आमने-सामने हैं.
यूपी में बाहुबलियों का जिक्र हो और भदोही के विजय मिश्रा की बात न हो, यह सम्भव नहीं है. भदोही के ज्ञानपुर सीट से विधायक विजय मिश्रा को इस बार निषाद पार्टी ने टिकट नहीं दिया है. इसलिए वह प्रगतिशील मानव समाज पार्टी की तरफ से चुनाव मैदान में उतरे हैं.
फिलहाल वह जेल में हैं और वहीं से अपनी चुनावी कमान संभाल रहे हैं. इस सीट से सपा ने अपने प्रत्याशी रामकिशोर बिंद को उतारा है. और यह बिंद बहुल इलाका है. इसलिए विजय मिश्रा का जीतना आसान नहीं रहेगा.
इन बाहुबलियों ने मैदान में उतारा अगली पीढ़ी के धुरंधरों को:
कई बाहुबलियों ने अपने बेटों तो किसी ने अपने भतीजों को चुनाव में उतारा है. इस बार अगली पीढ़ी पर दांव लगा रहे लोगों में गोरखपुर से हरिशंकर तिवारी, गाजीपुर से मुख़्तार अंसारी तो शिवपुर से ओपी राजभर जैसे बाहुबली शामिल हैं.
देखना यह है कि क्या यह नई पीढ़ी उनकी साख को कायम रख पाती है या अपने प्रतिद्वंदियों के आगे ढेर हो जाती है.
बाहुबली नेता हरिशंकर तिवारी के बेटे विनय शंकर तिवारी चिल्लूपार विधानसभा सीट से अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. बता दें कि हरिशंकर तिवारी 22 साल तक विधायक रहे हैं. उत्तर प्रदेश की राजनीती में कई बार मंत्री रह चुके हैं. और अब उनके बेटे विनय शंकर तिवारी मैदान में हैं.
बताया जाता है कि इस सीट पर 37 सालों से ब्राह्मणों का कब्जा रहा है. और इस बार भी विनय शंकर तिवारी की कोशिश इस इतिहास को बनाए रखने की है.
मुख्तार अंसारी ने इस बार अपने बेटे अब्बास अंसारी पर दांव लगाया है. गाजीपुर जिले के मुख्तार अंसारी को पूर्वांचल के दबंग बाहुबलियों में शुमार किया जाता है. वह मऊ की सदर सीट से कई बार विधायक रह चुके हैं. हालांकि अभी उनकी किस्मत उनसे रूठी हुई है. क्योंकि वह पिछले लगभग एक दशक से जेल में ही हैं.
लेकिन उनका रुतबा बना हुआ है क्योंकि पिछली बार मऊ जिले में मोदी की रैली और बीजेपी की लहर के बावजूद मऊ सदर सीट से वह जीतने में कामयाब हो गए थे. इस बार देखना है कि क्या जनता दरबार उनके बेटे पात्र मेहरबान होगा.
पूर्वांचल में माफिया से माननीय बने ब्रजेश सिंह फिलहाल एमएलसी हैं. और उनका भतीजा सुशील सिंह चंदौली की सैयदराजा सीट से विधायक है. सुशील पहली बार चंदौली के धानापुर से विधायक बने थे. इसके बाद वह सैयदराजा से बीजेपी के विधायक हैं. इस बार वह चौथी बार मैदान में हैं और पांचवी बार चुनाव जीतने के लिए लिए पूरा जोर लगा रहे हैं. भतीजे को जिताने के लिए ब्रजेश ने भी पूरी ताकत लगा रखी है.
हालांकि, होगा वही जो जनता-जनार्दन चाहेगी. आपको बता दें कि 3 मार्च को छठे तो 7 मार्च को सातवें चरण के मतदान होने हैं. इसके बाद 10 मार्च 2022 को इन सभी दिग्गजों की किस्मत का फैसला सुना दिया जाएगा और साथ ही देश के सबसे बड़े राज्य को अपनी सरकार मिल जाएगी.