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Haryana Election की फेमस टर्म है '36 Biradari,' कौन हैं ये कास्ट और चुनाव में क्यों हैं जरूरी

हरियाणा के चुनावी प्रचार में एक बात हर एक मंच से सुनाई दे रही है और वह है '36 बिरादरी.' हर एक पार्टी इन 36 बिरादरी के हित की बात कर रही है तो आखिर हरियाणा के लिए क्या है इन 36 बिरादरियों का महत्व.

36 Biradari of Haryana 36 Biradari of Haryana

हरियाणा के गांव-मोहल्ले में चौपाल पर बैठकर बड़े-बूढ़े जब हुक्का गुड़गुड़ाते हैं तो सिर्फ हंसी-ठहाकों की आवाज आती है. इस मंडली में गांव-देहात के अलग-अलग समुदाय के लोग शामिल होते हैं लेकिन दूर से देखो तो सब एक ही लगते हैं. न कोई किसी से बड़ा न छोटा... सब बराबरी से अपनी बात रखते हैं और एक-दूसरे से सलाह लेते हैं. दो शब्दों में कहें तो यही हरियाणा है. हरियाणा का मतलब है भाईचारा, जहां अगर लोग चौपाल पर बैठ जाएं तो जात मायने नहीं रखती. इसी भाईचारे ने शायद हरियाणा के नारे '36 बिरादरी' को जन्म दिया होगा. 

आजकल हरियाणा में चुनावी माहौल का शोर है तो बड़े-बड़े शहरों की रैलियों से लेकर गली-मोहल्ले की चर्चाओं तक, हर एक पार्टी का नेता जनता को लुभाने के लिए यही नारा दे रहा है. हरियाणा में एक बार फिर अपनी जमीन तलाश रही कांग्रेस के बड़े नेता और पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा इस बात पर जोर देते रहते हैं कि कांग्रेस "36 बिरादरी की पार्टी" है. 

वहीं, बीजेपी अपनी सत्ता बचाने की कोशिशों में जुटी है. हाल ही में, भाजपा के राष्ट्रीय सचिव और पार्टी की घोषणापत्र समिति के प्रमुख ओम प्रकाश धनखड़ ने कहा, "अगर पार्टी चुनाव में सत्ता में वापस आती है तो हमने 36 बिरादरी में से हर एक हितों की देखभाल के लिए एक कल्याण बोर्ड का वादा किया है."

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ओपी धनखड़ और भुपेंद्र सिंह हुड्डा

क्या हैं हरियाणा की 36 बिरादरी 
द इंडियन एक्सप्रेस के साथ एक इंटरव्यू में बात करते हुए कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय के प्रोफेसर एस के चहल ने बताया कि बिरादरी शब्द बरादर से आया है, जो एक कबीले या समान वंश वाली जनजाति के भाईचारे के लिए फारसी शब्द है. अंग्रेजी का शब्द Brother इसी से बना है. बिरादरी को कौम या जात के नाम से भी जाना जाता है.

बात हरियाणा में 36 बिरादरी की करें तो मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इनमें जाट, ब्राह्मण, बनिया, राजपूत, गुर्जर, पंजाबी, बिश्नोई, ऑड, जैन, डाकौत, कुम्हार, सैनी, खाती, सुनार, धोबी, तेली, दरजी, मनियार, जोगी, नाई, स्वामी, मीना, अहीर, भील, लौहार, सपेरा, रोड़, वाल्मिकी, त्यागी, धानक, नायक, कुर्मी, डूम, गवारिया, चमार, और माली शामिल होते हैं. 

एक जाति के लोग, चाहे वे अलग-अलग जगहों पर रह रहे हों, सभी को एक बिरादरी कहा जाता है और इस बिरादरी के अंतर्गत अलग-अलग गोत्र के लोग हो सकते हैं. जैसे जाट बिरादरी के लोग हरियाणा के लगभग हर जिले में मौजूद हैं और उनके अलग-अलग गोत्र हैं जैसे अहलावत, रावत, हुड्डा, तंवर, तोमर, डागर, पूनिया, देसवाल, राठी आदि. 

हरियाणा के इतिहास महाभारत से जुड़ा है. इसमें एक थ्योरी यह भी है कि प्राचीन काल में इस भूमिखंड पर 36 राजवंश यानी राजसी कुल हुआ करते थे और इन्हीं कुलों के आधार पर 36 बिरादरी की अवधारणा आई. लेकिन आज हरियाणा के प्रमुख जाति समुदायों को 36 बिरादरी का नाम दिया जाता है.

हरियाणा में है 36 से ज्यादा जातियां 
हालांकि, छह बार के पूर्व विधायक और कांग्रेस के पूर्व राज्य वित्त मंत्री संपत सिंह का कहना है कि "36 बिरादरी" सिर्फ मुहावरा है और वास्तव में 36 से अधिक जातियां हैं. उनका कहना है कि साल 2016 में, उन्होंने सभी जातियों के बीच भाईचारे को मजबूत करने के लिए हिसार में अपने घर पर एक कार्यक्रम बुलाया और इसमें लगभग 85 जातियों के सदस्यों ने भाग लिया. '36 बारादरी' का भाईचारा हरियाणा में एक बहुत ही आम शब्द है जिसका इस्तेमाल समाज में सद्भाव को बढ़ावा देने के लिए किया जाता है.

लोगों को संबोधित करके संपत सिंह

हरियाणा के अलावा पंजाब और राजस्थान की संस्कृतियों में भी 36 बिरादरी का उपयोग किया जाता है. इतिहास की बात करें तो अजमेर-मारवाड़ गजेटियर (1951) में 37 जातियों के अस्तित्व का उल्लेख है. वहीं, मध्ययुगीन फ़ारसी इतिहास उत्तर भारत में 36 बिरादरी (कुलों या साम्राज्यों) के अस्तित्व का जिक्र करता है. इसी तरह, राजपूताना के एक प्रसिद्ध इतिहासकार, लेफ्टिनेंट कर्नल जेम्स टॉड, ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के एक अधिकारी, 36 राजवंशों या राज्यों की बात करते हैं. हरियाणा में '36 बिरादरी' एक मुहावरा है जिसे प्रमुख समुदायों को संदर्भित करने के लिए किया जाता है और इसका मतलब यह नहीं है कि वास्तव में वास्तव में 36 समुदाय हैं.

राजनिति में क्या हैं इसके मायने 
बात राजनिति की करें तो 36 बिरादरी का मुहावरा हर एक पार्टी अपनी छवि लोगों के बीच मजबूत करने के लिए इस्तेमाल कर रही है. राजनेता इसका इस्तेमाल यह दिखाने के लिए करते हैं कि वे हर एक जाति के हित का ध्यान रखेंगे. उनकी कोशिश अपनी धर्मनिरपेक्ष छवि बनाना है. हरियाणा में आज भी बहुत से लोग जाति विशेष के आधार पर मतदान करते हैं ऐसे में बिरादरियों की बात होना स्वभाविक है. 

पार्टियां भी इसी आधार पर अलग-अलग क्षेत्रों से उम्मीदवार उतारती हैं. 5 अक्टूबर के चुनावों के लिए, भाजपा ने अन्य लोगों के अलावा, 21 ओबीसी, 17 जाट, 11 ब्राह्मण, 11 पंजाबी हिंदू, पांच बनिया और दो मुसलमान उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है. कांग्रेस से 26 जाट उम्मीदवार, 20 ओबीसी, 17 एससी, 11 सिख या पंजाबी हिंदू, छह ब्राह्मण, पांच मुस्लिम, दो वैश्य और एक राजपूत, बिश्नोई और रोर उम्मीदवार मैदान में हैं.