उत्तर प्रदेश में राज्यसभा चुनाव के दिन ही समाजवादी पार्टी को बड़ा झटक लगा. पार्टी के मुख्य सचेतक मनोज पांडेय ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. लोकसभा चुनाव से पहले अखिलेश यादव को बहुत बड़ा झटका माना जा रहा है. इससे पहले स्वामी प्रसाद मौर्य ने भी पार्टी से इस्तीफा दे दिया था. चलिए आपको मनोज पांडेय के बारे में बताते हैं.
मनोज पांडेय का सियासी सफर-
मनोज पांडेय रायबरेली के ऊंचाहार से विधायक हैं. उनको अखिलेश यादव का करीबी माना जाता है. लेकिन अब उन्होंने पार्टी के बडे़ पद से इस्तीफा दे दिया है. मनोज पहली बार साल 2012 में ऊंचाहार से ही विधायक चुने गए थे. उसके बाद से लगातार तीन बार विधायक चुने गए हैं. उन्होंने साल 2017 और साल 2022 में बड़े अंतर से जीत दर्ज की. साल 2017 में रायबरेली जिले से चुनाव जीतने वाले इकलौते समाजवादी पार्टी के विधायक थे. उनका रायबरेली और आसपास के जिलों में ब्राह्मण वर्ग में खासा प्रभाव है. मनोज पांडेय ने साल 2012 और साल 2017 विधानसभा चुनाव में दिग्गज लीडर स्वामी प्रसाद मौर्य के बेटे को हराया था. समाजवादी पार्टी ने उनको विधानसभा में विधानमंडल दल का मुख्य सचेतक नियुक्त किया था. लेकिन लोकसभा चुनाव से पहले ही उन्होंने पद से इस्तीफा दे दिया है.
कौन हैं मनोज पांडेय-
मनोज पांडेय का जन्म 15 अप्रैल 1968 को रायबरेली जिले में हुआ था. उनके पिता का नाम डॉ. रमाकांत पांडेय है. मनोज कुमार ने पीएचडी की डिग्री हासिल की है. एक मई 1995 को उनकी शादी नीलम पांडेय से हुई. जब मनोज पांडेय ने सियासत में एंट्री की, उसके बाद पीछे मुड़कर नहीं देखा.
कितनी प्रॉपर्टी के मालिक हैं मनोज पांडेय-
मायनेता वेबसाइट के मुताबकि मनोड पांडेय के पास 16 करोड़ 26 लाख से ज्यादा की प्रॉपर्टी है. उनपर 2 करोड़ का कर्ज है. मनोज पांडेय के पास 2 लाख 68 हजार रुपए कैश है. इसमें से उनकी पत्नी के पास एक लाख 16 हजार रुपए है. उनके बैंक खाते में 93 हजार रुपए जमा हैं. मनोज पांडेय के पास 4 और उनकी पत्नी के पास एक कार है. मनोज के पास 3 फॉर्च्यूनर कार और एक टाटा मैजिक है. इसके अलावा उनके पास एक ट्रैक्टर भी है. उनकी पत्नी नीलम पांडेय के पास इको स्पोर्ट कार है. इन गाड़ियों की कीमत एक करोड़ 19 लाख से ज्यादा है. मनोज पांडेय के पास 11 लाख रुपए की ज्वैलरी भी है.
स्वामी प्रसाद के बयान पर जताई थी नाराजगी-
ऊंचाहार के विधायक ने स्वामी प्रसाद मौर्य के हिंदू विरोधी बयानों को लेकर आवाज उठाई थी. उन्होंने कहा था कि कोई भी अपनी राजनीति चमकाने के लिए धर्म को निशाना न बनाए. समाजवादी पार्टी सभी धर्मों का सम्मान करती है. हमें किसी भी जाति-धर्म के खिलाफ बोलने का अधिकार नहीं है.
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