हाल ही में बिहार में एनडीए की सरकार बनी है. नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बने हैं. सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा को डिप्टी सीएम बनाया गया है. इसके बाद डिप्टी सीएम पद को लेकर चर्चा होने लगी है. फिलहाल देशभर में 26 डिप्टी सीएम हैं. आपको बता दें कि डिप्टी सीएम का पद कोई संवैधानिक पद नहीं है. लेकिन इसके बावजूद राज्यों में डिप्टी सीएम की संख्या बढ़ती जा रही है. आखिर इसके पीछे क्या वजह है? आखिर क्यों राज्यों में डिप्टी सीएम की संख्या बढ़ती जा रही है? चलिए तमाम सवालों के जवाब तलाशने की कोशिश करते हैं.
देशभर में 26 डिप्टी सीएम-
देश में मौजूदा समय में 26 उप मुख्यमंत्री हैं. देश में सबसे ज्यादा डिप्टी सीएम आंध्र प्रदेश में हैं. सूबे में जगन मोहन रेड्डी की सरकार में 5 डिप्टी सीएम हैं. इसके बाद यूपी, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, मेघालय, नागालैंड और बिहार में 2-2 उपमुख्यमंत्री हैं. जबकि हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, कर्नाटक, तेलंगाना और अरुणाचल प्रदेश में एक-एक डिप्टी सीएम हैं. मौजूद उप मुख्यमंत्रियों में से 15 एनडीए और 3 कांग्रेस के हैं. एनडीए के 15 डिप्टी सीएम में से 13 बीजेपी के हैं.
डिप्टी सीएम का पद संवैधानिक नहीं-
उप मुख्यमंत्री का पद कोई संवैधानिक पद नहीं है. डिप्टी सीएम भी मंत्री के तौर पर ही शपथ लेते हैं. लेकिन क्रम में उनका दर्जा ऊंचा होता है. संविधान के अनुच्छेद 164 में मुख्यमंत्री और मंत्रियों के बारे में जिक्र है. लेकिन डिप्टी सीएम का कोई जिक्र नहीं है. किसी भी राज्य में मुख्यमंत्री पद और गोपनीयता की शपथ लेते हैं. इसके बाद कैबिनेट मंत्री, राज्य मंत्री और स्वतंत्र प्रभार के मंत्री के तौर पर शपथ लेने का नियम है. डिप्टी सीएम के तौर पर शपथ लेने का कोई नियम नहीं है. ना ही संवैधानिक तौर पर डिप्टी सीएम का कोई पद होता है.
इसी तरह से उप प्रधानमंत्री का भी पद संवैधानिक नहीं होता है. लेकिन आजादी के बाद से 7 ऐसे मौके आए हैं, जब देश को डिप्टी पीएम मिले हैं. देश के पहले डिप्टी पीएम सरदार वल्लभभाई पटेल थे. दूसरे डिप्टी पीएम मोरारजी देसाई थे.
डिप्टी सीएम बनाने के सियासी मायने-
संवैधानिक तौर पर डिप्टी सीएम पद का कोई जिक्र नहीं है. लेकिन मौजूदा राजनीतिक हालात में इनकी संख्या बढ़ती जा रही है. राज्यों में डिप्टी सीएम बनाने की वजह राजनीतिक है. डिप्टी सीएम बनाने का मकसद ये बताना है कि सरकार में मुख्यमंत्री के बाद सबसे ताकवतर मंत्री डिप्टी सीएम हैं. राजनीतिक तौर पर डिप्टी सीएम की हैसियत बाकी मंत्रियों से ज्यादा है.
कई राज्यों में ऐसा देखा गया है कि जातीय समीकरण साधने के लिए डिप्टी सीएम बनाए गए हैं. कई राज्यों में नेताओं को संतुष्ट करने के लिए भी डिप्टी सीएम का पद दिया जाता है. इसका मतलब है कि राज्य के शासन में डिप्टी सीएम पद का कोई महत्व नहीं है, ना ही इससे कोई फर्क पड़ता है. लेकिन सूबे में जिस पार्टी की सरकार है, उस पार्टी में डिप्टी सीएम की अहमियत होती है.
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