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Haryana Siyasi Kisse: जब पहली बार हरियाणा में खिला कमल, जानिए Manohar Lal Khattar के सीएम बनने की कहानी

Manohar lal khattar Siyasi Kisse: हरियाणा में 2014 (Haryana Assembly Election 2014) में पहली बार भाजपा (BJP Haryana) अपने दम पर चुनाव जीतती है. मोदी लहर में भाजपा को पूर्ण बहुमत मिला. भूपेन्द्र हुड्डा (Bhupinder Hudda) का सूपड़ा साफ हो गया. भाजपा के हाईकमान ने मनोहर लाल खट्टर (Manohar Lal Khattar) को मुख्यमंत्री बनाने का ऐलान किया.

Manohar lal Khattar (Photo Credit: India Today) Manohar lal Khattar (Photo Credit: India Today)
हाइलाइट्स
  • मनोहर लाल खट्टर 2014 में पहली बार विधायक बने

  • मोदी लहर में हरियाणा में भाजपा का कमल खिला

Haryana Siyasi Kisse: बात पुरानी है. जब दिल्ली और हरियाणा में बीजेपी अपनी जमीन खोजने में लगी थी. आरएसएस का एक सदस्य हरियाणा के दौरे पर था. रोहतक से उसका दोस्त मोटरसाइकिल से रोज गुरुग्राम आता. उसे बाइक पर बैठाता और दोनों हरियाणा में निकल जाते.

बाइक पर बैठे इनमें से एक शख्स आगे चलकर देश का प्रधानमंत्री बनता है. वहीं अपने दोस्त के लिए रोहतक से गुरुग्राम आने वाला शख्स हरियाणा की सबसे ऊंची कुर्सी पर बैठता है. बाइक चलाने वाले शख्स का नाम है, मनोहर लाल खट्टर.

इस वाकये का जिक्र प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (PM Narendra Modi) ने एक स्पीच में किया था. साल 2014 में नरेन्द्र मोदी देश के प्रधानमंत्री बनते हैं. कुछ महीने बाद जब हरियाणा में पहली बार कमल खिलता है तो मुख्यमंत्री के लिए मनोहर लाल के नाम का ऐलान होता है. उससे पहले हरियाणा की राजनीति में मनोहर लाल खट्टर का नाम बहुत बड़ा नहीं था लेकिन हाईकमान का आदेश सबकी हसरतों पर पानी फिर देता है. आइए जानते हैं मनोहर लाल खट्टर के मुख्यमंत्री बनने की कहानी.

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हरियाणा में खिला कमल
भूपेन्द्र हुड्डा (Bhupinder Hudda) की सरकार का कार्यकाल पूरा होने से पहले हरियाणा में विधानसभा चुनाव का ऐलान होता है. 15 अक्तूबर 2014 को हरियाणा में 90 सीटों पर वोटिंग  (Haryana Assembly Election 2014) होती है. लोग लंबी-लंबी कतारों पर लगकर वोट डालते हैं.

19 अक्तूबर 2014 को चुनाव के नतीजे आते हैं. कुछ ही घंटों में अंदाजा हो जाता है कि भूपेन्द्र हुड्डा की कुर्सी जाना तय है. जब नतीजे आते हैं तो सब चौंक जाते हैं. बनियों पंजाबियों की पार्टी कही जाने वाली भाजपा अकेले दम पर पूर्ण बहुमत ले आती है.

2014 से पहले हरियाणा के 11 विधानसभा चुनावों में बीजेपी के कुल 82 विधायक बने थे. बीजेपी ने सबसे ज्यादा 16 सीटें जीतीं थी. 2009 के विधानसभा चुनाव के खाते में सिर्फ 3 सीटें आईं थीं. 2014 के चुनाव में 90 सीटों में बीजेपी 47 सीटें जीतने में कामयाब रहती है. 

भूपेन्द्र हुड्डा के नेतृत्व में कांग्रेस के खाते में 15 और इनेलो के खाते में 19 सीटें आती हैं. इस चुनाव में 5 निर्दलीय उम्मीदवार भी जीतते हैं. इसके अलावा हरियाणा जनहित कांग्रेस 2 सीटें जीतने में कामयाब रहती है. वहीं बसपा और शिरोमणि अकाली दल 1-1 सीट पर सिमट जाती है.

मुख्यमंत्री की रेस
हरियाणा विधानसभा चुनाव से कुछ महीने देश में लोकसभा चुनाव हुए थे. पूरे देश में मोदी लहर आई थी. उसी मोदी लहर का जादू हरियाणा में भी दिखाई देता है. हरियाणा में पहली बार भाजपा का कमल खिलता है.

हरियाणा में भाजपा के कई बड़े नेता मुख्यमंत्री बनने की हसरत पाले हुए थे. मुख्यमंत्री की रेस में रामबिलास शर्मा, अनिल विज और ओमप्रकाश धनखड़ थे. पॉलिटिक्स ऑफ चौधर में सतीश त्यागी मनोहर लाल खट्टर सीएम चुनने की कहानी का जिक्र करते हैं.

हरियाणा के मुख्यमंत्री के लिए दिल्ली से पर्यवेक्षक आते हैं. भाजपा के विधायकों से राय जानी गई है और फिर फैसला आलाकमान पर छोड़ दिया. आलाकमान के एक ऐलान से कई बड़े नेताओं की हसरतें चकनाचूर हो गईं. हाईकमान ने घोषणा करते हुए कहा- मनोहर लाल मुख्यमंत्री होंगे.

पहली बार विधायक
भाजपा के पाले में किसी को अंदाजा नहीं था कि पहली बार विधायक बने मनोहर लाल को राज्य का सीएम बना दिया जाएगा. मनोहर लाल खट्टर के विधायक बनने की कहानी भी दिलचस्प है. 2014 के विधानसभा चुनाव में मनोहर लाल खट्टर चुनाव लड़ने को लेकर काफी कंफ्यूज थे.

मनोहर लाल खट्टर रोहतक (Manohar Lal Khattar Rohtak) से आते हैं इसलिए वो रोहतक से चुनाव लड़ना चाहते थे. मनीष ग्रोवर रोहतक से तीन बार चुनाव हार चुके थे. इस बार भी वो रोहतक से चुनाव लड़ रहे थे. वो अपनी सीट मनोहर लाल को देने के लिए राजी नहीं हुए.

तब मनोहर लाल खट्टर ने चुनाव लड़ने के लिए करनाल को चुना. करनाल के स्थानीय नेताओं ने इसका विरोध किया. खट्टर को करनाल में बाहर का आदमी कहा गया. इस विरोध के बावजूद खट्टर डटे रहे और चुनाव लड़े. मनोहर लाल खट्टर को अपने पहले विधायक के चुनाव में जीत मिली. मनोहर लाल खट्टर 63 हजार वोटों से जीते.

RSS के प्रचारक
मनोहर लाल खट्टर 5 मई 1954 को रोहतक में पैदा हुए. उनका परिवार बंटवारे के बद पाकिस्तान से आया था. उनका परिवार खेती करता थे. मनोहर लाल भी खेत में परिवार का हाथ बंटाते थे. बाद में मेडिकल एंट्रेस एग्जाम की तैयारी के लिए दिल्ली चले गए.

दिल्ली में बिजनेस के लिए मनोहर लाल खट्टर ने कपड़े की दुकान खोल ली. साथ ही दिल्ली यूनिवर्सिटी से बीए भी की. साल 1977 में मनोहर लाल आरएसएस से जुड़े. 1979 में मनोहर लाल ने निर्णय लिया कि कभी शादी नहीं करेंगे. इस तरह डॉक्टर बनने आए मनोहर लाल खट्ट आरएसएस के प्रचारक बन गए.

पॉलिटिक्स में एंट्री
साल 1994 में मनोहर लाल को हरियाणा का संगठन मंत्री बनाया गया. इस तरह से मनोहर लाल राजनीति में आते हैं. 1996 में हरियाणा विकास पार्टी  और भाजपा में गठबंधन हुआ. इसमें बड़ी भूमिका मनोहर लाल ने निभाई. 

साल 1999 में बीजेपी के समर्थन से ओमप्रकाश चौटाला की सरकार बनती है. इसमें भी बड़ी कड़ी मनोहर लाल ही रहते हैं. तब तक नरेन्द्र मोदी और उनकी दोस्ती हो चुकी थी. 2002 में गुजरात के भुज में भूकंप आया तो मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी ने खट्टर को सब कुछ मैनेज करने की जिम्मेदारी दी.

हरियाणा के मुख्यमंत्री
उसी साल मनोहर लाल खट्टर को जम्मू कश्मीर के चुनाव का प्रभारी बना गया. 2004 में कई राज्यों के प्रभारी बने. अब तक मनोहर लाल खट्टर संगठन में काम कर रहे थे. लोकसभा चुनाव 2014 में भाजपा की जीत होती है. 

नरेन्द्र मोदी पहली बार देश के प्रधानमंत्री बनते हैं. जब हरियाणा में पहली बार कमल खिलता है तो वो अपने पुराने दोस्त को नहीं भूलते हैं. हरियाणा भाजपा के कई बड़े नेताओं को दरकिनार कर मनोहर लाल खट्टर को मुख्यमंत्री बनाया गया.