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Siyasi Kisse: बंदूक लेकर विधायकों की रखवाली कर रहे थे Devi Lal, फिर भी Bhajan Lal ने पलट दिया था ताऊ का तख्ता, बने थे पहली बार Harayana के CM, जानिए वह रोचक किस्सा

Harayana Assembly Election 2024: भजनलाल ने देवीलाल की सरकार में डेयरी मंत्री रहते हुए तख्तापलट कर 29 जून 1979 को खुद की सरकार बना ली थी. वह भी तब जब विधायकों के इधर-उधर जाने की आशंका के बीच ताऊ देवीलाल ने 42 विधायकों को तेजाखेड़ा के अपने किलेनुमा फार्म हाउस में बंद कर रखा था. इनको बाहर आने-जाने की मनाही थी. इसके बावजूद भजनलाल ने ऐसी राजनीतिक चाल चली कि दिग्गज देवीलाल मात खा गए.

Devi Lal and Bhajan Lal (File Photo) Devi Lal and Bhajan Lal (File Photo)
हाइलाइट्स
  • देवीलाल को 26 जून 1977 को साबित करना था बहुमत 

  • संख्याबल नहीं जुटाने के कारण ताऊ को देना पड़ा था इस्तीफा 

Devi Lal Vs Bhajan Lal: हरियाणा (Harayana) में विधानसभा चुनाव 2024 (Assembly Election 2024) की तारीखों का ऐलान हो चुका है. 90 विधानसभा सीटों के लिए 5 अक्टूबर को मतदान होना है. वोटों की गिनती 8 अक्टूबर 2024 को होगी.

इस समय पूरे प्रदेश में सियासी पारा चरम पर है. बीजेपी(BJP), कांग्रेस (Congress) हों या अन्य क्षेत्रीय दल सभी प्रत्याशियों के चयन और चुनाव प्रचार में जोर-शोर से जुटे हुए हैं. ऐसे में सियासी किस्से भी लोग याद कर रहे हैं. हम आपको ऐसा ही एक किस्सा बताने जा रहे हैं, जो देवीलाल (Devi Lal) और भजनलाल (Bhajan Lal) से जुड़ा हुआ है. यह किस्सा साल 1979 का है, जब भजनलाल ने देवीलाल सरकार का तख्तापलट कर खुद की सरकार बना ली थी.

भारी बहुमत से जनता पार्टी आई थी सत्ता में 
इंदिरा गांधी द्वारा लगाए गए इमरजेंसी के बाद देश में 1977 में हुए आम चुनाव में कांग्रेस को हार मिली थी. पहली बार केंद्र में गैर कांग्रेसी सरकार बनी थी. जनता पार्टी की तरफ से मोरारजी देसाई प्रधानमंत्री चुने गए थे. उस समय जनता पार्टी के साथ कांग्रेस से अगल हुए दल, भारतीय लोकदल और भारतीय जनसंघ जैसी पार्टियां आईं थीं. उधर, हरियाणा विधानसभा चुनाव 1977 में चौधरी देवीलाल की पार्टी भी भारी बहुमत से सत्ता में आई थी.

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उस चुनाव में जनता पार्टी को सबसे अधिक 75 सीटों पर जीत मिली थी. कांग्रेस को 3 सीटों से संतोष करना पड़ा था. विशाल हरियाणा पार्टी के 5 उम्मीदवार और 7 निर्दलीय प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की थी. 90 सदस्यीय विधानसभा में सरकार बनाने के लिए सिर्फ 49 सीटों पर जीत दर्ज करने की जरूरत थी. 75 सीटों के साथ ताऊ देवीलाल को सरकार बनाने में कोई परेशानी नहीं हुई. आदमपुर विधानसभा सीट से जीत दर्ज करने वाले भजनलाल को ताऊ की सरकार में डेयरी मंत्री की कुर्सी दी गई थी.

चुनाव के कुछ दिनों बाद ही शुरू हो गई उथल-पुथल 
चूकि साल 1977 में हुए चुनाव में कांग्रेस को सत्ता से बेदखल करने के लिए कई पार्टियों ने मिलकर जनता पार्टी के नेतृत्व में चुनाव लड़ा था. सभी पार्टियों का एजेंडा अलग-अलग था. सरकार को केंद्र में जनता पार्टी की बन गई लेकिन पीएम मोरारजी देसाई सभी पार्टियों को एक साथ लेकर चलने में सफल नहीं हुए. चुनाव के कुछ महीनों बाद ही सरकार में उथल-पुथल शुरू हो गई. हरियाणा में भी सीएम देवीलाल की सरकार इससे अछूती नहीं रही.

मुख्यमंत्री देवीलाल ने पार्टी में उथल-पुथल देख 19 अप्रैल 1979 को जनसंघ से आए मंत्रियों को बर्खास्त कर दिया. उन्हें लगा कि अब उनकी सरकार को कोई खतरा नहीं है. इसी बीच ताऊ के करीबी भी बगावत पर उतर आए. भजनलाल सहित प्रदेश के चार मंत्रियों ने देवीलाल सरकार के खिलाफ बिगुल फूंक दिया. इससे ताऊ देवीलाल घबरा गए. उन्होंने अपने विधायकों को बचाने की कोशिश शुरू कर दी. हालांकि इसके बाद भी भजनलाल ने बाजी पलट दी थी.

विधायकों को फार्म हाऊस से बाहर आने-जाने की थी मनाही 
मुख्यमंत्री देवीलाल को लगा कि उनके विधायकों को भजनलाल तोड़ सकते हैं और उनकी सरकार गिर सकती है तो उन्होंने 42 विधायकों को अपने तेजाखेड़ा के किलेनुमा फार्म हाउस में रख दिया. सख्त हिदायत दे दी कि किसी को भी इस फार्म हाउस से बाहर नहीं जाना है जबतक की सरकार में सबकुछ शांत न हो जाए. यहां तक कि देवीलाल खूद बंदूक लेकर विधायकों की रखवाली करने लगे. इसके बावजूद भजनलाल ने ऐसी राजनीतिक चाल चली कि देवीलाल की एक न चली. 

देवीलाल के पाले में से दो विधायकों को मिला लिया था अपने साथ 
देवीलाल सरकार को गिराकर अपनी सरकार बनाने के लिए भजनलाल के पास दो विधायक कम पड़ रहे थे. भजनलाल ने देवीलाल के फार्म हाउस में रह रहे 42 विधायकों में से दो को अपने साथ मिला लिया था. अब आप सोच रहे होंगे कि जब देवीलाल इतनी मुस्तैदी से अपने विधायकों की रखवाली कर रहे थे तो फिर आखिर कैसे भजनलाल देवीलाल की पार्टी के दो विधायकों को अपने पाले में कर लिए. दरअसल, विधायक तो तेजाखेड़ा स्थित देवीलाल के फार्म हाउस से बाहर नहीं निकल रहे थे लेकिन उनकी पत्नियां और घरवाले उनसे मिलने जाते थे. इन्हीं के जरिए भजनलाल इन विधायकों के पास अपनी सरकार में जुड़ने का संदेश पहुंचाते थे. इसी बीच दो विधायक देवीलाल के फॉर्म हाउस से बाहर निकले. एक विधायक के चाचा बीमार थे तो दूसरे के घर में शादी थी. भजनलाल ने इसी का फायदा उठाया. 

बिना न्योता के विधायक के घर शादी में पहुंच गए थे देवीलाल
उधर, देवीलाल को भी इस बात की भनक लग गई. बिना न्योता के विधायक के घर शादी में पहुंच गए उन्हें लगा कि कुछ तो गड़बड़ है. वह भी तुरंत बिना न्योता के विधायक के घर शादी में पहुंच गए. उस शादी में पहले से भजनलाल उपस्थित थे. वह देवीलाल के पहुंचने से पहले सारा खेला कर चुके थे. दो विधायकों को अपने पाले में ले चुके थे. उधर, सीएम देवीलाल को 26 जून 1977 को विधानसभा में बहुमत साबित करना था लेकिन बहुमत से विधायकों की संख्या कम होने के कारण उन्होंने एक दिन पहले ही सीएम पद से इस्तीफा दे दिया.

इस तरह से भजनलाल तख्तापलट कर 29 जून 1979 को हरियाणा के मुख्यमंत्री बन गए थे. भजनलाल तीन बार हरियाणा के मुख्यमंत्री रहे. वह पहली बार 1979 में, फिर 1982 में और एक बार फिर 1991 में हरियाणा का मुख्यमंत्री बने थे. राजीव गांधी सरकार में भजनलाल केंद्रीय कैबिनेट के सदस्य भी रहे. उन दिनों भजनलाल की गिनती कांग्रेस के कद्दावर नेताओं में होती थी. हालांकि बाद में कांग्रेस से नाराजगी के चलते उन्‍होंने हरियाणा जनहित कांग्रेस नाम से अलग पार्टी बना ली थी.