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Gujarat Election 2022: मोदी से दोस्ती, फिर दुश्मनी... कांग्रेस के समर्थन से बने CM, जानिए बापू के नाम से मशहूर Shankar Singh Vaghela की कहानी

Shankar Singh Vaghela: गुजरात में बापू के नाम से मशहूर शंकर सिंह वाघेला 3 बार सांसद रहे हैं. वाघेला साल 1996 में गुजरात के मुख्यमंत्री बने. शंकर सिंह वाघेला गुजरात के ऐसे नेता हैं, जो बीजेपी और कांग्रेस दोनों के प्रदेश अध्यक्ष रहे हैं.

गुजरात के पूर्व सीएम शंकर सिंह वाघेला (फाइल फोटो) गुजरात के पूर्व सीएम शंकर सिंह वाघेला (फाइल फोटो)
हाइलाइट्स
  • साल 1977 में पहली बार सांसद बने वाघेला

  • बीजेपी और कांग्रेस दोनों के गुजरात अध्यक्ष रहे हैं वाघेला

गुजरात में चुनावी रणभेरी बज गई है. सियासी दल रणनीति तैयार करने में जुट गए हैं. सियासत की बिसात में बीजेपी से लेकर कांग्रेस तक के मोहरे सजने लगे हैं. हर दल अपना गढ़ मजबूत करना चाहते हैं. इसलिए एक दल से दूसरे दल में खिलाड़ियों का आना-जाना लगा हुआ है. इस बीच पूर्व सीएम शंकर सिंह वाघेला के कांग्रेस में शामिल होने की अटकलें लगाई जा रही हैं. उनके बेटे महेंद्र सिंह पहले ही कांग्रेस में शामिल हो गए हैं. शंकर सिंह वाघेला गुजरात के दिग्गज नेता रहे हैं. एक वक्त ऐसा भी आया था, जब वाघेला की वजह से नरेंद्र मोदी को सूबे से बाहर जाना पड़ा था. तो चलिए गुजरात में बापू के नाम से मशहूर शंकर सिंह वाघेला के किस्से बताते हैं.

वाघेला की सियासी पारी-
शंकर सिंह वाघेला का जन्म साल 1940 में 21 जुलाई को गुजरात के गांधीनगर में के वासन में हुआ. वाघेला की पढ़ाई-लिखाई गुजरात में ही हुई. उन्होंने गुजरात विश्वविद्यालय से मास्टर की पढ़ाई की. उसी दौरान वो आरएसएस के विचारों से प्रभावित हुए. उसके बाद वो आरएसएस से जुड़े और प्रचार बन गए. धीरे-धीरे सियासत की तरफ आकर्षित हुए. उन्होंने सियासी पारी की शुरुआत जनसंघ से की. बाद में जब जनसंघ जनता पार्टी में बदल गया तो वो जनता पार्टी में चले गए. जब जनता पार्टी का विभाजन हुआ तो बीजेपी में चले गए. साल 1980 में वाघेला गुजरात बीजेपी के महासचिव बनाए गए और बाद में पार्टी के राज्य अध्यक्ष बनाए गए. लेकिन वो बीजेपी से भी अलग हो गए. साल 1996 में वाघेला ने राष्ट्रीय जनता पार्टी की स्थापना की. इसके बाद वो गुजरात के मुख्यमंत्री भी बने. हालांकि बाद में उन्होंने अपनी पार्टी का कांग्रेस में विलय कर दिया. लेकिन वो कांग्रेस में भी ज्यादा दिन तक नहीं रह पाए साल 2017 में उन्होंने कांग्रेस पार्टी भी छोड़ दी. लेकिन एक बार फिर वो कांग्रेस से नजदीकियां बढ़ा रहे हैं. 

आपातकाल में गिरफ्तारी, फिर बने सांसद-
साल 1975 में देश में आपातकाल लगा दिया गया. उस वक्त शंकर सिंह वाघेला जनसंघ के आयोजन सचिव थे. आपातकाल के दौरान उनको भी गिरफ्तार कर लिया गया और जेल में डाल दिया गया. इमरजेंसी के बाद जब देश में चुनाव हुए तो साल 1977 में वाघेला पहली बार लोकसभा सदस्य बने. साल 1984 से 1989 तक वो राज्यसभा सांसद रहे. साल 2004 से 2009 तक यूपीए सरकार में केंद्रीय मंत्री रहे. 

कैसे सीएम बने शंकर सिंह वाघेला-
शंकर सिंह वाघेला साल 1996 में गोधरा से लोकसभा चुनाव हार गए. इसके बाद बीजेपी से उनकी राहें अलग हो गई. वाघेला ने राष्ट्रीय जनता पार्टी के नाम से नई बनाई. वाघेला की नई पार्टी और कांग्रेस ने मिलकर गुजरात में सरकार बनाई. शंकर सिंह वाघेला प्रदेश के मुख्यमंत्री बने. 23 अक्टूबर 1996 को वाघेला ने सीएम पद की शपथ ली. लेकिन उनका कार्यकाल एक साल से ज्यादा नहीं चल पाया. कांग्रेस से मतभेद बढ़ने लगा और आखिरकार 27 अक्टूबर 1997 को उनको सीएम पद से इस्तीफा देना पड़ा. इसके बाद दिलीप पारीख को मुख्यमंत्री बनाना पड़ा. 

मोदी-वाघेला की ट्रेन जर्नी का किस्सा-
गुजरात में नरेंद्र मोदी और शंकर सिंह वाघेला की दोस्ती के किस्से फेमस थे. लेकिन दोस्ती जब दुश्मनी में बदली तो पूरे देश ने देखा. जब नरेंद्र मोदी बीजेपी के कार्यकर्ता थे, उस वक्त शंकर सिंह वाघेला सांसद थे. इसके बावजूद दोनों साथ घूमते थे. बाइक पर एक साथ सफर करने के किस्से हैं. ट्रेन में सफर के किस्से हैं. 'द हिंदू' ने वाघेला-मोदी के ट्रेन जर्नी की कहानी छापी थी. इस स्टोरी के मुताबिक इंडियन रेलवे सर्विस में सीनियर अफसर लीना शर्मा ने 90 के दशक में अहमदाबाद यात्रा की थी. उस दौरान उनकी मुलाकात वाघेला और मोदी से हुई थी. उस सफर में लीना और उनकी बैचमेट का टिकट कन्फर्म नहीं था. लीना ने जब टीटीई से मिलीं तो वो इन दोनो को एक कूपे की तरफ ले गया, जहां सफेद कुर्ता-पायजामा पहने दो नेता बैठे थे. इन दोनों ने लीना और उनकी दोस्त को बैठने की जगह दी. जब सोने की बारी आई तो दोनों नेता अपनी सीट से उठ गए और महिलाओं को सोने की जगह दी. खुद दोनों नेता फर्श पर चादर बिछाकर सो गए. 

वाघेला और मोदी की दुश्मनी की कहानी-
गुजरात में शंकर सिंह वाघेला और नरेंद्र मोदी की दोस्ती और दुश्मनी की कहानियां फेमस है. दोनों में काफी गहरी दोस्ती थी. वैसे तो वाघेला और मोदी की दुश्मनी की शुरुआत पहले से हो गई थी. लेकिन दुश्मनी खुलकर तब सामने आई, जब साल 1995 में बीजेपी ने गुजरात की 182 सीटों में से 121 सीटों पर भारी जीत दर्ज की. उस वक्त शंकर सिंह  वाघेला गुजरात बीजेपी के अध्यक्ष थे. उन्होंने देश के किसी राज्य में पहली बार बीजेपी की सरकार बनाई थी. मुख्यमंत्री की रेस में सबसे आगे शंकर सिंह वाघेला का नाम था. लेकिन कहा जाता है कि नरेंद्र मोदी और आडवाणी ने वाघेला को सीएम नहीं बनने दिया और केशुभाई को मुख्यमंत्री बना दिया.

वाघेला का नरेंद्र मोदी पर पलटवार-
लेकिन जल्द ही वाघेला ने पलटवार किया. 6 महीने बाद ही वाघेला ने विधायकों के एक गुट के साथ बगावत कर दी. वाघेला अपने विधायकों को चार्टर प्लेन से खजुराहो लेकर चले गए. जब बात केंद्रीय नेतृत्व तक पहुंची तो सियासी माहौल गर्मा गया. अटल बिहारी वाजपेयी और भैरो सिंह शेखावत शंकर सिंह वाघेला को मनाने गुजरात पहुंचे. शंकर सिंह वाघेला ने अपना दांव चला और नरेंद्र मोदी को गुजरात से बाहर भेजने का प्रस्ताव रख दिया. इसके साथ ही केशुभाई पटेल को सीएम पद से हटाने की भी मांग रखी. नरेंद्र मोदी को गुजरात से बाहर भेज दिया गया और केशुभाई पटेल को सीएम पद से हटा दिया गया.
शंकर सिंह वाघेला ऐसे पहले नेता हैं, जो बीजेप और कांग्रेस दोनों के प्रदेश अध्यक्ष रहे. फिलहाल उनके बेटे कांग्रेस में शामिल हो गए हैं और अटकलें लगाई जा रही है कि शंकर सिंह वाघेला भी कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं.

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