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जानिए बीजेपी का दामन थामकर राजनीति में उतरने वाले 'The Great Khali' की ग्रेट स्टोरी, कभी सड़कों पर तोड़ते थे पत्थर और फिर बने वर्ल्ड रेसलिंग चैंपियन

49 वर्षीय द ग्रेट खली फॉर्मर वर्ल्ड हैवीवेट चैंपियन हैं. उन्हें संयुक्त राज्य अमेरिका में 2021 के प्रतिष्ठित डब्ल्यूडब्ल्यूई हॉल ऑफ फेम क्लास में भी शामिल किया गया है. आज दुनियाभर में जाने जाने वाले द ग्रेट खली का सफर आसान नहीं रहा है. गुड न्यूज़ टुडे के साथ जानिए कैसे एक आम मज़दूर प्रोफेशनल रेसलिंग में वर्ल्ड चैंपियन बना और आज देश की सबसे बड़ी पॉलिटिकल पार्टी ने उन्हें अपना चेहरा बनाया है. 

खली ने ज्वाइन की बीजेपी पार्टी (साभार: द क्विंट) खली ने ज्वाइन की बीजेपी पार्टी (साभार: द क्विंट)
हाइलाइट्स
  • खली का असली नाम है दलीप सिंह राणा

  • कभी सड़कों पर करते थे पत्थर तोड़ने का काम

प्रोफेशनल पहलवान और वर्ल्ड रेसलिंग एंटरटेनमेंट (डब्ल्यूडब्ल्यूई) स्टार दलीप सिंह राणा अका ‘द ग्रेट खली’  गुरुवार को भाजपा में शामिल हो गए हैं. केंद्रीय मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता जितेंद्र सिंह ने इस मौके पर कहा, कि द ग्रेट खली का बीजेपी के साथ जुड़ना युवाओं को प्रेरित करेगा. 

बता दें कि 49 वर्षीय द ग्रेट खली फॉर्मर वर्ल्ड हैवीवेट चैंपियन हैं. उन्हें संयुक्त राज्य अमेरिका में 2021 के प्रतिष्ठित डब्ल्यूडब्ल्यूई हॉल ऑफ फेम क्लास में भी शामिल किया गया है. आज दुनियाभर में जाने जाने वाले द ग्रेट खली का सफर आसान नहीं रहा है. 

आज गुड न्यूज़ टुडे के साथ जानिए कैसे एक आम मज़दूर प्रोफेशनल रेसलिंग में वर्ल्ड चैंपियन बना और आज देश की सबसे बड़ी पॉलिटिकल पार्टी ने उन्हें अपना चेहरा बनाया है. 

कभी रास्ते पर तोड़ते थे पत्थर: 

खली का सफर हिमाचल प्रदेश के धीरैना नामक एक छोटे से गांव से शुरू होता है. छह भाई-बहनों के परिवार में पले-बढ़े खली ने गरीबी और पैसे की तंगी देखी. जिस कारण वह कभी स्कूल नहीं जा पाए और अपना पेट पालने के लिए वह मजदूरी करते थे. 

उन्होंने कभी खेतों में काम किया तो कभी सड़कों पर पत्थर तोड़ने का. लेकिन खली कभी भी मेहनत करने से नहीं घबराये.

बीमारी के कारण हुआ इतना बड़ा कद: 

साभार: स्पोर्ट्सकीड़ा

लेकिन इस संघर्ष में भी एक चीज खली के पक्ष में काम कर गई. और वह थी ‘एक्रोमेगाली’ नामक बीमारी. जिसमें इंसान का शरीर और कुछ अंग सामान्य से ज्यादा बड़े आकार के हो जाते हैं. लेकिन खली की लंबाई- 7 फ़ीट एक इंच उनके लिए वरदान साबित हुई. 

दरअसल, एक बार पंजाब से हिमाचल घूमने आये एक पुलिस अफसर ने खली को देखा तो उन्हें लगा कि अपनी कद-काठी के हिसाब से उन्हें पुलिस में होना चाहिए. इसलिए उन्होंने खली को स्पोर्ट्स कोटे के तहत पंजाब पुलिस में भर्ती दिलाई. 

पुलिस फाॅर्स में अपनी ड्यूटी के साथ-साथ खली फिजिकल फिटनेस पर भी ध्यान देने लगे. और इस दौरान उन्होंने वर्ल्ड रेसलिंग फेडरेशन का एक टेलीकास्ट देखा. साल 1998 में उन्होंने डब्ल्यूडब्ल्यूएफ के बारे में जाना और उन्हें लगा कि उन्हें यही करना चाहिए. 

नौकरी छोड़ शुरू की प्रैक्टिस: 

पंजाब पुलिस के कुछ अफसरों की मदद से खली को रेसलिंग की दुनिया में नाम बनाने का मौका मिल गया. ऐसे में उन्होंने नौकरी छोड़कर अपने सपने पर ध्यान दिया. यह बहुत बड़ा फैसला था लेकिन खली को खुद पर विश्वास था. और वह हेवर्ड पहुंच गए. 

यहां उन्होंने ऑल प्रो रेसलिंग अकादमी में रोलैंड अलेक्जेंडर के तहत प्रशिक्षण शुरू किया. अकादमी में रहना उनके लिए मुश्किल था. यहां उन्हें मात्र 10 फुट के कमरे में रहना पड़ता था और उनके पास कोई बेड नहीं था और सबसे बुरा था कि उन्हें भाषा समझ नहीं आती थी.  

अपने शुरुआती दिनों में खली सुपरमार्केट, बेसमेंट और स्कूल जिमनैजियम में कुश्ती करते थे. लेकिन धीरे-धीरे उन्हें बड़े मौके मिलने लगे. 

जब लगा ‘कातिल’ का टैग:  

हालांकि अपनी पहचान बनाना अभी भी उनके लिए मुश्किल था. साल 2001 में उन्हें बड़ा झटका लगा. क्योंकि उनके एक साथी पहलवान ब्रायन ओंग का उनसे रेसलिंग के दौरान निधन हो गया. हालांकि, ओंग पहले से ही बीमार थे लेकिन प्रशिक्षकों ने उन्हें कुश्ती की अनुमति दी. जिसके परिणामस्वरूप उनकी मृत्यु हो गई. 

साभार: स्पोर्ट्सकीड़ा

लेकिन रेसलिंग कम्युनिटी के बहुत से लोगों ने को उनकी मौत के लिए जिम्मेदार ठहराया. यह खली के लिए सदमे से कम नीं था लेकिन वह जानते थे कि उनकी गलती नहीं है. और इस कारण उन्हें आगे भी रेसलिंग का मौका मिलता रहा. 
 
उन्हें WCW, मैक्सिको और जापान में रेसलिंग का मौका मिला. इसके बाद वह एडम सैंडलर की 'द लॉन्गेस्ट यार्ड' में दिखाई दिए. यहां पर विंस मैकमोहन ने खली को देखा और उन्होंने खली को अपने रोस्टर में लाने में कोई समय बर्बाद नहीं किया. 

काली मां के भक्त हैं खली: 

उन्हें रेसलिंग की दुनिया में अपना नाम  'द ग्रेट भीम' यह 'द ग्रेट शिव' रखने का मौका मिला. लेकिन वह काली मां के भक्त हैं और उन्होंने अपना नाम काली रखा. लेकिन दूसरे देशों में उन्हें काली की बजाय खली बुलाए जाने लगा और इसलिए उनका नाम 'द ग्रेट खली' पड़ गया.

डेब्यू मैच में हराया अंडरटेकर को: 

खली ने अपना डेब्यू अंडरटेकर के साथ किया और मात्र 10 मिनट में उन्हें हरा दिया. और यहां से उनके शानदार करियर की शुरुआत हुई जो लगभग एक दशक तक चला. उन्होंने दुनिया भर में कुश्ती लड़ी और कंपनी में रहने के दौरान WWE वर्ल्ड हैवीवेट चैम्पियनशिप जीती. 

भारत में बॉलीवुड और टेलीविजन ने उन्हें काफी लोकप्रिय किया. साल 2014 में, खली ने अपना कॉन्ट्रैक्ट पूरा होने के बाद डब्ल्यूडब्ल्यूई के साथ भाग लिया.

अब चला रहे हैं अकादमी: 

इन दिनों खली जालंधर के पास अपनी कॉन्टिनेंटल रेसलिंग एंटरटेनमेंट एकेडमी चला रहे हैं. यह अकादमी युवा पहलवानों को तैयार करने में मदद करती है. इसके अलावा ह्यूस्टन में उनकी शराब की दुकान भी है, जिसे वह अपनी पत्नी हरमिंदर के साथ चलाते हैं. 

वह अभी सक्रिय रूप से कुश्ती नहीं कर रहे हैं, फिर भी खली देश और व्यवसाय में काफी मशहूर हैं. अब देखना यह होगा कि वर्ल्ड रेसलिंग में नाम कमाने वाले खली राजनीति की रेसलिंग में क्या कमाल दिखाते हैं.