चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी के चांसलर और जाने-माने शिक्षाविद सतनाम सिंह संधू (Satnam Singh Sandhu) राज्यसभा के सदस्य मनोनीत किए गए हैं. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सतनाम सिंह को ऊपरी सदन का सदस्य मनोनीत किया है. चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी एक प्राइवेट संस्थान है, जिसकी स्थापना सतनाम सिंह संधू ने साल 2012 में की थी. हम अपको यहां किसान परिवार से आने वाले सतनाम सिंह संधू के बारे में बताने जा रहे हैं.
चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी के चांसलर
सतनाम सिंह संधू ने साल 2001 में मोहाली के लांडरां में चंडीगढ़ ग्रुप ऑफ कॉलेज (CGC) की नींव रखी. इसके बाद वो इसे वर्ल्ड लेवल का संस्थान बनाने के मिशन में जुट गए. काफी मेहनत के बाद साल 2012 में उन्होंने चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी की स्थापना की. इस यूनिवर्सिटी को क्यूएस वर्ल्ड रैंकिंग 2023 में एशिया में प्राइवेट विश्वविद्यालयों में पहला स्थान मिला. सतनाम सिंह संधू इस वक्त चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी के चांसलर हैं.
सतनाम सिंह अपने दो गैर सरकारी संगठनों इंडियन माइनॉरिटीज फाउंडेशन और न्यू इंडिया डेवलपमेंट फाउंडेशन के जरिए स्वास्थ्य और कल्याण में सुधार और सांप्रदायिक सद्भाव को आगे बढ़ाने के लिए बड़े पैमाने पर सामुदायिक प्रयासों में शामिल हैं. उन्होंने विदेशों में प्रवासी भारतीयों के साथ बड़े पैमाने पर काम किया है.
बचपन में पेड़ के नीचे की पढ़ाई
सतनाम सिंह पंजाब के एक किसान के बेटे हैं. वो फिरोजपुर के एक छोटे से गांव रसूलपुर के रहने वाले हैं. शुरुआती दौर में उन्होंने खेती-किसानी का काम किया. सतनाम सिंह संधू को पढ़ाई के लिए बचपन में काफी दिक्कतों का सामना करना प़ड़ा था. उन्होंने काफी संघर्ष किया. सतनाम सिंह ने बचपन में ऐसे स्कूल में पढ़ाई की, जो पेड़ों के नीचे चलाई जाती थी.
गांव में शुरुआती पढ़ाई-लिखाई के बाद वो ग्रेजुएशन के लिए मोगा चले गए. लेकिन सतनाम सिंह संधू ने दूसरों की मदद करने का कोई भी मौका हाथ से नहीं जाने देते हैं. वो अक्सर छात्रों की आर्थिक मदद करते रहते हैं.
मनोनीत सदस्य कौन होते हैं?
अधिकतम 250 सदस्यों वाली राज्यसभा में 238 सदस्य राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के प्रतिनिधि होते हैं जबकि 12 सदस्यों को राष्ट्रपति की तरफ से मनोनीत किया जाता है. इन सदस्यों को मनोनीत करने के लिए राष्ट्रपति अपनी विधायी शक्तियों का इस्तेमाल करते हैं जो उन्हें संविधान की चौथी अनुसूची (अनुच्छेद 4(1) और 80(2) के तहत मिली हैं. बता दें, भारत के राष्ट्रपति संसद का ही हिस्सा होते हैं.
मनोनीत किए जाने वाले सदस्यों को कला, साहित्य, विज्ञान और सामाजिक सेवाओं में उनके योगदान के लिए 6 साल के लिए राज्यसभा का सदस्य रहने का मौका मिलता है. सतनाम सिंह संधू के राज्यसभा सदस्य बनने होने के साथ ही मनोनीत सदस्यों की संख्या 11 हो गई है, एक सदस्य की जगह अब भी खाली है. सतनाम सिंह के अलावा इस वक्त महेश जेठमलानी, सोनल मानसिंह, राम शकल, राकेश सिन्हा, रंजन गोगोई, वी. हेगड़े, पी. टी. उषा, इलैयाराजा, वी. वी. प्रसाद और गुलाम अली राज्यसभा के मनोनीत सदस्य हैं. राज्यसभा में सदस्यों के मनोनयन का प्रावधान आयरलैंड के संविधान से लिया गया है.
राज्यसभा के मनोनीत सदस्यों को निर्वाचित सदस्यों की तरह ही सारी सुविधाएं मिलती हैं. ये सदस्य ऊपरी सदन की कार्यवाही में हिस्सा भी ले सकते हैं लेकिन ये राष्ट्रपति के चुनाव में वोट नहीं कर सकते, हालांकि उपराष्ट्रपति के चुनाव में वोट कर सकते हैं. राज्यसभा का मनोनीत सदस्य सदन का हिस्सा बनने के बाद छह महीने के भीतर चाहे तो कोई राजनीतिक दल भी जॉइन कर सकता है.
बधाइयों का लगा तांता
सतनाम सिंह संधू को राज्यसभा का सदस्य बनाए जाने पर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने बधाई दी. उनके अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी सतनाम सिंह को बधाई दी. उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (ट्विटर) पर लिखा कि मुझे खुशी है कि राष्ट्रपति जी ने सतनाम सिंह संधू जी को राज्यसभा के लिए मनोनीत किया है. सतनाम जी ने खुद को एक प्रसिद्ध शिक्षाविद् और सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में प्रतिष्ठित किया है, जो विभिन्न तरीकों से जमीनी स्तर पर लोगों की सेवा कर रहे हैं. उन्होंने हमेशा राष्ट्रीय एकता को आगे बढ़ाने के लिए बड़े पैमाने पर काम किया और भारतीय प्रवासियों के साथ भी काम किया है.
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