बॉलीवुड के स्टार इरफान खान ने आज ही के दिन 29 अप्रैल 2020 को दुनिया को अलविदा कह दिया था. वह न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर से पीड़ित थे. इस बीमारी के बारे में इरफान खान ने खुद साल 2018 में ट्विटर पर जानकारी दी थी. इरफान की आखिरी फिल्म मार्च 2020 में अंग्रेजी मीडियम आई थी. अपनी एक्टिंग और डॉयलाग से आज भी इरफान लोगों के बीच जिंदा है. आइए इस एक्टर से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में जानते हैं.
हिंदी-इंग्लिश फिल्मों के साथ टेलीविजन में भी किया काम
इरफान खान का जन्म 7 जनवरी 1967 को राजस्थान के जयपुर जिले के एक छोटे से कस्बे टोंक में हुआ था. इरफान हिंदी और इंग्लिश फिल्मों के साथ साथ टेलीविजन के भी मशहूर अभिनेता थे. उन्होने द वारियर, मकबूल, हासिल, द नेमसेक, रोग जैसी फिल्मों मे अपने अभिनय का लोहा मनवाया. हासिल फिल्म के लिये उन्हें साल 2004 में फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ विलेन पुरस्कार से नवाजा गया था.
कई दिनों तक मिथुन जैसा हेयरस्टाइल बनाकर घूमते रहे थे
बचपन से ही किस्से-कहानियों के शौकीन इरफान का झुकाव सिनेमा की तरफ था. वह नसीरुद्दीन शाह की हर फिल्म को देखा करते थे. एक इंटरव्यू में इरफान ने एक किस्सा सुनाते हुए बताया था कि मिथुन चक्रवर्ती की फिल्म मृग्या आई थी. तो किसी ने कहा तेरा चेहरा मिथुन से मिलता है. बस अपने को लगा कि मैं भी फिल्मों में काम कर सकता हूं. कई दिनों तक मैं मिथुन जैसा हेयरस्टाइल बनाकर घूमता रहा.
फिल्म में रोल कटने पर पूरी रात रोते रहे
इरफान खान की पहली फिल्म सलाम बॉम्बे थी. फिल्म की डायरेक्टर मीरा नायर की नजर उनपर तब पड़ी थी जब वह एक कॉलेज वर्कशॉप में पहुंची थीं. मीरा ने उन्हें मुंबई आकर एक वर्कशॉप अटेंड करने का ऑफर दिया. इरफान मुंबई पहुंचे और एक्टर रघुवीर यादव के साथ किराये के एक फ्लैट में रहने लगे. इसके बाद इरफान फिल्म की तैयारी में लग गए. फिल्म स्ट्रीट किड्स की थी इसलिए इरफान ने उन्हीं बच्चों के साथ वर्कशॉप की. फिल्म में उनका रोल भी एक स्ट्रीट किड का ही था लेकिन शूटिंग शुरू होने से दो दिन पहले ही मीरा ने इरफान का रोल बदल दिया.उन्हें एक लेटर राइटर का रोल दे दिया जिसमें कोई दम नहीं था. इंटरव्य में उन्होंने बताया था कि वो रात भर रोते रहे. लेकिन इसका कर्ज मीरा नायर ने 18 साल बाद इरफान खान को द नेमसेक में अशोक गांगुली का रोल देकर चुकाया.
पद्मश्री सहित कई पुरस्कारों से हो चुके हैं सम्मानित
इरफान खान ने बॉलीवुड की कई फिल्मों के साथ हॉलीवुड में भी काम किया है. वह ए माइटी हार्ट, स्लमडॉग मिलियनेयर और द अमेजिंग स्पाइडर मैन फिल्मों मे भी काम कर चुके हैं. इरफान को 2011 में भारत सरकार द्वारा पद्मश्री से सम्मानित किया गया. 60वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार 2012 में इरफान खान को फिल्म पान सिंह तोमर में अभिनय के लिए श्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार दिया गया.
फिल्मों में बोले गए प्रमुख डायलॉग
पान सिंह तोमर: बीहड़ में बागी होते हैं, डकैत मिलते हैं पार्लियामेंट में.
डी डे: गलतियां भी रिश्तों की तरह होती हैं, करनी नहीं पड़तीं, हो जाती हैं.
कसूर: आदमी जितना बड़ा होता है, उसके छुपने की जगह उतनी ही कम होती है.
लाइफ इन अ मेट्रो: ये शहर जितना हमें देता है, बदले में उससे कहीं ज्यादा हमसे ले लेता है.
पीकू: डेथ और शिट, ये दो चीजें किसी को कहीं भी, कभी भी आ सकती हैं.
लाइफ ऑफ पाई: भूख हमारे बारे में वो सारी चीजें बदल देती हैं, जो हम समझते हैं कि हम अपने बारे में जानते हैं.
द किलर: बड़े शहरों की हवा और छोटे शहरों का पानी बहुत खतरनाक होता है.
हैदर: दरिया भी मैं, दरख़्त भी मैं, झेलम भी मैं, चिनार भी मैं, दैर भी हूं, हरम भी हूं, शिया भी हूं, सुन्नी भी हूं, मैं हूं पंडित, मैं था, मैं हूं और मैं ही रहूंगा.