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Bihar Politics: अब Floor Test पास करने की Nitish Kumar की बारी, जानें क्या होता है यह, क्या है सीटों का गणित और क्यों डरी है कांग्रेस? 

Nitish Government Floor Test: बिहार में किसी भी पार्टी को सरकार बनाने के लिए 122 विधायकों का होना जरूरी है. नीतीश सरकार के पास इस जादुई आंकड़े से छह विधायक ज्यादा हैं. ऐसे में संभावना व्यक्त की जा रही है कि 12 फरवरी को फ्लोर टेस्ट को पास करने में कोई परेशानी नहीं होगी.

nitish kumar nitish kumar
हाइलाइट्स
  • 12 फरवरी को नीतीश सरकार को फ्लोर टेस्ट करना है पास 

  • विपक्ष के पास हैं 114 विधायक 

इंडिया गठबंधन से नाता तोड़कर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अब एनडीए के साथ आ चुके हैं. नीतीश बिहार में एनडीए के मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ भी ले चुके हैं. अब नीतीश सरकार को 12 फरवरी 2024 को विधानसभा में फ्लोर टेस्ट पास करना है. झारखंड विधानसभा में 5 फरवरी 2024 को चंपई सरकार ने फ्लोर टेस्ट पास किया है. आइए जानते हैं यह क्या होता है, किस पार्टी के पास कितने सीटें हैं और क्यों कांग्रेस डरी हुई है?

क्यो होता है फ्लोर टेस्ट
राज्य में जब सियासी संकट बन जाता है तब फ्लोर टेस्ट यानी बहुमत साबित करने की स्थिति बनती है. सीएम को विधानसभा में यह साबित करना होता है कि पार्टी विधायक उसके साथ हैं. राज्यपाल मुख्यमंत्री को विधानसभा में बहुमत साबित करने के लिए कहते हैं. जो भी पार्टी विधानसभा में बहुमत साबित करने में सफल साबित होती है, राज्यपाल उस पार्टी के नेता को मुख्यमंत्री नियुक्त करते हैं.

यदि मुख्यमंत्री फ्लोर टेस्ट में विश्वास मत जुटाने में असफल साबित होते हैं तो उन्हें इस्तीफा देना होता है. फ्लोर टेस्ट से पहले सभी पार्टियां विधायकों को हर हाल में विधानसभा में पेश होने के लिए व्हिप जारी करती हैं. कोई भी विधायक यदि व्हिप का उल्लंघन करता है तो उसके खिलाफ दल बदल कानून के तहत कार्रवाई हो सकती है.

संवैधानिक प्रक्रिया है फ्लोर टेस्ट 
फ्लोर टेस्ट करना एक संवैधानिक प्रक्रिया है. विधानसभा हो या संसद दोनों में फ्लोर टेस्ट की प्रक्रिया एक जैसी होती है. विधानसभा में फ्लोर टेस्ट विधानसभा के अध्यक्ष कराते हैं. राज्यपाल की इस प्रक्रिया में किसी भी तरह की दखलअंदाजी नहीं होती. वह केवल मुख्यमंत्री को बहुमत साबित करने का आदेश देते हैं. फ्लोर टेस्ट दो तरह का सामान्य और कम्पोजिट होता है. 

सामान्य फ्लोर टेस्ट तब होता है जब कोई राजनीतिक दल या गठबंधन के नेता को सीएम बनाया जाता है और उसे विश्वास मत साबित करना होता है. या राज्यपाल को लगता है कि सरकार सदन में विश्वास खो चुकी है. ऐसे हालत में मुख्यमंत्री फ्लोर टेस्ट के जरिए विश्वास मत को साबित करते हैं. कम्पोजिट फ्लोर टेस्ट की नौबत तब आती है जब एक से ज्यादा नेता सरकार बनाने के लिए दावा पेश करते हैं. राज्यपाल इसके लिए विशेष सत्र बुलाते हैं. सदन में विधायक खड़े होकर या हाथ उठाकर वोट करते हैं.  

किस पार्टी के पास कितने विधायक
243 सदस्यों वाली बिहार विधानसभा में लालू प्रसाद यादव की पार्टी राजद के पास सर्वाधिक 79 विधायक हैं. कांग्रेस के 19 और वामदलों के 16 विधायक हैं. इस तरह से महागठबंधन दल के कुल 114 विधायक हो रहे हैं. दूसरी तरफ सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के 78, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाईटेड के 45, पूर्व सीएम जीतन राम मांझी के दल हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा- सेक्युलर के चार विधायक हैं. इनके अलावा, एक निर्दलीय विधायक नीतीश कुमार के साथ पिछली महागठबंधन सरकार में भी थे, अब भी हैं. इस तरह, सत्ता पक्ष की संख्या 128 हो रही है. 

एनडीए के 128 के मुकाबले अभी विपक्ष के 114 विधायक सामने हैं. असद्दुदीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम के पास एक विधायक हैं, जो किसी तरफ नहीं हैं. बिहार में सरकार बनाने के लिए जादुई आंकड़ा 122 है. मतलब, सत्ता के पास छह विधायक ज्यादा हैं और विपक्ष के पास आठ कम. इस तरह से माना जा रहा है कि फ्लोर टेस्ट के दौरान नीतीश सरकार को कोई परेशानी नहीं होगी. यह एक तरह से कोरम पूरा करना है.

कांग्रेस क्यों डर रही 
बीजेपी ने दूसरी पार्टियों के नेताओं को अपने दल में शामिल कराने के लिए स्क्रीनिंग कमेटी गठित की है. इसके बाद विपक्षी पार्टियों की टेंशन बढ़ गई है. कांग्रेस को लगता है कि बिहार में उसके विधायक टूटकर बीजेपी या जदयू के साथ जुड़ सकते हैं. इसी को देखते हुए कांग्रेस अपने विधायकों को बचाने की जद्दोजहद कर रही है. वह अपने 14 विधायकों को लेकर तेलंगाना पहुंची है.

उसके कुछ विधायक व्यक्तिगत कारणों से तेलंगाना नहीं गए हैं. हालांकि बिहार कांग्रेस कह रही है कि वो रेवंत रेड्डी को बधाई देने गए हैं. वहीं तेलंगाना कांग्रेस कह रही है कि विधायकों के टूटने का डर था. तेलंगाना में रिसॉर्ट के एंट्री और एग्जिट गेट पर पुलिस का पहरा है. 12 फरवरी को नीतीश कुमार का विश्वास प्रस्ताव है, ऐसे में 11 फरवरी को कांग्रेस विधायक पटना पहुंचेंगे.