पंजाब चुनाव (Punjab Election 2022) से पहले डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम (Gurmeet Ram Rahim) जेल से बाहर आ गया है. अपनी दो शिष्यों से रेप के मामले में जेल की सजा काट रहे राम रहीम को तीन हफ्ते की फर्लो (तीन सप्ताह की छुट्टी) दी गई है. वह हरियाणा में रोहतक की सुनारिया जेल में बंद था.
राम रहीम की रिहाई पंजाब में चुनाव से 13 दिन पहले हुई है. इससे पहले, उसे अपनी बीमार मां से मिलने के लिए कई बार आपातकालीन पैरोल दी गई थी. लेकिन इस बार उसे फर्लो दी गई है. पंजाब विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं, ऐसे समय में राम रहीम की रिहाई को पंजाब विधानसभा चुनाव से जोड़ कर देखा जाना लाजिमी है. पंजाब के 23 जिलों में 300 बड़े डेरे हैं, जिनका सीधा दखल सूबे की राजनीति में है. यह डेरे पंजाब के माझा, मालवा और दोआबा क्षेत्र में अपना वर्चस्व रखते हैं. बता दें कि 20 फरवरी को पंजाब में मतदान होने हैं.
हालांकि, हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने का कहना है कि गुरमीत राम रहीम को फर्लो देने का किसी चुनाव से कोई कनेक्शन नहीं है. बॉलीवुड अभिनेता माही गिल और पंजाबी अभिनेता हॉबी धालीवाल के बीजेपी में शामिल होने के बाद खट्टर एक मीडिया ब्रीफिंग को संबोधित कर रहे थे. खट्टर ने कहा कि चूंकि डेरा प्रमुख ने कम से कम तीन साल की सजा पूरी कर ली है, इसलिए उसने कुछ दिन पहले फर्लो के लिए आवेदन किया था. हरियाणा के सीएम ने कहा कि सब कुछ कानून के मुताबिक हो रहा है.
8 महीने में दूसरी बार जेल से बाहर आएगा गुरमीत
रेप के मामले में सजा काट रहे डेरा प्रमुख ने 17 मई 2021 को मां की बीमारी का हवाला देकर 21 दिन के इमरजेंसी पैरोल की मांग रखी थी. जिसके बाद उसे 21 मई 2021 को 12 घंटे की पैरोल मिली थी. इस तरह पिछले 8 महीने में राम रहीम को दूसरी बार जेल से रिहाई मिली है.
डेरे का समाजिक कार्य और राजनीतिक विंग की दास्तां
शाह मस्ताना ने डेरे की स्थापना 1948 में की थी.1960 में शाह सतनाम डेरे की गद्दी पर बैठे.1990 में राम रहीम डेरे की गद्दी पर बैठा था, तब उसकी उम्र महज 23 साल थी. आज पूरे देश में इनके 50 से ज्यादा आश्रम और लाखों की संख्या में अनुयायी हैं. डेरा का प्रमुख काम सामाजिक कार्य, रक्तदान और ग़रीबों के लिए मदद जुटाना है. इतना ही नहीं, डेरा प्रमुख फ़िल्मों में भी आजमाइश कर चुके हैं. साल 2006-07 में डेरा सच्चा सौदा ने राजनीतिक विंग बनाई. साथ ही हर राज्य की 45 सदस्यीय कमेटी भी गठित की गई. बता दें कि आज पंजाब की एक चौथाई आबादी किसी ना किसी डेरे से जुड़ी है और 117 सीटों वाली विधानसभा में करीब 90 सीटों के वोटरों पर डेरा प्रभाव डालते हैं.
किन चुनावों में रही है डेरे की भागीदारी
साल 2007, 2012, 2017 के पंजाब विधानसभा चुनावों में डेरे ने पूरी तरह से भागीदारी की. 2014 के लोकसभा चुनाव और हरियाणा विधानसभा चुनाव में डेरा प्रमुख ने PM के स्वच्छ भारत मिशन की सराहना करते हुए समर्थन दिया .आज भी सभी नेता वोटों की राजनीति के लिए डेरे में माथा टेकने पहुंचते हैं. कुछ डेरे सियासी तौर पर समर्थन का खुले तौर पर ऐलान करते हैं, वहीं कुछ डेरे अपनी राजनीतिक समिति और लोगों के जरिए अपने फॉलोअर्स तक मैसेज पहुंचा देते हैं कि किसे वोट करना है और किसे नहीं. 2007 और 2013 के चुनाव में ऐसा खुलकर होता था, लेकिन 2017 और इस बार के विधानसभा चुनाव में डेरे खुले तौर पर किसी भी पार्टी या नेता का समर्थन करने से बचते हैं, लेकिन इसका ये मतलब बिल्कुल नहीं है कि डेरों ने सियासत से दूरी बना ली है, नेताओं के लिए डेरे और डेरों के लिए नेता आपसी जरूरत हैं.
पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह भी विधानसभा चुनावों से पहले पत्नी और परिवार के साथ डेरे में पहुंच चुके हैं. बादल परिवार भी डेरे में हाजिरी लगा चुका है.