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MCD Mayor Election: मेयर और डिप्टी मेयर चुनाव पर 10 साल बाद फिर छाया संवैधानिक संकट, फंस रहे हैं ये पेंच

MCD Mayor Election 2024: दिल्ली मेयर और डिप्टी मेयर के चुनाव के लिए आम आदमी पार्टी (AAP) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के उम्मीदवारों ने नामांकन दाखिल कर दिया है. 26 अप्रैल को मेयर और डिप्टी मेयर के लिए चुनाव होना है. लेकिन अब तक चुनाव आयोग से इसकी मंजूरी नहीं मिली है. सूत्रों के मुताबिक 8 अप्रैल को दिल्ली के मुख्य चुनाव आयुक्त को NOC के लिए फाइल भेजी गई थी. लेकिन अब तक जवाब नहीं आया है.

Mahesh Khichi and Ravinder Bhardwaj file their nominations for the post of Mayor and Deputy Mayor (Photo/PTI) Mahesh Khichi and Ravinder Bhardwaj file their nominations for the post of Mayor and Deputy Mayor (Photo/PTI)

अगले हफ्ते 26 अप्रैल को दिल्ली नगर निगम के मेयर का चुनाव घोषित है, इसी दिन आम चुनाव के दूसरे चरण के लिए वोट डाले जाएंगे. दिल्ली में 25 मई को आम चुनाव के लिए वोट पड़ेगा. उससे पहले ही AAP शासित दिल्ली नगर निगम में मेयर और डिप्टी मेयर पद के लिए पद के चुनाव है. मेयर पद के लिए आम आदमी पार्टी से महेश खिंची और बीजेपी से किशन लाल ने पर्चा भरा है. जबकि डिप्टी मेयर पद के लिए आम आदमी पार्टी की तरफ से रविंद्र भारद्वाज और बीजेपी की तरफ से नीता बिष्ट ने नामांकन दाखिल किया है. महापौर और उप महापौर पद के लिए 18 तारीख को AAP और BJP के 6 लोगों ने नामांकन दाखिल किया है. लेकिन मेयर चुनाव को लेकर संकट के बादल मंडरा रहे हैं. 26 अप्रैल को मेयर चुनाव होगा या नहीं, ये साफ नहीं हो पा रहा है. चलिए आपको इससे जुड़े पेंच बताते हैं.

चुनाव परिणाम क्या आम चुनाव पर असर डालेगा?
आम चुनाव 2024 के लिए देशभर में चुनाव आचार संहिता लगी हुई है. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या मेयर और डिप्टी मेयर चुनाव के नतीजे आम चुनाव में वोटर्स को प्रभावित कर सकते हैं? विजयी घोषित दल के पक्ष में लहर है, ऐसा संदेश क्या नही जाएगा? ऐसा हुआ तो  क्या ये चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन नही होगा? दिल्ली नगर निगम एक्ट के एक्सपर्ट सुरेंद्र का कहना है कि ये एक संवैधानिक संकट की तरह है, हालांकि डीएमसी एक्ट में इस तरह की सिचुएशन का कोई जिक्र नही मिलता है. क्या मेयर चुनाव में जीत हासिल करने वाली पार्टी के पक्ष में यह संदेश नही जाएगा कि इस पार्टी के पक्ष में लहर है और क्या आम चुनाव में वोटर्स इस नतीजे से प्रभावित नहीं होंगे.

चुनाव आयोग से अभी तक नही मिली  है NOC-
निगम सूत्रों का कहना है कि मंजूरी के लिए फाइल भेजी गई थी, लेकिन अभी तक मंजूरी नहीं मिली. साल 2014 में निगम ने मंजूरी ली थी, जिसमें आयोग ने आम चुनाव के बाद चुनाव प्रक्रिया करने की बात कही थी. साथ ही यह कहा था कि कोई नई घोषणा इसमें नहीं हो सकती है. निगम से जुड़े सूत्रों का कहना है कि  8 अप्रैल को दिल्ली के मुख्य चुनाव आयुक्त को NOC के लिए फाइल भेजी गई थी. लेकिन अभी तक चुनाव आयोग की तरफ से इसका जवाब नहीं आया है.

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मुख्यमंत्री जेल में, LG को कौन भेजेगा फाइल-
चुनाव के लिए पीठासीन अधिकारी मौजूदा मेयर शैली ओबेरॉय ही होंगी या फिर कोई दूसरा पार्षद होगा? मुख्यमंत्री के जेल में रहने की स्थिति में यह फाइल एलजी के पास कैसे जाएगी? ये अभी तक पीठासीन अधिकारी के लिए एलजी को फाइल जाने का परंपरागत रूट तय है. फाइल दिल्ली नगर निगम से होते हुए दिल्ली सरकार में शहरी विकास सचिव, फिर मुख्य सचिव और फिर शहरी विकास मंत्री के बाद CM के पास जाती है.

क्या मेयर चुनाव सं संबंधित फाइल तिहाड़ जेल भेजी जाएगी?
निगम के कानून के मुताबिक उपराज्यपाल ही निगम के मुख्य प्रशासक है. दिल्ली के मुख्यमंत्री के जेल में बंद होने के चलते यहां भी पेंच फंस सकता है. क्या यह फाइल उनके पास तिहाड में भेजी  जाएगी?

कमिश्नर का हो चुका है ट्रांसफर, लेकिन नहीं किया जॉइन-
चुनाव आचार संहिता में सभी विभाग के कर्मचारी और अधिकारी चुनाव आयोग के अधीन माने जाते हैं. उनकी ट्रांसफर और पोस्टिंग का अधिकार भी चुनाव आयोग के पास चला जाता है. नगर निगम के मौजूदा कमिश्नर ज्ञानेश भारती का ट्रांसफर केंद्र सरकार की महिला एवं बाल विकास विभाग में बतौर सचिव हो गया है. लेकिन चुनाव आचार संहिता के चलते उन्होंने अपनी नई जॉइनिंग नहीं की है और निगम आयुक्त के रूप में काम कर रहे हैं. ऐसे में क्या महापौर का चुनाव आचार संहिता के बीच में हो सकता है.

चुनाव होने तक मेयर रहेंगी शैली-
दिल्ली नगर निगम एक्ट के मुताबिक मेयर व डिप्टी मेयर का चुनाव हर साल होता है. अधिनियम के मुताबिक हर साल अप्रैल माह में होने वाली पहली मीटिंग में मेयर व डिप्टी मेयर का चुनाव जरूरी है.

पहले साल मेयर पद महिला के लिए आरक्षित और तीसरे साल में अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित होता है. शैली ओबरॉय का कार्यकाल 31 मार्च को खत्म हो गया है. लेकिन अगले मेयर के चुनाव तक वह अपने पद पर बनी रहेंगी.

लोकसभा चुनाव तक लटक सकता है मेयर चुनाव-
सभी की नजर चुनाव आयोग पर है, जो चाहे तो मेयर चुनाव को टाल सकता है. वैसे आम आदमी पार्टी और बीजेपी के प्रत्याशियों ने नामांकन दाखिल कर दिए हैं. अब सवाल उठता है कि क्या तय वक्त पर चुनाव करवाने की इजाजत चुनाव आयोग देगा या फिर इन चुनावों को टाला जाएगा और आम चुनाव के बाद इसे कराया जाएगा.

(नई दिल्ली से राम किंकर सिंह की रिपोर्ट)

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