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Bollywood Re-releases: बॉलीवुड में तेजी से बढ़ रहा है पुरानी फिल्मों के री-रिलीज का ट्रेंड, जानिए क्या कहते हैं आंकड़े, दर्शक और एक्सपर्ट

बॉलीवुड में फिल्मों की री-रिलीज का चलन कब शुरू हुआ यह कहना तो मुश्किल है. लेकिन हाल-फिलहाल में इसका चलन तेजी से बढ़ा है. इसके पीछे क्या कारण है और दर्शकों की इसे लेकर क्या प्रतिक्रिया है, जानिए.

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हिन्दी सिनेमाघरों में इस समय श्रद्धा कपूर और राजकुमार राव की फिल्म स्त्री-2 दर्शकों का दिल जीत रही है. फिल्म 400 करोड़ से ज्यादा की कमाई कर चुकी है. लेकिन इस समय हिन्दी सिनेमाघरों में एक ऐसी फिल्म भी चल रही है जो स्त्री-2 से ज्यादा कमाई कर चुकी है. यह फिल्म है दंगल.

दिसंबर 2016 में पहली बार रिलीज हुई दंगल जैसी कई फिल्में सिनेमाघरों में 'री-रिलीज' हो रही हैं. री-रिलीज होने वाली फिल्मों में वे नाम भी हैं जो पहली रिलीज में दर्शकों पर अपनी छाप नहीं छोड़ सके थे, लेकिन इस बार अलग-अलग कारणों से लोगों को सिनेमाघरों तक खींचकर ला रहे हैं.

री-रिलीज फिल्मों का क्यों आया ट्रेंड?
कोरोना काल में जब सिनेमाघर बंद हुए तो लोगों ने स्वाभाविक रूप से फिल्में स्ट्रीम करना शुरू कर दिया. बीते कुछ सालों में वीडियो स्ट्रीमिंग का चलन इतना बढ़ा है कि 2024 के अंत तक भारत में वीडियो स्ट्रीमिंग इंडस्ट्री का बाजार दो अरब अमेरिकी डॉलर तक बढ़ने की संभावना है. एमेजॉन और नेटफ्लिक्स की लोकप्रियता बढ़ने से सिनेमाघरों को सीधे तौर पर नुकसान हुआ.

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कई लोग अब फिल्म को देखने के लिए सिनेमाघर जाने के बजाय उसके स्ट्रीमिंग सर्विस पर रिलीज होने का इंतजार करते हैं. इसका एक कारण यह भी है कि ज्यादातर हालिया फिल्में दर्शकों के दिल में वह उत्सुकता पैदा नहीं कर सकी हैं, जो उन्हें थिएटर तक लेकर आए. पठान, कल्की और स्त्री-2 जैसी फिल्में भले ही ब्लॉकबस्टर रही हैं, लेकिन ऐसी फिल्मों की तादाद कम ही है.

दर्शकों के दिल में यही कोलाहल पैदा करने के लिए सिनेमाघरों के मालिक और डिस्ट्रिब्यूटर पुरानी फिल्मों की ओर रुख कर रहे हैं. 90 के दशक की कई ऐसी फिल्में हैं जिन्होंने री-रिलीज होने पर भी अच्छी कमाई की है. इन फिल्मों में दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे, हम आपके हैं कौन और बाज़ीगर जैसी फिल्में शामिल हैं. इसके अलावा 2007 में पहली बार रिलीज हुई 'जब वी मेट' और 2011 में आई जिन्दगी न मिलेगी दोबारा ने भी बॉक्स ऑफिस पर अच्छा प्रदर्शन किया है. 

'नॉस्टैल्जिया' से मिली सफलता
बीबीसी की एक रिपोर्ट बॉलीवुड विशेषज्ञ तरन आदर्श के हवाले से कहती है, "यह फिल्में बॉक्स ऑफिस पर खराब प्रदर्शन कर रही नई फिल्मों की भरपाई कर रही हैं. (पुरानी फिल्मों को सफलता) सिर्फ नॉस्टैल्जिया या उस फिल्म के लिए दर्शकों के प्यार के जरिए मिल रही है." 

इन फिल्मों की री-रिलीज से पहले इनका प्रोमोशन न के बराबर होता है. सिर्फ टिकट बुकिंग साइट या सोशल मीडिया पर फिल्मों के पोस्टर सामने आते हैं और लोग इन्हें देखने सिनेमाघर पहुंच जाते हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि सबसे ज्यादा हैरानी उन्हें लैला मजनू की सफलता पर हुई. फिल्म विशेषज्ञ कोमल नहता के अनुसार लैला-मजनू ने अपनी लागत वसूल ली है. 

बीबीसी की रिपोर्ट बताती है कि जब 26 साल की ज़ाकिया जाफ़री को पता चला कि लैला-मजनू दोबारा रिलीज़ हो रही है तो उन्हें एक बार फिल्म को थिएटर में अनुभव करने का फैसला किया. ज़ाकिया कहती हैं, "मैं 2018 में उन चंद लोगों में से थी जिन्होंने थिएटर में इस फिल्म का आनंद लिया था. इस बार वहां काफी ज्यादा लोग मौजूद थे. उनमें से कई हंस रहे थे, कई रो रहे थे."

दिल्ली में रहने वाली ज़ाकिया कहती हैं कि इस फिल्म के साथ उनका एक भावनात्मक जुड़ाव है. अपने घर से दूर रहते हुए बड़े पर्दे पर अपने राज्य को देखना उनके लिए अच्छा अनुभव है. सिनेमाघरों में इस समय लव आज-कल, गोलमाल रिटर्न्स और पार्टनर जैसी कई फिल्में वापसी कर रही हैं. जब तक बॉलीवुड हिट फिल्मों के साथ ट्रैक पर नहीं लौटता तब तक डिस्ट्रीब्यूटर इस तरह की री-रिलीज हो रही फिल्मों के भरोसे राहत की सांस ले सकते हैं.