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Siyasi Kisse: जब एक Election में भिड़ गए थे हरियाणा के तीनों लाल, Devi Lal ने ठोक दी थी Bansi Lal और Bhajan Lal के खिलाफ ताल, जानें फिर क्या हुआ था 

Harayana Assembly Election 2024:  हरियाणा विधानसभा चुनाव से जुड़े कई किस्से हैं. हम आपको 1972 में हुए चुनाव के बारे में बता रहे हैं जब दो सीटों पर आपस में हरियाणा के तीनों लाल टकरा गए थे. इस चुनाव की चर्चा पूरे देशभर में हुई थी. इस चुनाव के बाद राजनीति छोड़ देवीलाल गांव चले गए थे. आइए जानते हैं आखिर उस चुनाव में क्या हुआ था?

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हाइलाइट्स
  • विधानसभा चुनाव 1972 में तोशाम और आदमपुर सीट से लड़े थे देवीलाल

  • किसान आंदोलन की कमान संभाल दोबारा राजनीति में हुए थे सक्रिय 

Devi Lal Vs Bhajan Lal Vs Bansi Lal: हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 (Harayana Assembly Election 2024) के लिए मतदान अब 1 अक्टूबर को नहीं होगा. चुनाव आयोग (Election Commision) ने यह तारीख बढ़ाकर 5 अक्टूबर कर दी है. मतदान के बाद वोटों की गिनती 8 अक्टूबर 2024 को होगी. हरियाणा की कुल 90 विधानसभा सीटों पर जीत दर्ज करने के लिए पार्टियों के बीच जोरआजमाइश शुरू हो गई है. सियासी समर के बीच एक बार फिर पुराने चुनावी किस्से भी याद किए जा रहे हैं. 

हम आपको आज हरियाणा के लाल कहे जाने वाले देवीलाल (Devi Lal), बंसीलाल (Bansi Lal) और भजनलाल Bhajan Lal) से जुड़े एक किस्से के बारे में बताने जा रहे हैं. दरअसल, यह दिलचस्प किस्सा हरियाणा विधानसभा चुनाव 1972 का है. जब दो सीटों पर आपस में हरियाणा के तीनों लाल टकरा गए थे. इस चुनाव की चर्चा पूरे देशभर में हुई थी. इस चुनाव के बाद राजनीति छोड़ देवीलाल गांव चले गए थे. आइए जानते हैं आखिर उस चुनाव में क्या हुआ था?

इसलिए देवीलाल ने छोड़ दी थी कांग्रेस
देवीलाल शुरू में कांग्रेसी थे. साल 1968 में हरियाणा विधानसभा के लिए हुए मध्यावधि चुनाव में कांग्रेस ने देवीलाल को टिकट नहीं दिया. इससे देवीलाल खासे नाराज हुए. उस चुनाव में बंसीलाल हरियाणा के मुख्यमंत्री बने थे.

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हालांकि सीएम बनते ही बंसीलाल ने देवीलाल को सम्मान करते हुए उन्हें खादी एवं ग्राम उद्योग बोर्ड का चेयरमैन बना दिया लेकिन कुछ महीनों बाद खटपट के कारण बंसीलाल ने देवीलाल से इस्तीफा मांग लिया. देवीलाल ने साल 1970 में ये पद छोड़ दिया और इसके एक साल बाद कांग्रेस पार्टी से भी इस्तीफा दे दिया. उसके बाद देवीलाल कांग्रेस के खिलाफ आंदोलनों में शामिल हो गए. वह कांग्रेस विरोधी आंदोलन के बाद बड़ा चेहरा बन गए. 

बंसीलाल और भजनलाल को उनके घर में दे डाली चुनौती 
उन दिनों बंसीलाल से देवीलाल खासे नाराज चल रहे थे. इसी बीच साल 1972 में हरियाणा विधानसभा चुनाव का ऐलान हुआ. ताऊ देवीलाल ने बंसीलाल और भजनलाल के गढ़ से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया. बंसीलाल उस समय हरियाणा के सीएम थे. तोशाम विधानसभा क्षेत्र उनका गढ़ था. उधर, आदमपुर भजनलाल का अभेद गढ़ था. इसके बावजूद देवीलाल ने इन दोनों नेताओं को उनके घर में चुनौती दे डाली. 

दोनों जगहों पर किया जोरदार प्रचार
देवीलाल ने तोशाम और आदमपुर सीट से जीतने के लिए जोरदार प्रचार किया. इसके बावजूद चुनाव के नतीजे उनके पक्ष में नहीं आए. देवीलाल तोशाम और आदमपुर दोनों जगहों पर दूसरे नंबर पर रहे. तोशाम में देवीलाल को 10440 वोट मिले जबकि बंसीलाल को 30934 वोट मिले. इस तरह से बंसीलाल 20494 मतों से विजयी रहे. आदमपुर में देवीलाल को 17967 मत प्राप्त हुए जबकि भजनलाल को 28928 वोट मिले. भजनलाल 10961 मतों से विजयी रहे. इसके बाद देवीलाल राज्यसभा चुनाव भी हार गए थे.

...तो इसलिए चले गए थे गांव
देवीलाल विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद इतने मायूस हुए कि वे राजनीति छोड़कर अपने गांव चले गए थे. वह लगभग एक साल तक राजनीति से दूर रहे. हालांकि एक साल बाद उन्हें एक बार फिर राजनीति में लौटना पड़ा. क्योंकि उनके जाने के बाद विपक्ष कमजोर पड़ गया था. देवीलाल गांव जाने के एक साल बाद इंदिरा सरकार ने अनाज की कीमतें तय की थी. इससे किसान नाराज हो गए और हरियाणा में किसानों का आंदोलन शुरू हो गया.

देवीलाल के नहीं रहने कारण आंदोलन जोर नहीं पकड़ पा रहा था. इसके बाद प्रकाश सिंह बादल, स्वामी अग्निवेश जैसे नेता देवीलाल के पास पहुंचे और दोबारा राजनीति में आने के लिए जोर दिया.  इसके बाद देवीलाल 1974 में गेहूं की जबरन खरीद के खिलाफ किसान आंदोलन की कमान संभाल कर दोबारा राजनीति में सक्रिय हुए. 1975 में आपातकाल के दौर में वह आंदोलन में सक्रिय रहे और 1977 में जनता पार्टी के हरियाणा में सबसे बड़े नेता के रूप में उभरे. 1977-79 और फिर 1987 में हरियाणा के मुख्यमंत्री बने. 1989 से 1991 तक वीपी सिंह और चंद्र शेखर की सरकारों में उप-प्रधानमंत्री रहे.