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#44YearsOfKarz: सिमी गरेवाल नहीं करना चाहती थीं फिल्म, दो महीने तक सुभाष घई ने मनाया, तब जाकर तैयार हुई कर्ज...

ऋषि कपूर, टीना मुनीम और सिमी गरेवाल की फिल्म कर्ज को रिलीज हुए 44 साल पूरे हो गए हैं. साल 1980 में रिलीज हुई 'कर्ज' ऋषि कपूर की सुपरहिट फिल्मों में शुमार की जाती है.

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हाइलाइट्स
  • आइए जानते हैं फिल्म की मेकिंग से जुड़े किस्से

  • ऐसे तैयार किया गया था 'एक हसीना थी' गाना

ऋषि कपूर (Rishi Kapoor), टीना मुनीम (Tina Munim) और सिमी गरेवाल (Simi Garewal) और प्राण (Pran) की फिल्म कर्ज को रिलीज हुए 44 साल पूरे हो गए हैं. साल 1980 में रिलीज हुई 'कर्ज' ऋषि कपूर की सुपरहिट फिल्मों में शुमार की जाती है.

आइए जानते हैं फिल्म की मेकिंग से जुड़े किस्से

सुभाष घई म्यूजिक के शौकीन रहे हैं लेकिन उस दौर में लोग उन्हें ताना मारते थे कि उनकी फिल्मों में म्यूजिक अच्छा नहीं होता इसलिए उन्होंने म्यूजिक पर बेस्ड एक थ्रिलर कहानी लिखी थी जो कि सुपरहिट साबित हुई.

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मोंटी का किरदार निभाने के लिए ऋषि कपूर ही एकमात्र पसंद थे और उनकी फिल्में भी अच्छा प्रदर्शन कर रही थीं और उन्हें स्टार का दर्जा मिला था. इसलिए सुभाष घई ने उन्हें अपनी फिल्म में कास्ट किया था.

सुभाष घई ने 24 अक्टूबर 1978 को अपना प्रोडक्शन बैनर मुक्ता आर्ट्स लॉन्च किया और कर्ज़ इस बैनर तले बनी पहली फिल्म थी. यह फिल्म हॉलीवुड फिल्म द रीइंकार्नेशन ऑफ पीटर प्राउड 1975 से प्रेरित थी.

ऐसे तैयार किया गया था 'एक हसीना थी' गाना
फिल्म में शास्त्रीय धुन कई बार बजाई गई थी इसलिए सुभाष घई और लक्ष्मीकांत प्यारेलाल ने इस पर एक गाना बनाने का फैसला किया और गीतकार आनंद बख्शी को सिचुएशन दी और गाना 'एक हसीना थी' तैयार किया गया.

ऋषि और टीना की जोड़ी
मेरा नाम जोकर के लगभग 10 साल बाद सिमी गरेवाल और ऋषि कपूर ने कर्ज में एक साथ काम किया. देस परदेस के बाद कर्ज टीना मुनीम की पहली फिल्म थी. ऋषि कपूर और टीना मुनीम की जोड़ी बहुत अच्छी थी. इस फिल्म के बाद दोनों कई फिल्मों में साथ नजर आए.

सुभाष घई ने 'पैसा ये पैसा' गाने के लिए एक दिन की शूटिंग के लिए एक मोटे शख्स को बुलाया था लेकिन वो किसी वजह से शूटिंग पर नहीं पहुंचा इसके बाद वो रोल खुद शुभाष घई ने किया. 

असल में नहीं था कोई मंदिर
फिल्म की सक्सेस के बाद काली माता मंदिर काफी फेमस हो गया. ऊटी आने वाले लोग इस मंदिर के बारे में पूछते थे लेकिन असल में ये मंदिर था ही नहीं. वो सिर्फ मुंबई के स्टूडियो में बनाया गया एक सेट था.

शुरुआत में सिमी गरेवाल ने सुभाष घई से कुछ सीन्स में बदलाव करने को कहा था क्योंकि उन्हें लगता था कि इस रोल के बाद उन्हें केवल एक वैंप के रूप में जाना जाएगा. हालांकि जैसे-जैसे फिल्म आगे बढ़ी, उन्हें अपना रोल पसंद आने लगा.

फिल्म की सफलता को लेकर उठे सवाल
इस फिल्म के निर्माण के दौरान कई लोगों ने सुभाष घई को सलाह दी की ये फिल्म सक्सेसफुल नहीं हो पाएगी क्योंकि इसमें केवल एक ही स्टार थे- ऋषि कपूर. उस समय टीना मुनीम की देस परदेस भी रिलीज नहीं हुई थी. राज किरण कोई स्टार नहीं थे. सिमी गरेवाल की कमर्शियल वैल्यू कुछ ज्यादा नहीं थी, जबकि उन दिनों बनने वाली ज्यादातर फिल्मों में अमिताभ बच्चन नजर आते थे.

सिमी गरेवाल और ऋषि कपूर नहीं करना चाहते थे फिल्म
सिमी गरेवाल ये रोल करने के लिए झिझक रही थीं, इसलिए सुभाष घई को उन्हें मनाने में दो महीने लग गए. इतना ही नहीं ऋषि कपूर भी इस फिल्म को नहीं लेना चाहते थे क्योंकि सुभाष घई कालीचरण 1976 और विश्वनाथ 1978 जैसी एक्शन फिल्मों के लिए जाने जाते थे, एक्शन के दौर में वो रोमांटिक रिवेंज फिल्म बनाना चाहते थे.

कर्ज, कुर्बानी से एक हफ्ते के अंतर पर रिलीज हुई थी, जिससे इसके बिजनेस पर असर पड़ा क्योंकि कुर्बानी बड़े बजट की फिल्म थी और कर्ज कम बजट की थी, लेकिन फिल्म ने ठीक ठाक कलेक्शन किया.

तीन महीने की शूटिंग के बाद बंद हो गई फिल्म
प्राण के बेटे सुनील सिकंद फिल्म रीइंकार्नेशन ऑफ पीटर प्राउड का रीमेक बना रहे थे. ये 1979 की बात है. फिल्म का नाम करिश्मा था. फिल्म में शशि कपूर, अमिताभ बच्चन, प्रवीण बाबी, डैनी डेन्जोंगपा ने अभिनय किया था. जब सुनील को खबर मिली कि सुभाष घई उसी फिल्म का रीमेक कर्ज बना रहे हैं, तो उन्होंने अपनी फिल्म बंद कर दी. उन्होंने फिल्म के लिए 3 महीने तक शूटिंग की थी.

क्या थी फिल्म की कहानी
शादी के बाद रवि की पत्नी कामिनी उसकी हत्या कर देती है. रवि का मोंटी के रूप में पुनर्जन्म होता है और जोकि एक सिंगर है, वो ऊटी में छुट्टियां मनाने जाता है, जहां उसे अपना पिछला जन्म याद आता है.