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Pippa Film Song Controversy: क्रांतिकारी कवि काज़ी नज़रूल का है पिप्पा फिल्म से कनेक्शन, जानिए क्यों हो रहा है फिल्म का विरोध

ऑस्कर विजेता संगीतकार, एआर रहमान ने क्रांतिकारी कवि काज़ी नज़रुल इस्लाम के जोशीले देशभक्ति गीत कारार ओई लौह कपाट को अडैप्ट किया है. लेकिन बहुत से बंगालियों ने इस वर्जन को नकार दिया है और इस बारे में बहस चल रही है.

Pippa film song controversy Pippa film song controversy

हाल ही में, अमेजन प्राइम पर आई फिल्म, पिप्पा की हर तरफ चर्चा हो रही है. कुछ दिन पहले तक फिल्म की कहानी, कलाकारों के उम्दा काम की तारीफें हो रही थीं तो अब फिल्म का एक गाना लोगों के बीच विवाद का सबब बन गया है. फिल्म के निर्माता रॉय कपूर फिल्म्स ने फिल्म के एक गाने, 'कारार ओई लौह कपाट' के कारण हुई किसी भी "अनपेक्षित परेशानी" के लिए माफी मांगी है. ब्रिटिश राज के खिलाफ एक जोशीले राष्ट्रवादी गीत के रूप में 1922 में बंगाली कवि काजी नजरुल इस्लाम द्वारा लिखित और संगीतबद्ध इस गीत को ए आर रहमान ने पिप्पा के लिए एक नई धुन दी है, जिसकी पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश दोनों में व्यापक रूप से आलोचना की जा रही है. 

राजा कृष्ण मेनन के निर्देशन में बनी इस फिल्म में ईशान खट्टर और मृणाल ठाकुर लीड में हैं. यह फिल्म कैप्टन (बाद में ब्रिगेडियर) बलराम सिंह मेहता की कहानी बताती है, जो पाकिस्तान के साथ 1971 के युद्ध के दौरान ढाका के पश्चिम में गरीबपुर के महत्वपूर्ण टैंक युद्ध के हीरो थे.

क्या कहना है फिल्म के मेकर्स का
इंस्टाग्राम और एक्स पर पोस्ट किया गया 'पिप्पा की टीम का बयान' स्पष्ट करता है कि "गीत का प्रस्तुतिकरण एक ईमानदार आर्टिस्टिक इंटरप्रिटेशन है, जिसे स्वर्गीय श्री काजी नज़रुल इस्लाम की संपत्ति से आवश्यक अनुकूलन अधिकार हासिल करने के बाद ही शुरू किया गया. बयान में कहा गया है कि फिल्म निर्माता मूल रचना या गाने का गहरा सम्मान करते हैं और इसलिए उन्होंने दर्शकों के इस गीत से भावनात्मक लगाव को स्वीकार किया है, और कहा है, "अगर हमारी इंटरप्रिटेशन ने लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचाई है या अनजाने में परेशानी हुई है, तो हम ईमानदारी से माफी मांगते हैं."

क्या है यह गाना 
'कारार ओई लौह कपाट,' साल 1922 में बांग्लार कथा (बंगाल की कहानियां) पत्रिका में प्रकाशित हुआ था, और बाद में इसे नज़रुल की पुस्तक भांगर गान (सॉन्ग्स ऑफ ब्रेकिंग फ्री) में शामिल किया गया था. 1922 में अंग्रेजों ने देशबंधु चितरंजन दास (1870-1925) को जेल में डाल दिया था और इसके बाद नज़रुल ने यह क्रांति का गीत लिखा. गाने के बोल हैं- कारार ओई लौहो कपाट, जिसका अनुवाद है जेल के उन लोहे के दरवाजों को तोड़ दो, उन्हें गायब कर दो. यह गाना पहली बार जून 1949 में रिकॉर्ड किया गया था, जिसे लोक गायक गिरिन चक्रवर्ती ने गाया था.

नज़रुल (1899-1976) एक बंगाली कवि, लेखक और संगीतकार थे, जिनकी कृति, नज़रुलगीति (नज़रुल के गीत), एक संगीत शैली का गठन करती है, जो शायद रबींद्रनाथ टैगोर की रचनाओं, रबींद्रसंगीत के बाद लोकप्रियता में दूसरे स्थान पर है. उन्हें पश्चिम बंगाल, बांग्लादेश और दुनिया भर के बंगाली प्रवासियों में प्रतिष्ठित दर्जा प्राप्त है, और उन्हें बांग्लादेश के राष्ट्रीय कवि के रूप में सम्मानित किया जाता है.

नज़रुल को बिद्रोही कोबी (विद्रोही कवि) के रूप में जाना जाता है क्योंकि उनके लिखे और रचित 4,000 से ज्यादा गीतों में से अधिकांश विरोध और क्रांति के गीत हैं, जिन्होंने बंगाल के स्वतंत्रता सेनानियों को उपनिवेशवाद और साम्राज्यवाद के खिलाफ उनके संघर्ष में प्रेरित किया. 1923 में, अंग्रेजों ने नज़रुल को उस पत्रिका की घोर ब्रिटिश विरोधी सामग्री के कारण गिरफ्तार कर लिया, जिसे उन्होंने स्थापित और संपादित किया था.

फिल्म के गाने में क्या समस्या है
पिप्पा के गाने में नज़रुल के गीत का उपयोग किया गया है. यह गाना एक धुन के साथ है जो नज़रुल के आयकॉनिक ओरिजिनल वर्जन से अलग है. इस कारण बहुत से बंगाली नाराज हो गए हैं, जिन्हें रवीन्द्रसंगीत या नज़रुलगीति में बदलाव या सुधार करने से आपत्ति है. क्योंकि रवीन्द्रसंगीत या नज़रुलगीति को बंगाल की पोषित सांस्कृतिक विरासत और पहचान के हिस्से के रूप में देखा जाता है. 

कई लोगों ने रहमान के वर्जन को एक हल्का-फुल्का, लोकगीत, रोमांटिक नंबर बताया है, जो नज़रुल के विरोध के जोशीले गीत से बहुत अलग है. लय और धुन के अलावा, रहमान ने बांसुरी और तार वाले वाद्ययंत्रों की ध्वनि पेश करके सुनने के पूरे अनुभव को भी बदल दिया है. नज़रुल के पोते, चित्रकार काज़ी अनिर्बान ने मीडिया से कहा कि उनकी मां ने पिप्पा के निर्माताओं को गाने का उपयोग करने के लिए सहमति दी थी, लेकिन धुन बदलने के लिए नहीं. यह वह गाना नहीं है जिसे नज़रुल इस्लाम ने बनाया है. वह नहीं चाहते कि फिल्म के क्रेडिट में उनके परिवार का नाम हो. परिवार का कहना है कि गाना फिल्म से हटाया जाना चाहिए. अनिर्बान की मां काजी कल्याणी ने अपने निधन से कुछ महीने पहले 2021 में फिल्म में गाने के इस्तेमाल के लिए अपनी सहमति दी थी.

हालांकि, फिल्म मेकर्स का कहना है कि उन्होंने गीत के लिए उसी लाइसेंस एग्रीमेंट को फॉलो किया है जिसे अनिर्बान काज़ी के सामने उनकी मां स्वर्गीय कल्याणी काज़ी ने साइन किया था. लेकिन अब यह एक बड़ा मुद्दा बन गया है क्योंकि अनिर्बान और उनके परिवार ने माफी न स्वीकारते हुए फिल्म से गाना हटाने की मांग कर दी है.