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49 years of Sholay: 15 अगस्त के मौके पर रिलीज हुई थी आइकॉनिक फिल्म 'शोले', जानिए मेकिंग से जुड़े रोचक किस्से

Sholay Turns 49: आइकॉनिक फिल्म 'शोले' (Sholay) आज ही के दिन 1975 में रिलीज हुई थी. शोले के निर्देशक थे रमेश सिप्पी और फिल्म को लिखा था सलीम-जावेद की जोड़ी ने.

Sholay Sholay

हिंदी सिनेमा की आइकॉनिक फिल्म 'शोले' (Sholay) की रिलीज को आज 49 साल पूरे हो गए हैं. फिल्म 15 अगस्त 1975 को रिलीज हुई थी. आजादी की सालगिरह के मौके पर रिलीज हुई 'शोले' ने बॉक्स ऑफिस के सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए थे. जय-वीरू, ठाकुर, गब्बर, बसंती, कालिया, सांभा, सूरमा भोपाली जैसे किरदार आज भी लोगों के जहन में ताजा हैं.

3 करोड़ में बनकर तैयार हुई थी शोले
'शोले' में अमिताभ बच्चन, धर्मेंद्र, अमजद खान, संजीव कुमार, हेमा मालिनी और जया बच्चन जैसे सितारों ने काम किया था. शोले के निर्देशक थे रमेश सिप्पी और फिल्म को लिखा था सलीम-जावेद की जोड़ी ने. फिल्म को बनने में 6 साल लगे थे. इसे बनाने में 3 करोड़ खर्च हुए थे.

1975 में सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्म ‘शोले’ के बारे में आइए जानते हैं कुछ रोचक बातें.

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शुरुआत में नहीं मिला अच्छा रिस्पॉन्स
शोले जब सिनेमाघरों में रिलीज हुई तो तीन-चार दिन तक तो थियेटर्स खाली रहे...शुरुआत के कुछ दिनों तक फिल्म की कमाई निराशाजनक थी. धीरे-धीरे शोले को माउथ पब्लिसिटी का सहारा मिला. और फिल्म 35 करोड़ का कलेक्शन करने में कामयाब रही. शोले की सफलता का आलम ये रहा कि 20 साल तक इसकी कमाई का रिकॉर्ड कोई फिल्म नहीं तोड़ पाई. फिल्म का बजट 1 करोड़ रुपए तय किया था लेकिन समय अधिक लगने से बजट बढ़ता चला गया.

डैनी को लेना चाहते थे डायरेक्टर
गब्बर के रोल के लिए डायरेक्टर रमेश सिप्पी की पहली पसंद डैनी थे लेकिन वो किसी और फिल्म की शूटिंग में बिजी थे, फिर सलीम खान ने अमजद खान के नाम की सिफारिश की. इस रोल के लिए अमजद खान को इस प्रोजेक्ट से लगभग बाहर कर दिया गया था क्योंकि जावेद अख्तर को लगता था कि उनकी आवाज बहुत कमजोर है. बाद में अमजद खान ने जो कमाल दिखाया उसका गवाह इतिहास है.

सिल्वर जुबली मनाई जाने वाली पहली फिल्म
भारतीय सिनेमा के इतिहास में शोले पहली फिल्म थी जिसने पूरे भारत में 100 से ज्यादा सिनेमाघरों में सिल्वर जुबली मनाई. फिल्म में ठाकुर का नाम असल में सलीम खान के ससुर का नाम ठाकुर बलदेव सिंह से प्रेरित था जो सेना के रिटायर्ड ऑफिसर थे.

शुरुआत में धर्मेंद्र ठाकुर बलदेव सिंह का रोल करना चाहते थे. लेकिन जब निर्देशक ने उन्हें बताया कि अगर ऐसा हुआ तो संजीव कुमार वीरू का किरदार निभाएंगे और उन्हें हीरोइन मिल जाएगी. ये वही वक्त था जब संजीव कुमार ने हेमा मालिनी को शादी के लिए प्रपोज किया था. इधर धर्मेंद्र भी हेमा से प्यार करते थे इसलिए उन्होंने वीरू का रोल एक्सेप्ट कर लिया.

अमजद खान को मिला था बिस्कुट का विज्ञापन
उस वक्त "गब्बर सिंह" का रोल इतना फेमस हुआ कि ब्रिटानिया बिस्कुट ने अमजद खान के साथ बिस्कुट खाते हुए एक विज्ञापन बनाया. यह पहली बार था कि किसी कंपनी ने विज्ञापन के लिए विलेन को कास्ट किया था. ये विज्ञापन बच्चों में तुरंत लोकप्रिय हो गया और बिस्कुट की बिक्री दोगुनी हो गई.

शुरू में फिल्म में सूरमा भोपाली का किरदार स्क्रिप्ट में नहीं था. बाद में राइटर्स को लगा कि फिल्म में और भी कॉमिक पंच की जरूरत है. शूटिंग शुरू होने के बाद मेकर्स ने सूरमा भोपाली के रोल के लिए जगदीप को कास्ट किया.

शोले फिल्म का क्लाइमैक्स बदला गया था. असली क्लाइमैक्स सीन में ठाकुर अपने नुकीले जूतों से गब्बर को मार देता है. सेंसर बोर्ड की आपत्ति की वजह से क्लाइमैक्स सीन दोबारा शूट किया गया जिसमें गब्बर को कानून के हवाले किया गया.

क्या थी शोले की कहानी
फिल्म की कहानी दो छोटे-मोटे बदमाशों जय (अमिताभ बच्चन) और वीरू (धर्मेंद्र) है, जिन्हें कुख्यात डाकू गब्बर सिंह (अमजद खान) को पकड़ने के लिए एक रिटायर्ड पुलिस अधिकारी ठाकुर बलदेव सिंह (संजीव कुमार) काम पर रखता है.