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Maharashtra Siyasi Kisse: जब Uddhav Thackeray ने मिलने से कर दिया मना…तो Eknath Shinde ने Devendra Fadnavis के साथ मिलकर सरकार गिराने की बना ली योजना, जानिए महाराष्ट्र के ये सियासी किस्सा

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 (Maharashtra Assembly Election 2024) की सरगर्मियां तेज है. शिवसेना (Shiv Sena) और शिवसेना यूबीटी (Shiv Sena UBT) के बीच जबरदस्त टक्कर है. ढाई साल पहले शिवसेना एक हुआ करती थी. उद्धव (Uddhav Thackeray) और एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) साथ बैठकर सरकार चलाते थे लेकिन एक फोन कॉल ने उद्धव ठाकरे की सरकार गिराने की स्क्रिप्ट लिख दी.

Maharashtra Siyasi Kisse (Photo Credit: PTI) Maharashtra Siyasi Kisse (Photo Credit: PTI)
हाइलाइट्स
  • एकनाथ शिंदे शिवसेना विधायक दल के नेता थे

  • शिवसेना उम्मीदवार को राज्यसभा चुनाव में हार मिली थी

Maharashtra Siyasi Kisse: नवंबर का महीना. साल 2019. महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव के नतीजे आ गए थे. बीजेपी (BJP) सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी. बीजेपी शिवसेना के साथ मिलकर सरकार बना सकती थी लेकिन उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) का इरादा इस बार कुछ और था. महाराष्ट्र में शिवसेना के मुख्यमंत्री के लिए उद्धव ने बीजेपी से नाता तोड़कर कांग्रेस (Congress) और एनसीपी (NCP) से हाथ मिला लिया.

इसी दौरान एक शाम एकनाथ शिंदे को एक शख्स का फोन आता है. ये फोन बीजेपी के देवेन्द्र फडणवीस का था. देवेन्द्र फडणवीस (Devendra Fadnavis) एकनाथ शिंदे से सरकार बनाने में मदद की बात करते हैं. उस वक्त एकनाथ शिंदे फडणवीस को साफ-साफ मना कर देते हैं.

इस फोन कॉल के ठीक ढाई साल बाद देवेन्द्र फडणवीस को एक कॉल आता है. इस बार फोन एकनाथ शिंदे ने किया था. इस एक फोन कॉल ने उद्धव ठाकरे की सरकार गिराने की स्क्रिप्ट लिखी.

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आखिर जिस एकनाथ शिंदे ने ढाई साल पहले उद्धव ठाकरे की सरकार बनाने में एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया. जो उद्धव सरकार बनाने के लिए एनसीपी के विधायकों को वापस लाए. आखिर एकनाथ शिंदे ने क्यों उद्धव ठाकरे की सरकार गिराने की योजना बना दी?

राज्यसभा चुनाव
10 जून 2022 को राज्यसभा चुनाव के नतीजे आए. इस चुनाव में शिवसेना के उम्मीदवार संजय पवार की हार हुई. संजय पवार को सिर्फ 39.26 वोट मिले. इस हार का शक एकनाथ शिंदे पर गया. 15 जून को एकनाथ शिंदे और आदित्य ठाकरे साथ में अयोध्या गए.

उद्धव ने मिलने से इंकार
20 जून को विधान परिषद के चुनाव होने थे. इसके लिए उद्धव ठाकरे के सरकारी आवास वर्षा पर पार्टी की मीटिंग बुलाई गई. एकनाथ शिंदे भी इस मीटिंग के लिए उद्धव के सरकारी आवास पर पहुंच गए. 

एकनाथ शिंदे जब उद्धव के सरकारी आवास वर्षा पहुंचे तो वहां मीटिंग शुरू हो चुकी थी. मीटिंग में उद्धव ठाकरे, सांसद विनायक राउत, अनिल देसाई और मंत्री अनिल परब थे. एकनाथ शिंदे ने भीतर अपने आने की जानकारी दी लेकिन उनको मीटिंग में नहीं बुलाया गया.

इंतजार करते रहे शिंदे
इस पूरे घटनाक्रम का जिक्र जीतेन्द्र दीक्षित की किताब सबसे बड़ी बगावत में है. जीतेन्द्र दीक्षित लिखते हैं कि एकनाथ शिंदे करीब एक घंटे तक इंतजार करते रहे. एक घंटे के बाद मीटिंग खत्म हुई. मीटिंग के बाद सभी वहां से चले गए.

एकनाथ शिंदे को लेकर चुनाव की रणनीति को लेकर उद्धव ठाकरे उनसे बात करेंगे लेकिन ऐसा नहीं हुआ. उद्धव ठाकरे मीटिंग से सीधे कमरे में चले गए. एकनाथ शिंदे को बताया गया कि उद्धव ठाकरे उनसे नहीं मिलेंगे. ये एकनाथ शिंदे का अपमान थे. वो वहां से अपने आवास नंदनवन चले गए.

एक फोन कॉल
एकनाथ शिंदे अपने आवास नंदनवन पहुंच गए. वहां पहले से ही एकनाथ शिंदे के समर्थन करने वाले मंत्री आए हुए थे. एकनाथ शिंदे ने उनको पूरी बात बताई. ये मंत्री भी उद्धव ठाकरे के बर्ताव से परेशान थे. इसके बाद तय हुआ कि अब और अपमान बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.

एकनाथ शिंदे ने मोबाइल निकाला और पहले से सेव एक नंबर डायल किया. ये नंबर पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी नेता देवेन्द्र फडणवीस का था. एकनाथ शिंदे ने फडणवीस को बताया कि उन्होंने उद्धव ठाकरे का साथ छोड़ने का फैसला कर लिया है.

हरकत में आई बीजेपी
एकनाथ शिंदे के फोन कॉल के बाद देवेन्द्र फडणवीस हरकत में आ गए. उन्होंने गृह मंत्री अमित शाह को इस बारे में जानकारी दी. अमित शाह (Amit Shah) को इस बारे में पहले से अंदाजा था. अमित शाह ने कुछ दिन पहले देवेन्द्र फडणवीस से कहा था- महाराष्ट्र में अपनी सरकार आने वाली है. आप तैयार है न?

देवेन्द्र फडणवीस के बाद अमित शाह ने एकनाथ शिंदे से इस बारे में बात की. इसके बाद बीजेपी हाईकमान हरकत में आ गया. बीजेपी ने एकनाथ शिंदे को चुप रहने को कहा. उद्धव ठाकरे की सरकार गिराने की एक फुलप्रूफ योजना बनाई गई.

इस तरह से एक फोन और उद्धव ठाकरे के एक फैसले की वजह से एकनाथ शिंदे ने सरकार गिराने की योजना बना दी. बाद में इसी योजना के तहत उद्धव ठाकरे की सरकार गिरी और शिवसेना दो धड़े में बंट गई.