
फिल्म शोल में गब्बर सिंह के किरदार को अमर कर देने वाले एक्टर अमजद खान की 27 जुलाई 1992 को पुण्यतिथि है. इसी दिन 52 साल की उम्र में हार्ट अटैक से उनकी मौत हो गई थी. आइए आज इस महान कलाकार के बारे में जानते हैं.
खूंखार खलनायकों में आता है नाम
बॉलीवुड के खूंखार खलनायकों में अमजद खान का नाम आता है. 12 नवंबर, 1940 को मुंबई में जन्मे अमजद एक्टर्स के परिवार से आते थे. उनके पिता जकारिया खान बॉलीवुड के एक जाने-माने एक्टर थे, जिन्हें पर्दे पर जयंत नाम से जाना जाता था. अमजद खान ने अपनी पढ़ाई बांद्रा के सेंट एंड्रूज स्कूल से की थी. वहीं, कॉलेज के दिनों से ही वह थिएटर में एक्टिव हो गए थे. अमजद खान ने अपने करियर की शुरुआत बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट साल 1951 में फिल्म नाजनीन से की थी.
रमेश सिप्पी को करनी पड़ी थी मशक्कत
धर्मेंद्र, अमिताभ बच्चन और संजीव कुमार से सजी 'शोले' साल 1975 में आई ब्लॉकबस्टर फिल्म थी, जिसका निर्देशन रमेश सिप्पी ने किया था. फिल्म का फोकस सबसे ज्यादा दो किरदारों पर रहा. एक गब्बर और दूसरा ठाकुर. ठाकुर का रोल तो संजीव कुमार ने निभाया था, लेकिन गब्बर के लिए रमेश को थोड़ी मशक्कत करनी पड़ी. रमेश सिप्पी अपनी फिल्म 'शोले' में फेमस एक्टर डैनी डेन्जोंगपा को गब्बर बनाना चाहते थे, लेकिन वह किसी दूसरे प्रोजेक्ट्स में बिजी होने के चलते ये मूवी नहीं कर पाए.
एक शो में देखा था अमजद का अभिनय
डैनी के मना करने के बाद रमेश के सामने एक नए स्टार को ढूंढने की चुनौती आ गई थी. फिर एक बार रमेश सिप्पी अपनी बहन के एक शो को देखने गए थे और उनकी बहन के को-स्टार अमजद खान थे. अमजद स्टेज शो में अफ्रीकी शख्स बने थे और यहीं रमेश को अपना गब्बर मिला. साल 2020 में खुद रमेश सिप्पी ने एक इंटरव्यू में अमजद खान को कास्ट करने के पीछे मजेदार किस्सा बताया था.
गब्बर ने दी थी नई पहचान
अमजद ने यूं तो अपने सभी किरदारों में जान फूंकी है, लेकिन फिल्म शोले में उनकी गब्बर की भूमिका की बात ही कुछ और है. 'अरे ओह साम्भा...', 'यहां से पचास-पचास कोस दूर गांव में जब बच्चा रोता है, तो मां कहती है बेटा सो जा, सो जा नहीं तो गब्बर सिंह आ जाएगा...' और 'कितने आदमी थे?' जैसे शानदार डायलॉग्स को ठेठ अंदाज में बोलकर अमजद खान ने दर्शकों का दिल जीत लिया था.
शोले से पहले पिता का निधन
अमजद खान चाहते थे कि उनके पिता जयंत फिल्म शोले में उनका काम देखें, किस्मत को ये मंजूर नहीं था. शोले 15 अगस्त 1975 को रिलीज हुई थी इससे ढाई महीने पहले दो जून 1975 को उनके पिता जयंत का निधन हो गया. अमजद खान की ये तमन्ना हमेशा अधूरी ही रही, इस गम को लेकर वह ताउम्र जीते रहे.
अमजद खान का करियर
साल 1951 में अमजद ने फिल्म नाजनीन से बतौर बाल कलाकार शुरुआत की थी. वहीं 17 साल की उम्र में उन्होंने 1973 में आई फिल्म हिंदुस्तान की कसम से बतौर हीरो डेब्यू किया. इसके बाद उन्होंने कुछ और फिल्मों में चाइल्ड आर्टिस्ट का रोल प्ले किया था. अमजद खान के हिट करियर में परवरिश, मुकद्दर का सिकंदर, लावारिस, हीरालाल- पन्नालाल, देश प्रेमी, नास्तिक, सत्ते पे सत्ता, चमेली की शादी, हम किसी से कम नहीं, रॉकी, लव स्टोरी, कुर्बानी, नसीब, लव स्टोरी, सुहाग, राम बलराम, सीता और गीता जैसी फिल्में शामिल हैं. अमजद का नाम उन चुनिंदा सितारों में शामिल है, जिन्होंने बतौर हीरो नहीं बल्कि विलेन बनकर सभी का दिल जीता.
जब शूटिंग सेट पर बंधवा दी थी भैंस
अमजद खान के बारे में कहा जाता है कि वो चाय के काफी शौकीन थे. मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो वो एक दिन में 50 कप से अधिक चाय पी जाते थे. अमजद के इस चाय के शौक की वजह से कैंटीन स्टाफ काफी परेशान रहता था क्योंकि दूध खत्म हो जाता था. बताया जाता है कि अपनी चाय की तलब को पूरा करने और दूध की कमी न हो पाए, इसके लिए एक बार अमजद खान ने शूटिंग सेट पर लाकर भैंस बंधवा दी थी.
निजी जिंदगी को लेकर भी रहे थे काफी चर्चा में
फिल्मों के अलावा अमजद खान अपनी निजी जिंदगी को लेकर भी काफी चर्चा में रहे थे. यह बात अमजद खान के बहुत कम फैंस को पता है कि वह बॉलीवुड की उस कल्पना अय्यर को प्यार करते थे, जिन्होंने तमाम फिल्मों में बेबस-बेगुनाह नायिकाओं पर बेपनाह जुल्म ढाए. अमजद और कल्पना की पहली मुलाकात एक स्टूडियो में हुई थी, जहां दोनों अलग-अलग फिल्म की शूटिंग कर रहे थे. फिर यह परिचय प्यार में बदला. कल्पना जानती थीं कि अमजद शादीशुदा हैं. उनकी पत्नी हैं और उनके तीन बच्चे भी हैं. यदि कल्पना अमजद की बीवी बनने के लिए जिद करतीं, तो यह शादी हो भी जाती लेकिन, दोनों ने जानबूझकर ऐसा नहीं किया, क्योंकि अगर दोनों शादी करते तो अमजद के भरे-पूरे परिवार में तूफान आ जाता. जब तक अमजद खान जीवित रहे, वह कल्पना के दोस्त और गाइड बने रहे.
अमजद खान का आखिरी वक्त
अमजद खान अपनी जिंदगी के आखिरी दिनों में मोटापे का शिकार हो गए थे, जिसके कारण उनके लिए चलना-फिरना भी दूभर हो गया था. इसकी वजह वह खुद को ही मानते थे और उन्होंने इसका अफसोस भी जताया था. दरअसल अमजद फिल्म द ग्रेट गैंबलर की शूटिंग के लिए गोवा जा रहे थे लेकिन उनकी फ्लाइट मिस हो गई जिसके चलते उन्होंने कार से जाने का फैसला किया था. जब वो कार से जा रहे थे तो एक ट्रक ने उन्हें टक्कर मार दी थी. ये हादसा इतना भयंकर था कि इसमें अमजद के शरीर की हड्डियां तक टूट गईं. इलाज के दौरान अमजद कोमा में चले गए. फिर जब वो ठीक हुए तो उन्हें व्हीलचेयर का सहारा लेना पड़ा, इसके बाद अमजद का वजन तेजी से बढ़ने लगा. फिर एक दिन 27 जुलाई 1992 को दिल का दौरा पड़ा और उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कह दिया.