Darlings Movie: नेटफ्लिक्स पर आलिया भट्ट, शेफाली शाह, विजय वर्मा और रोशन मैथ्यू की फिल्म डार्लिंग्स रिलीज हो गई है. रेड चिलीज के साथ मिलकर आलिया ने इस फिल्म को प्रोड्यूस भी किया है. यह एक कॉमेडी-ड्रामा है जिसका निर्देशन जसमीत के रीन ने किया है. फिल्म को ट्विटर पर मिली जुली प्रतिक्रिया मिल रही है. किसी ने आलिया भट्ट के अभिनय की तारीफ की है तो कोई फिल्म की कहानी को खराब बता रहा है. अगर आपने अब तक फिल्म नहीं देखी है तो उससे पहले ये रिव्यू पढ़ लीजिए.
क्या है फिल्म की कहानी
फिल्म की कहानी आलिया और विजय के शादीशुदा जीवन को दर्शाती है. दोनों एक लोवर मिडिल क्लास मुस्लिम फैमिली से ताल्लुक रखते हैं. फिल्म आलिया बदरुन्निसा नाम की एक ऐसी लड़की के किरदार में हैं जोकि अपने पति से हर रोज मार खाती है. और एक दिन इससे तंग आकर खुद अपने ही पति को किडनैप कर लेती है. घर में मारपीट बढ़ती है तो मामला पुलिस तक जाता है. पुलिस बीच-बचाव में आती है लेकिन मामला तब उल्टा पड़ जाता है जब बदरुन्निसा का शौहर गायब हो जाता है. कहानी में एक आशिक भी है, आगे चल कर मेहरुनिसा यानी आलिया की मां के अतीत से भी पर्दा उठता है. फिल्म का क्लाइमेक्स इसकी कहानी को और बेहतरीन बनाता है.
कमाल का डायरेक्शन
हालांकि फिल्म का डायरेक्शन, स्क्रीनप्ले, राइटिंग बेहतरीन तरीके से किया गया है. फिल्म की शुरुआत के सीन आपको दो तरीके से सोचने पर मजबूर करेंगे. एक सीन को देखने के बाद आपको लगेगा कि आलिया और विजय के बीच बहुत प्यार है. वहीं दूसरे सीन में दिखाया गया है कि कैसे खाने में पत्थर आने से विजय का किरदार इतना अक्रामक हो जाता है कि वो आलिया यानी बदरुन्निसा की गर्दन पकड़ लेता है. डोमेस्टिक वायलंस के सीन इतने बेहतरीन तरीके से शूट किए गए हैं कि ये आपको सच लगने लगते हैं. चॉल के लोगों का रहन सहन दर्शाने में आलिया ने जमकर मेहनत की है. हालांकि कई जगह पर फिल्म की कहानी आपको पेचीदा लग सकती है. फिल्म के कई सीन आपको ये सोचने पर मजबूर करेंगे कि ऐसा तो संभव ही नहीं है.
क्यों देखें फिल्म
अगर आप आलिया की एक्टिंग के कायल हैं तो ये फिल्म देख सकते हैं, क्यूट-सी आलिया भट्ट का बदरुन्निसा के किरदार में ढलना देखने लायक है. उनके डायलॉग जबरदस्त हैं. इसके अलावा शेफाली शाह ने भी अच्छा काम किया है. आलिया की मां के रोल में शेफाली हिंसक पति से निपटने की सीख देती दिखाई देती है. एक जगह शेफाली का किरदार आलिया से कहता है, ''चूहे मारने की दवा खाने में डाल दे, जिंदगी भ दारू नहीं पीएगा''. भारतीय परिवेश में इस तरह की माएं कम ही देखने को मिलेंगी जो अपनी बेटी को उसके पति को मारने की ट्रेनिंग दे. विजय वर्मा अपने आप में शानदार एक्टर हैं. फिल्म ज्यादा लंबी नहीं और ओटीटी पर रिलीज हुई है तो फिल्म देखने की एक ये वजह भी हो सकती है. 'डार्लिंग्स' में कई ऐसे सीन्स और डायलॉग्स हैं, जो आपको याद दिलाते रहते हैं कि आप घरेलू हिंसा से पीड़ित किसी महिला की कहानी देख रहे हैं. इस सब्जेक्ट के इर्द-गिर्द अब तक जितनी भी फिल्में बनाई गई हैं, सबमें कमोबेश एक सी ही कहानी होती है, लेकिन 'डार्लिंग्स' कई मायनों में अलग है. डार्लिंग्स को देखने के बाद ये बात तो साफ है कि इसे ओटीटी पर रिलाज करने के लिए ही बनाया गया है. हमारी तरफ से डार्लिंग्स को 3 स्टार.