कांग्रेस ने आंध्र प्रदेश की जनता को सीधे आर्थिक मदद देने को लेकर एक बड़ा वादा किया है. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने वादा किया है कि अगर कांग्रेस पार्टी सूबे में सत्ता में आती है तो हर महीने हर गरीब परिवारों को 5000 रुपए की आर्थिक मदद दी जाएगी. कांग्रेस ने इस योजना को 'इंदिराम्मा यूनिवर्सल बेसिक इनकम' नाम दिया है. कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि ये रकम हर परिवार की महिला के खाते में सीधे भेजी जाएगी. कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि ये वादा नहीं, गारंटी है.
क्या है यूनिवर्सल बेसिक इनकम योजना-
यूनिवर्सल बेसिक इनकम (Universal Basic Income) ऐसी योजना है, जिसमें कुछ विशेष आबादी को सरकार एक तय रकम हर महीने देती है. इस स्कीम को घटते रोजगार अवसरों के मंडराते खतरे के समाधान और गरीबी उन्मूलन के एक प्रभावी साधन के तौर पर देखा जाता है. UBI को राष्ट्रीय, क्षेत्रीय या स्थानीय स्तर पर लागू किया जा सकता है. इस स्कीम के तहत ये मान्यता है कि सिर्फ नागरिक होने के आधार पर हर व्यक्ति के लिए अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए एक निश्चित आय का अधिकार होना चाहिए.
2017 में सरकार ने आर्थिक सर्वे में किया था जिक्र-
साल 2017 में मोदी सरकार ने बजट के पहले आर्थिक सर्वे में इस योजना का जिक्र किया गया ता. सर्वे में कहा गया था कि देश की दो तिहाई आबादी को हर साल 7620 रुपए दिया जा सकता है. इससे देश से गरीबी खत्म हो जाएगी. हालांकि आगे सरकार ने इसपर कोई पहल नहीं की. साल 2019 आम चुनाव से पहले केंद्र सरकार ने किसानों सम्मान निधि योजना के तहत हर साल 6000 रुपए देने का फैसला किया. इस योजना को यूनिवर्सल बेसिक इनकम योजना का ही एक रूप माना गया.
2019 आम चुनाव में कांग्रेस ने उठाया था मुद्दा-
साल 2019 आम चुनाव में कांग्रेस ने यूनिवर्सल बेसिक इनकम का मुद्दा उठाया था. कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में यूनिवर्सल बेसिक इनकम लागू करने की बात कही थी. जिसे कांग्रेस ने 'न्याय' नाम दिया था. कांग्रेस ने कई राज्यों के चुनाव में भी इस योजना का जिक्र किया. कांग्रेस ने इस स्कीम के छोटे रूप को हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक के विधानसभा चुनाव में लागू करने का वादा किया था. कांग्रेस हिमाचल प्रदेश में महिलाओं को हर महीने 1500 रुपए देने का वादा किया था. सरकार बनाने के बाद कांग्रेस इस वादे को पूरा कर रही है. जबकि कर्नाटक में कांग्रेस ने हर परिवार की महिला मुखिया को 2000 रुपए महीने देने का वादा किया था. कांग्रेस सरकार ने कैबिनेट की पहली बैठक में इसे लागू करने की मंजूरी दे दी है.
पक्ष और विपक्ष में क्या है तर्क-
UBI के पक्ष में तर्क दिया जाता है कि ये कोई समाज तक तक न्यायसंगत नहीं हो सकता, जब तक वह समाज के सभी सदस्यों को एक हिस्सेदारी नहीं देता है. यूबीआई समाज के कई बुनियादी मूल्यों को बढ़ावा देती है. कहा जाता है कि यूबीआई एक न्यूनतम जीवन स्तर देने की गारंटी देने के सरकार के कर्तव्य का समर्थन करता है.
इस स्कीम को लेकर कई सवाल भी उठते हैं. इसके विपक्ष में तर्क दिया जाता है कि इसको लागू करने से सरकार पर वित्तीय भार बढ़ेगा. इसके साथ ही ये भी कहा जाता है कि वित्तीय प्रबंधन के बारे में जागरुकता की कमी से कई परिवार फिजूलखर्च की ओर आगे बढ़ सकते हैं. इसकी कोई गारंटी नहीं है कि दिए गए धन को सही तरीके से ही खर्च किया जाएगा. इस स्कीम के विरोध में ये भी तर्क दिया जाता है कि गारंटीड इनकम लोगों को आलसी बना सकती है.
हालांकि कई लोगों का मानना है कि संतुलन बनाकर लागू करने से इसका लाभ मिल सकता है. अगर हर महीने इनकम जैसी योजना लागू करनी है तो सरकार सरकार को तमाम सब्सिडी योजना बंद करना होगा या कम करना होगा. यूनिवर्सल बेसिक इनकम स्कीम और सब्सिडी दोनों साथ-साथ नहीं चल सकती हैं.
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