कलर्स टीवी के सबसे सफल शो, 'बालिका वधू' की दादी सा कोई नहीं भुला सकता है. ठेठ राजस्थानी दादी के किरदार को दिवंगत अदाकारा सुरेखा सीकरी ने इस तरह निभाया कि शहरों से लेकर गांवों तक उनकी चर्चा होने लगी. साल 1978 में फिल्म 'किस्सा कुर्सी का' से अपने फिल्मी करियर की शुरुआत करने वाली सुरेखा टीवी पर भी काफी मशहूर रहीं. यह टीवी ही था जिसने उन्हें घर-घर में पहचान दिलाई.
19 अप्रैल, 1945 को उत्तर प्रदेश में जन्मी सुरेखा सीकरी को हमेशा से ही एक्टिंग का शौक था. उन्होंने 1971 में राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (NSD) से स्नातक किया. सुरेखा को उनके किरदारों के लिए उन्हें हमेशा याद किया जाएगा. वह आखिरी स्क्रीन बार नेटफ्लिक्स एंथोलॉजी 'घोस्ट स्टोरीज़' (2020) में नजर आई थीं. आज हम आपको बता रहे हैं उनके कुछ बेहतरीन किरदारों के बारे में
तमस
गोविंद निहलानी ने भीष्म साहनी के हिंदी उपन्यास पर आधारित इस पीरियड टेलीविजन फिल्म, तमस का निर्देशन किया था. यह 1947 के विभाजन के दौरान लाखों लोगों की दिल दहला देने वाली परिस्थितियों पर आधारित थी. सुरेखा सीकरी ने फिल्म में राजो की भूमिका निभाई और अपनी अद्भुत एक्टिंग के लिए, उन्होंने सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री के लिए अपना पहला राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीता.
मम्मो
श्याम बेनेगल की मुस्लिम ट्रायोल्जी में, सुरेखा सीकरी ने नायक (अमित फाल्के द्वारा अभिनीत) की दादी की भूमिका निभाई. फिल्म में एक दिन अचानक वह अपनी लंबे समय से खोई हुई बहन मम्मो (फरीदा जलाल) से मिलती हैं. उनके अद्भुत प्रदर्शन के लिए, उन्हें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से सम्मानित किया गया. (Photo: IMDb)
ज़ुबैदा
इस फिल्म में, सीकरी ने करिश्मा कपूर, रेखा और मनोज बाजपेयी के साथ फैयाज़ी के रूप में भूमिका निभाई और फिर से उनके अभिनय की सराहना की गई. (Photo: Twitter)
सलीम लंगड़े पे मत रो
जब सीकरी के अभिनय की बात आती है तो छोटी भूमिकाएं या कैमियो भी कभी मायने नहीं रखते. सईद अख्तर मिर्जा की यह फिल्म अल्पसंख्यकों पर हिंदुत्व उग्रवाद के प्रभाव के इर्द-गिर्द घूमती है. इसमें सीकरी ने अमीना का किरदार इस तरह निभाया कि उनका छोटा रोल बड़ा बन गया. (Photo: IMDb)
बधाई हो
'बधाई हो' फिल्म बहुत ही मजेदार है और साथ ही, समाज के एक बहुत बड़े मुद्दे को एड्रेस करती है. कहानी तब शुरू होती है जब आयुष्मान की मां (नीना गुप्ता) बड़ी उम्र में गर्भवती हो जाती है. इस फिल्म की कहानी के अलावा, जिस चीज ने ध्यान खींचा वह था फिल्म में एक शांत दादी के रूप में सुरेखा का किरदार.