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Maharashtra Siyasi Kisse: Goa में छुट्टी मना रहे थे Sharad Pawar… Rajiv Gandhi का आया फोन…और फिर 24 घंटे के भीतर लेनी पड़ी CM की शपथ, जानिए महाराष्ट्र का ये सियासी किस्सा

शरद पवार (Sharad Pawar) चार बार महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने. पहली बार सरकार गिराकर शरद पवार मुख्यमंत्री बने. दूसरी बार कांग्रेस का विलय होने के बाद मुख्यमंत्री बने. शंकरराव चव्हाण (Shankarrao Chavan) की जगह पर शरद पवार मुख्यमंत्री बने. शरद पवार दूसरी बार मुख्यमंत्री कैसे बने. इस बारे में जानते हैं.

Sharad Pawar Became Maharashtra CM Second Time in 1988 (Photo Credit: Getty Images) Sharad Pawar Became Maharashtra CM Second Time in 1988 (Photo Credit: Getty Images)
हाइलाइट्स
  • शरद पवार पहली बार 1978 में मुख्यमंत्री बने

  • 1986 में दोनों कांग्रेस का विलय हो गया

शरद पवार (Sharad Pawar) मुंबई से दूर गोवा में छुट्टियां मना रहे थे. सुबह 4 बजे प्रधानमंत्री राजीव गांधी का शरद पवार के पास फ़ोन आया. राजीव गांधी (Rajiv Gandhi) ने इधर-उधर की बातें कीं. फिर शाम को दिल्ली आकर मिलने को कहा. शरद पवार मुंबई होते हुए दिल्ली पहुंचे.
 
शरद पवार आधी रात को प्रधानमंत्री राजीव गांधी से मिले. राजीव गांधी ने शरद पवार को महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बनने को कहा. अगले दिन तारीख थी, 24 जून 1988. शरद पवार ने इसी दिन दूसरी बार महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. ये घटनाक्रम इतना ही नहीं है. इसकी शुरूआत राजस्थान के राजभवन से होती है.

शरद पवार दूसरी बार महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री कैसे बने? आइए महाराष्ट्र के इस सियासी क़िस्से पर नज़र डालते हैं.

कांग्रेस में विलय
साल 1984 में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी (Indira Gandhi Assassination) की हत्या हुई. इसके बाद राजीव गांधी देश के प्रधानमंत्री बने. राजीव गांधी ने शरद पवार को कांग्रेस में शामिल होने का प्रस्ताव दिया. इसके बाद भी कई बार ऐसा ही प्रस्ताव दिया. राजीव गांधी ने कांग्रेस (S) और कांग्रेस (I) के विलय की जिम्मेदारी गृह मंत्री अरूण नेहरू (Arun Nehru) को दी. 

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इस काम में अरूण नेहरू के साथ विजय धर भी शामिल हो गए. विजय धर (Vijay Dhar) के पिता पीएन धर (PN Dhar) इंदिरा गांधी के सलाहकारों में से एक थे. महाराष्ट्र के मंत्री शंकरराव चव्हाण कांग्रेस के विलय के समर्थन में नहीं थे. कांग्रेस के कई नेताओं ने इसका विरोध किया. इसके बावजूद 6 दिसंबर 1986 को औरंगाबाद में एक रैली हुई. इस रैली में कांग्रेस (S) और कांग्रेस (I) का विलय हो गया. एक बार फिर से कांग्रेस एक हो गई.

राजस्थान में मीटिंग
1986 में कांग्रेस के हाईकमान ने शंकरराव चव्हाण को मुख्यमंत्री बनाया. दो साल के अंदर ही कांग्रेस के ही लोग शंकरराव चव्हाण से मुख्यमंत्री की कुर्सी छीनने की जद्दोजहद में लग गए. इस दौरान वसंतदादा पाटिल राजस्थान के राज्यपाल थे. ये वहीं वसंतदादा पाटिल (Vasantdada Patil) हैं जिनकी सरकार गिराकर शरद पवार पहली बार मुख्यमंत्री बने थे.

वसंतदादा पाटिल ने महाराष्ट्र कांग्रेस के कुछ बड़े नेताओं को जयपुर के राजभवन में बुलाया. इस बैठक में शरद पवार भी थे. शरद पवार अपनी आत्मकथा ऑन माय टर्म्स में लिखते हैं कि रामाराव अधिक और नीलंगेकर मुख्यमंत्री बनना चाहते थे. बैठक में तय हुआ कि इस मामले में वसंतदादा पाटिल का फैसला की माना जाएगा. वसंतदादा पाटिल ने मुख्यमंत्री के लिए शरद पवार के नाम का प्रस्ताव रखा जिसका सभी ने समर्थन किया.

वसंतदादा पाटिल शंकरराव चव्हाण को हटाने के काम में लग गए. उन्होंने राजस्थान के राज्यपाल के पद से इस्तीफ़ा दे दिया. इसके बाद दक्षिण मुंबई में अपने निवास से कांग्रेस नेताओं से मीटिंग करने लगे. इसी दौरान बोफ़ोर्स घोटाला भी सामने आया था. वी.पी. सिंह (V. P. Singh) राजीव गांधी के ख़िलाफ़ हो गए. उन्होंने राजीव गांधी के खिलाफ अभियान छेड़ दिया.

राजीव गांधी का फोन
शरद पवार 1984 में लोकसभा चुनाव जीता सांसद बने थे. 1988 में भी शरद पवार सांसद की ज़िम्मेदारी सँभाल रहे थे. वहीं वसंतदादा पाटिल का गुट कमजोर हो चुका था. ऐसे में राजीव गांधी महाराष्ट्र में किसी मज़बूत नेता को सीएम बनाना चाहते थे. शरद पवार उन दिनों गोवा में छुट्टियां का मज़ा ले रहे थे. एक दिन सुबह 4 बजे राजीव गांधी का फ़ोन आया.

शरद पवार अपनी आत्मकथा ऑन माई टर्म्स में लिखते हैं कि राजीव गांधी ने पूछा, तुम क्या कर रहे हो? शरद पवार ने मज़ाक़ करते हुए कहा- सुबह के 4 बजे कोई क्या करेगा, सोएगा. राजीव गांधी ने बताया कि वो तो ऑफिस में काम कर रहे हैं. इधर-उधर की कुछ बातें करने के बाद राजीव गांधी असल मुद्दे पर आए. प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने शरद पवार को शाम तक दिल्ली आने को कहा.

गोवा टू दिल्ली
90 के दशक में गोवा से दिल्ली की डायरेक्ट फ़्लाइट नहीं हुआ करती थी. शरद पवार पहले गोवा से मुंबई पहुंचे. फिर मुंबई से दिल्ली पहुंचे. शरद पवार को इस बात का अंदाजा हो गया था कि उनको महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बनने को कहा जा सकता है. आधी रात को शरद पवार दिल्ली में राजीव गांधी से मिले.

राजीव गांधी ने शरद पवार से अगले दिन महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री की शपथ लेने को कहा. शरद पवार को बताया गया कि समय बहुत कम है. राजीव गांधी ने कहा, वापस मुंबई जाओ. शपथ लेने के बाद मंत्रिमंडल के बारे में बात करेंगे. इसके बाद शरद पवार दिल्ली से मुंबई के लिए निकल गए.

दूसरी बार CM
शरद पवार प्रधानमंत्री राजीव गांधी से मिलने के बाद दिल्ली से मुंबई पहुंचे. मुंबई पहुंचने पर शरद पवार को पता चला कि शंकरराव चव्हाण ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है. कांग्रेस हाईकमान का आदेश महाराष्ट्र कांग्रेस तक पहुंच चुका था. महाराष्ट्र में नए मुख्यमंत्री को शपथ दिलाने की तैयारी चल रही थी.

23 जून 1988 को शरद पवार गोवा में छुट्टियां मना रहे थे. राजीव गांधी के एक फोन कॉल के चलते शरद पवार 24 जून को मुख्यमंत्री पद की शपथ ले रहे थे. इस तरह से शरद पवार दूसरी बार महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने. शरद पवार को कांग्रेस में विलय करने का नतीजा मिल ही गया.