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42 साल तक घरों में गूंजती रही Ameen Sayani की आवाज, कुछ इस तरह बन गए रेडियो की दुनिया के बेताज बादशाह 

मंगलवार की रात अमीन सयानी ने दुनिया को अलविदा कह दिया. अमीन सयानी की इस आवाज ने भारतीय संस्कृति के ताने-बाने में अपनी जगह बनाई ली थी. पॉपुलर शो "बिनाका गीत माला" के प्रतिष्ठित रेडियो प्रस्तोता अमीन सयानी का 91 साल की उम्र में निधन हो गया. लेकिन वे अपने पीछे पीढ़ियों से चली आ रही विरासत छोड़ गए.

Ameen Sayani Ameen Sayani
हाइलाइट्स
  • साहित्य से जुड़ा था परिवार 

  • रेडियो सीलोन पर मिला आवाज को घर 

कई साल पहले तक लोग अक्सर बड़ी हस्तियों को उनकी आवाज से पहचान जाया करते थे. गली-मोहल्लों और घरों के लिविंग रूम में बड़े लकड़ी के बक्सों जैसे रेडियो सेटों से आवाजें गूंजती रहती थीं. इन सभी आवाजों के बीच “नमस्कार भाईयों और बहनो, मैं आपका दोस्त अमीन सयानी बोल रहा हूं,''... 1952 से 1988, तकरीबन 36 साल तक इस एक आवाज को सुनने के लिए लोग बेताब रहते थे. ऑल इंडिया रेडियो (All India Radio) ने जब बॉलीवुड गानों के प्रसारण पर प्रतिबंध लगा दिया था तब "बिनाका गीत माला" और “सितारों की जवानियां” शो ने लोगों के दिल में जगह बनाई. ये आवाज अमीन सयानी (Ameen Sayani) की थी. 

मंगलवार की रात दुनिया ने इस आवाज को विदाई दे दी. अमीन सयानी की इस आवाज ने भारतीय संस्कृति के ताने-बाने में अपनी जगह बनाई ली थी. पॉपुलर शो "बिनाका गीत माला" के प्रतिष्ठित रेडियो प्रस्तोता अमीन सयानी का 91 साल की उम्र में निधन हो गया. लेकिन वे अपने पीछे पीढ़ियों से चली आ रही विरासत छोड़ गए.

अमीन सयानी के निधन की खबर उनके बेटे राजिल सयानी ने दी. राजिल सयानी ने बताया कि मंगलवार की रात उनके पिता को अचानक दिल का दौरा पड़ा. परिवार ने उन्हें मुंबई के एचएन रिलायंस अस्पताल में पहुंचाया लेकिन अफसोस, उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया. 

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साहित्य से जुड़ा था परिवार 

रेडियो की दुनिया में अमीन सयानी की यात्रा 1952 से शुरू हुई. 1932 में उनका जन्म एक ऐसे परिवार में हुआ जहां साहित्य का गहरा महत्व था. उनकी मां, जो अपने न्यूजलेटर रहबर के माध्यम से ज्ञान का प्रसार करती थीं, और उनके भाई, प्रतिष्ठित अंग्रेजी प्रसारक हामिद सयानी ने उनके भीतर शब्दों और संचार के प्रति प्रेम को पोषित किया. अमीन सयानी की शिक्षा दो स्कूलों न्यू एरा (बॉम्बे) और सिंधिया स्कूल (ग्वालियर) में हुई. वहीं स्कूल के बाद उन्होंने प्रतिष्ठित कॉलेज, एस.टी. जेवियर्स (बॉम्बे) से आर्ट्स में अपनी ग्रेजुएशन की. उन्होंने 1945 से 1960 तक नवसाक्षरों के लिए महात्मा गांधी द्वारा शुरू की गई "रहबर" नामक पाक्षिक पत्रिका के संपादन में अपनी मां की मदद की. इसे एक साथ देवनागरी (हिंदी), उर्दू और गुजराती लिपियों में प्रकाशित किया जाता था. वहीं, भाई, हामिद ने उन्हें कम उम्र में ही मंच अभिनय और निर्देशन, लेखन में गाइड किया. 1952 में भाई हामिद ने  उन्हें ऑल-इंडिया रेडियो से मिलवाया, जहां उन्होंने दस साल तक अंग्रेजी कार्यक्रमों में भाग लिया. 

रेडियो सीलोन पर मिला आवाज को घर 

रेडियो सीलोन पर अमीन सयानी की आवाज को पहली बार अपना घर मिला. उनका अभिवादन, "नमस्कार भाइयों और बहनो, मैं आपका दोस्त अमीन सयानी बोल रहा हूं," देश भर के रेडियो सेटों से गूंज उठता था. और जैसी ही ये आवाज गूंजती थी वैसे ही श्रोताओं का राग और पुरानी यादों से एक तालमेल बैठ जाता था. ऐसे समय में जब ऑल इंडिया रेडियो बॉलीवुड गाने बजाने से परहेज कर रहा था, ऐसे में अमीन सयानी के कार्यक्रम ने संगीत प्रेमियों के लिए एक नया प्लेटफॉर्म दिया. अमीन सयानी ने अपने प्रोग्राम के माध्यम से हिंदुस्तानी संगीत की समृद्ध टेपेस्ट्री को बढ़ावा दिया. 

बिनाका गीत माला था सबसे फेमस 

"बिनाका गीत माला", मूल रूप से 30 मिनट का एक मामूली कार्यक्रम था. लेकिन इस मामूली कार्यक्रम की छाप ऐसी छूटी की आज तक भी लोग इसे जेहन से नहीं निकाल पाए हैं. बिनाका गीत माला से लेकर हिट परेड और सिबाका गीत माला तक - आमीन सयानी की आवाज श्रोताओं के लिए आराम और सुर का निरंतर स्रोत बनी रही. 

रेडियो की दुनिया के बेताज बादशाह बन गए

1952 से शुरू में मुख्य रूप से श्रीलंका ब्रॉडकास्टिंग कॉर्पोरेशन और बाद में विविध भारती (AIR) पर प्रसारित होने वाले प्रतिष्ठित "सिबाका गीतमाला" से उनका सफर शुरू हुआ. ये सफर 42 साल तक चला. हालांकि, सात साल के अंतराल के बाद अगस्त 2003 तक उन्होंने "कोलगेट सिबाका गीतमाला" में अपना योगदान दिया. उनके दूसरे पॉपुलर शो में “एस कुमार का फिल्मी मुकदमा" और "फिल्मी मुलाकात" शामिल हैं, जो विविध भारती पर सात साल तक प्रसारित होता रहा. अमीन सयानी की सफलता यूके में ब्रिटिश ब्रॉडकास्टिंग कॉरपोरेशन के एथनिक नेटवर्क पर "मिनी इंसर्शन ऑफ फिल्मस्टार इंटरव्यूज", बीबीसी के वर्ल्ड सर्विस रेडियो के लिए "म्यूजिक फॉर द मिलियंस", और सनराइज रेडियो पर "वीटी का हंगामा" जैसे अंतरराष्ट्रीय रेडियो शो के साथ सीमाओं को पार कर गई. और कुछ इसी तरह वे ब्रॉडकास्टिंग की दुनिया के बेताज बादशाह बन गए.