भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के महासचिव सीताराम येचुरी (Sitaram Yechury) अब हमारे बीच नहीं रहे. वह पिछले कुछ दिनों से बीमार थे. उन्हें इलाज के लिए दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) में भर्ती कराया गया था, जहां येचुरी ने 12 सितंबर 2024 को 72 साल की आयु में अंतिम सांस ली. भले ही सीताराम येचुरी नहीं रहे लेकिन भारतीय राजनीति में उन्हें हमेशा याद किया जाएगा. उनसे जुड़े किस्से लोग याद करते रहेंगे. आज हम पश्चिम बंगाल के पूर्व सीएम ज्योति बसु (Jyoti Basu) और सीताराम येचुरी से जुड़े एक किस्से के बारे में बता रहे हैं, जब बसु ने येचुरी को खतरनाक आदमी कह दिया था.
तेलुगु सीताराम येचुरी की थी मातृ भाषा
सीताराम येचुरी जहां देश की राजनीति का जाने-माने नाम थे, तो वहीं पढ़ाई के दौरान भी काफी मेधावी रहे. उन्हें एक-दो नहीं कुल 6 भाषाओं का ज्ञान था. तेलुगु ब्राह्मण परिवार में जन्म लेने से तेलुगु सीताराम येचुरी की मातृ भाषा थी. इसके साथ ही सीताराम येचुरी हिंदी भाषा पर भी अच्छी पकड़ रखते थे. उन्हें अंग्रेजी के साथ बांग्ला, तमिल और मलयालम भाषा का भी ज्ञान था. भारत के नेताओं में भाषा के जानकारों में नरसिम्हा राव सबसे आगे थे. उन्हें 10 से ज्यादा भाषाएं आती थीं.
देश में प्रथम स्थान किया था प्राप्त
12 अगस्त 1952 को चेन्नई में सोमयाजुला येचुरी और कल्पकम येचुरी के घर जन्मे सीताराम येचुरी पढ़ाई में बचपन से मेधावी थे. उन्होंने केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की परीक्षाओं में अखिल भारतीय स्तर पर प्रथम स्थान प्राप्त किया था. उन्होंने हैदराबाद के ऑल सेंट्स हाईस्कूल से मैट्रिक किया था. 1969 के तेलंगाना आंदोलन के बाद वे दिल्ली आ गए थे.
यहां पर उन्होंने प्रेजीडेंट्स इस्टेट स्कूल में एडमिशन लिया था. इसके बाद उन्होंने नई दिल्ली स्थित सेंट स्टीफन कॉलेज से अर्थशास्त्र में बीए (ऑनर्स) किया. उन्होंने 1975 में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) से अर्थशास्त्र में स्नातकोत्तर की पढ़ाई पूरी की. एमए करने के बाद येचुरी जेएनयू में ही पीएचडी करने लगे. हालांकि वह इंदिरा गांधी द्वारा लगाए गए इमरजेंसी के कारण पीएचडी पूरी नहीं कर सके. 1977 में आपातकाल हटने के बाद जेल से रिहा होने के बाद सीताराम येचुरी तीन बार जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष चुने गए.
क्यों कहा था खतरनाक आदमी
कम्युनिस्ट नेता और पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री ज्योति बसु ने एक बार बीजिंग यात्रा के दौरान सीताराम येचुरी से मजाक में कहा था कि वह बहुत खतरनाक आदमी हैं. दरअसल, येचुरी को अलग-अलग राज्यों के सहकर्मियों से उनकी भाषा में बात करते देख बसु दंग रह गए थे. छह भाषाओं में पारंगत सीताराम येचुरी, जिस भाषा को जो व्यक्ति मिलता था, उसके साथ उसी भाषा में बात करते थे.
वह ज्योति बसु से जब भी मिलते थे बांग्ला में बातचीत करते थे. सीताराम येचुरी केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन से मलयालम में बात करते थे. हरकिशन सिंह सुरजीत 1992 से 2005 तक सीपीआई-एम के महासचिव थे. वह पंजाबी थे. येचुरी ने हरकिशन सिंह सुरजीत से ही राजनीति का ककहरा सीखा था. सीताराम येचुरी चूकि पंजाबी भी जानते थे इसलिए वह जब भी हरकिशन सिंह सुरजीत से बात करते थे तब, पंजाबी ही बोलते थे. सुरजीत की विरासत को येचुरी ने ही आगे बढ़ाया.
स्पष्ट वक्ता थे सीताराम येचुरी
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के 5वें महासचिव सीताराम येचुरी CPI-M के दूसरे नेताओं की तरह कट्टरपंथी नहीं थे. वह नरमपंथी थे. वह हंसमुख और मिलनसार स्वभाव के थे. उनकी सारी पार्टियों के नेताओं के साथ दोस्ती थी. सीताराम येचुरी पहली बार साल 2005 में पश्चिम बंगाल से राज्यसभा के सदस्य चुने गए थे. वह राज्यसभा में 18 अगस्त 2017 तक रहे.
राज्यसभा में सीताराम येचुरी अपनी वाक क्षमता और तथ्यात्मक भाषण शैली के जाने जाते थे. वह स्पष्ट वक्ता थे. येचुरी किसी भी मुद्दे पर अपनी बात पूरी मजबूती के साथ रखते थे. उनके तर्क सटीक हुआ करते थे. वह हिंदू पौराणिक कथाओं के अच्छे जानकार थे. सदन में या टीवी पर डिबेट के दौरान भाजपा पर हमला करने के लिए वह अक्सर उन संदर्भों का इस्तेमाल करते थे. यूपीए-2 और उसके बाद नरेंद्र मोदी सरकार के कार्यकाल में येचुरी विपक्ष की एक सशक्त आवाज बने रहे. उन्हें वो नियम पता थे, जिनके तहत वे मुद्दे उठाए जा सकते थे, जिन्हें वह उठाना चाहते थे.
इंडिया अलायंस को दिया था वन अगेंस्ट वन फॉर्मूला
इंडिया अलायंस की मजबूती की एक बड़ी कड़ी सीताराम येचुरी थे. वह साल 2023 में पटना गए थे. उन्होंने इस दौरान एक बड़ी बात कही थी, जिसके बाद से ही पूरी राजनीति की दिशा भी बदल गई थी. सीताराम येचुरी ने कहा था कि यदि भारतीय जनता पार्टी से लड़ाई लड़नी है तो ‘वन अगेंस्ट वन’ के फॉर्मूले पर चलना पड़ेगा.उन्होंने साफ तौर पर कहा था कि ऐसी व्यवस्था की जानी चाहिए कि एक सीट पर इंडिया गठबंधन से एक उम्मीदवार ही खड़े हों और शेष गठबंधन में शामिल दलों को सीट मिले.
सर्वश्रेष्ठ सांसद का मिला था पुरस्कार
सीताराम येचुरी का सोनिया और राहुल गांधी से रिश्ता एक दोस्त और मार्गदर्शक जैसा था. सीताराम येचुरी अपने दोस्तों और सहयोगियों के बीच सीता के नाम से जाने जाते थे. येचुरी साल 1993 में 14वीं कांग्रेस में पुलिस ब्यूरो चुन लिए गए थे. साल 2005 में राज्यसभा के लिए चुने गए थे. इसके बाद 2015 में पहली बार सीपीएम के महासचिव चुने गए थे. इसके बाद साल 2018 में दूसरी बार और 2022 में तीसरी बार महासचिव का पद संभाला था. सीताराम येचुरी को वर्ष 2017 में सर्वश्रेष्ठ सांसद राज्यसभा का पुरस्कार दिया गया था.