गुजरात विधानसभा चुनाव 2022 के पहले चरण में सौराष्ट्र की 48, दक्षिण गुजरात की 35 और कच्छ की छह सीटों पर 788 उम्मीदवार चुनाव मैदान में ताल ठोक रहे हैं.आज हम बात कर रहे हैं किन-किन हॉट सीटों पर किसकी प्रतिष्ठा है दांव पर. भावनगर जिले की पश्चिम सीट से भारतीय जनता पार्टी ने मौजूदा शिक्षा मंत्री जीतू वाघाणी को मैदान में उतारा है. जीतू ने 2012 और फिर 2017 में भी यहां से चुनाव जीता था.कांग्रेस ने किशोर सिंह गोहिल तो आम आदमी पार्टी ने सामाजिक कार्यकर्ता राजू सोलंकी को टिकट दिया है. उल्लेखनीय है कि 2017 के विधानसभा चुनाव में अभी हो रहे 89 सीटों में से बीजेपी ने 48 सीटें जीती थी तो कांग्रेस को 39 सीटें मिली थी. बीटीपी को दो और एनसीपी को एक सीट मिली थी.
जामनगर उत्तर सीट
जामनगर उत्तर की सीट पर अभी भाजपा का ही कब्जा है. धर्मेंद्र सिंह जाडेजा का टिकट काट कर इस बार क्रिकेटर रविंद्र जडेजा की पत्नी रिवाबा जाडेजा को बीजेपी ने मौका दिया है. कांग्रेस ने यहां से बिपेन्द्र सिंह जाडेजा और आप ने करसनभाई करमुर को मैदान में उतारा है.
कतारगाम सीट
कतारगाम सीट पर आम आदमी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष गोपाल इटालिया और भाजपा नेता वीनू मोरडिया में कड़ी टक्कर देखने को मिल सकती है. कांग्रेस ने इस सीट से कल्पेश वारिया को प्रत्याशी बनाया है.
खंभालिया सीट
आम आदमी पार्टी की तरफ से मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार इसुदान गढ़वी खंभालिया से चुनाव लड़ रहे हैं. यहां से भाजपा ने मूलुभाई बेरा और कांग्रेस ने विक्रम अर्जनभाई माडम को प्रत्याशी बनाया है.
कुटियाना सीट
कुटियाना सीट से 2012 और 2017 में जीत हासिल करने वाले कांधल जाडेजा एक बार फिर से मैदान में हैं. पिछली बार कांधल ने एनसीपी के टिकट पर चुनाव लड़ा था. इस बार वह सपा से लड़ रहे हैं. भाजपा ने यहां से ढेलीबेन आढेदरा को टिकट दिया है.
पोरबंदर
2017 में भाजपा के बाबूभाई बोखरिया ने इस सीट से कांग्रेस के दिग्गज नेता अर्जुन मोढवाडिया को हराया था. इस बार फिर से दोनों नेता आमने-सामने हैं. पिछली बार बाबूभाई सिर्फ 1,855 वोटों से जीते थे.
मोरबी
भाजपा ने मौजूदा विधायक और मंत्री ब्रजेश मेरजा का टिकट काटकर यहां से पूर्व विधायक कांतिलाल अमृतिया को मैदान में उतारा है. कांग्रेस ने यहां से जयंतिलाल जेराजभाई पटेल और आप ने पंकज कांतीलाल राणसरिया को मैदान में उतारा है. 2013 में मोरबी को एक अलग जिला घोषित किया गया था. मोरबी में बड़ी आपदाएं आ चुकी हैं. 1979 में, मच्छू-2 बांध टूट गया था जो विनाशकारी तबाही का कारण बना. इस साल भी मोरबी में पुल हादसा हुआ है. इसलिए सबकी निगाहें इस सीट पर टिकी हुई हैं.
वराछा रोड
भाजपा ने यहां से पूर्व मंत्री और मौजूदा विधायक किशोर कनाणी को चुनावी मैदान में उतारा है. आम आदमी पार्टी ने पाटीदार आंदोलन के प्रमुख चेहरे अल्पेश कथीरिया को टिकट दिया है. कांग्रेस ने यहां से प्रफुल्लभाई छगनभाई तोगड़िया को मैदान में उतारा है.
गोंडल सीट
गोंडल सीट से भाजपा ने एक बार फिर मौजूदा विधायक गीताबा जडेजा को उतारा है. गीताबा पूर्व विधायक जयराज सिंह जडेजा की पत्नी हैं. वहीं, टिकट नहीं मिलने से पूर्व विधायक महिपत सिंह जाडेजा के नाराज बेट अनिरुद्ध सिंह जाडेजा ने कांग्रेस के उम्मीदवार को समर्थन देने का ऐलान किया है. कांग्रेस की तरफ से यतीश गोविंदलाल देसाई और आम आदमी पार्टी की तरफ से निमिशाबेन खूंट चुनाव लड़ रहे हैं.
राजकोट पूर्व
राजकोट जिले की पूर्व सीट से कांग्रेस ने इंद्रनील राजगुरु को टिकट दिया है.इंद्रनील गुजरात के अमीर प्रत्याशियों की सूची में आगे हैं. पिछली बार यह सीट बीजेपी के खाते में गई थी और यहां अरविंद रैयाणी जीते थे, जबकि 2012 में यह सीट इंद्रनील ने जीती थी. बीजेपी ने इस बार यहां से उदय कनगड़ और आप ने राहुल भुवा को उतारा है.
अमरेली
अमरेली गुजरात की 182 विधानसभा सीटों में से 95 क्रमांक की सीट है. यह अमरेली जिले में स्थित है और इसकी लोकसभा सीट अमरेली है. अमरेली तालुका और वाडिया तालुका के गांव इस सीट में शामिल हैं. गुजरात के पहले मुख्यमंत्री डॉ जीवराज मेहता अमरेली विधानसभा क्षेत्र के ही रहने वाले थे. कवि रमेश पारेख भी अमरेली के ही थे. 1985 से 1998 तक यह सीट बीजेपी का गढ़ थी. इस सीट से बीजेपी के दिलीप संघाणी ने 2007 में फिर जीत हासिल की थी. परेश धनाणी ने 2012 और 2017 में फिर से जीत हासिल की.इस बार यहां से भाजपा ने कौशिकभाई को कांग्रेस ने परेश को तो आप ने रवि धनानी को मैदान में उतारा है.
टंकारा
यह मोरबी जिले में स्थित है और इसकी लोकसभा सीट सुरेंद्रनगर है. इस सीट में टंकारा तालुका और पडधरी तालुका के गांवों को शामिल किया गया है. आर्य समाज के संस्थापक और महान विचारक स्वामी दयानंद सरस्वती का जन्म टंकारा में हुआ था. 2017 में कांग्रेस ने यह सीट बीजेपी से छीन ली थी. इस सीट से इस बार भाजपा ने दुर्लभजीभाई देथरिया, कांग्रेस ने ललीतभाई कगथारा और आप ने संजय भटासणा को टिकट दिया है.
राजकोट पश्चिम
यह सीट एक अनोखे इतिहास वाली सीट है. इस सीट पर 1985 से बीजेपी प्रत्याशी जीतते आ रहे हैं. यहां से सात चुनाव वजुभाई वाला ने जीते हैं. जब 2002 में नरेंद्र मोदी मुख्यमंत्री बने, तो उन्होंने उनके लिए यह सीट खाली कर दी. इस सीट ने नरेंद्र मोदी और विजय रूपाणी के रूप में राज्य को दो मुख्यमंत्री दिए हैं.