स्टोरी टेलर और मोटिवेशनल स्पीकर सुधांशु राय ने हाल ही में शॉर्ट मूवी 'चायपत्ती' के साथ फिल्ममेंकिंग की दुनिया में कदम रखा था. कहानियां सुना कर सबके दिलों पर राज करने वाले सुधांशु राय अब फैंस के लिए थ्रिलर वेब सीरीज लेकर आ रहे हैं. इस वेब सीरीज का नाम है डिटेक्टिव बुमराह एंड द मिसिंग मैन. डिटेक्टिव बुमराह का ट्रेलर मंगलवार यानी 28 दिसंबर को लॉन्च हो रहा है. मास्टर स्टोरीटेलर सुधांशु राय ने इस मौकै पर gnttv.com से खास बातचीत की और अपनी अपकमिंग वेब सीरीज से जुड़ी तमाम बातें शेयर कीं. पेश है उनसे बातचीत के खास अंश...
भारतीय दर्शन, अध्यात्म और विज्ञान का अनोखा मेल 'डिटेक्टिव बुमराह'
सुधांशु की यह वेब सीरीज भारतीय संस्कृति, विज्ञान और अध्यात्म को समेटते हुए आगे बढ़ेगी, और भारत में इस तरह का ये पहला एक्सपेरिमेंट है. डिटेक्टिव बुमराह एक ऐसा किरदार है, जो अध्यात्म के साथ-साथ विज्ञान को मानने वाला है. कहानी के बारे में बताते हुए सुधांशु कहते हैं कि बुमराह का यह पहला केस है. एक व्यक्ति गायब हो जाता है. वो होटल के एक कमरे में मिलता है, जो हमेशा से बंद रहता था. वो कमरा कभी खुलता ही नहीं था. इसी केस को सॉल्व करने के लिए डिटेक्टिव बुमराह वहां जाता है. सुधांशु दावा करते हैं कि इसमें कुछ ऐसा अनोखा दिखाया जाएगा, जो भारत में पहले नहीं देखा गया होगा. हॉलीवुड में ज़रूर कभी-कभार एक्सप्लोर होता रहा होगा. लेकिन, भारत में किसी ने नहीं किया है. फ़िल्म में डिटेक्टिव बुमराह का किरदार सुधांशु ने ख़ुद निभाया है.
डिटेक्टिव बुमराह मतलब जासूसी की दुनिया में एक नयी शुरुआत
डिटेक्टिव बुमराह एक ऐसे जासूस की कहानी को दिखाता है जो लंबी टोपी नहीं पहनता, ना ही सिगरेट के धुएं उड़ाता है, ये जासूस पूरी तरह से अध्यात्म में डूबा हुआ एक कैरेक्टर है जो संस्कृत के श्लोक पढ़ता है, डिटेक्टिव बुमराह एक कैरेक्टर सितार बजाता है. फिल्म की शुरुआत गीता के श्लोक 'नैनं छिदन्ति... से प्रेरित होगी, सुधांशु ने बताया कि इस सीरीज में हम भारतीय संस्कृति की कई ऐसी बातों को दिखाएंगे, जिन्हें लोग भूल रहे हैं. इसमें खड़ाऊ का इस्तेमाल भी कर रहे हैं और यह सब कहानी में शामिल होगा और साइंस फिक्शन है तो इसके पीछे तर्क भी दिये जाएंगे. 'डिटेक्टिव बुमराह एंड द मिसिंग मैन' मनोरंजन से भरपूर सीरीज है, जिसमें एक्शन होगा और एक गाना भी डाला गया है. सुधांशु के मुताबिक ये सीरीज ठीक वैसी ही है जैसे आज से सालों पहले कोई आप से ये कह रहा हो कि इंसान हवा में उड़ेगा, और आपको इसपर यकीन करना मुश्किल हो जाए, क्योंकि तब आपके लिए तो ऐसा मुमकिन ही नहीं था.
डिटेक्टिव बुमराह माने सबसे बड़ा ऑब्जर्वर
डिटेक्टिव बुमराह के किरदार के अलावा इस सीरीज का डिटेक्टिव एक ऑब्जर्वर भी है, जो हमेशा नई चीजें सीखता है, नए प्रयोग करता है. जिसके दिमाग में यही चलता है कि इस दुनिया में कुछ भी मुमकिन है. जैसे जब ये डिटेक्टिव संस्कृत के श्लोक पढ़ता है तो वो बखूबी जानता है कि इन श्लोकों की ताकत क्या है. ठीक इसी तरह डिटेक्टिव बुमराह हर केस से एक नया सबक लेता है और उसका इस्तेमाल दूसरे केस में करता है. डिटेक्टिव बुमराह साइंस में भरोसा तो करता ही है लेकिन वो जादुई दुनिया में भी उतना ही विश्वास रखता है.
पार्टनर सैम का भी है दमदार किरदार
बुमराह के साथ सैम का किरदार भी हर पॉडकास्ट में रहा है, ठीक पॉडकास्ट की तर्ज पर ही सैम इस सीरीज में जान फूंकने का काम करते नजर आने वाले हैं, एक तरफ जब सीरीज में सब कुछ एकदम डरावना और दिल दहला देने वाला चल रहा होगा तो सैम ऐसे स्टेटमेंट देते दिखाई देंगे जो आपको हंसने पर मजबूर कर देगा.
मालगुडी डेज और ब्योमकेश बख्शी से प्रेरित हैं सुधांशु
सुधांशु बताते हैं कि उन्हें बचपन से ही मालगुडी डेज़ की कहानियां बहुत प्रभावित करती आई हैं. उन्हें ब्योमकेश बख्शी की कहानियां भी खूब पंसद आती रही हैं. मालगुडी डेज़ की अनगिनत कहानियों में से एक कहानी को याद करते हुए सुधांशु ने बताया कि एक कहानी में कोई अंग्रेज गांव के एक व्यक्ति से मूर्ति खरीदता है और अपनी बड़ी सी गाड़ी में रख कर ले जाता है. आसान भाषा में कहें तो सुधांशु को अपनी भारतीय संस्कृति से खासा लगाव है और यही बात उनकी अपकमिंग सीरीज डिटेक्टिव बुमराह में भी दिखाई देगी. जो जासूसी की दुनिया में बिल्कुल नई परिभाषा गढ़ने को तैयार है.
पॉडकास्ट से जासूसी कहानी कहने का आइडिया कैसे आया?
सुधांशु कहते हैं, ''मेरा मानना है कि जब हम कुछ सुनते हैं तो उसे ज्यादा देर तक याद रख पाते हैं, बजाए विजिबल माध्यम में देखने के. और यही हमारा कल्चर रहा है, बचपन में दादी नानी की कहानियां सुनना जैसे हमारी पंरपरा रही हो, बस इसलिए सुधांशु ने पहले पॉडकास्ट को लोगों तक पहुंचने का जरिया बनाया.
नई सड़क की भूलभूलैया से जासूसी कहानी की दुनिया में कदम
सुधांशु ने बताया कि बचपन से उन्हें किताबें पढ़ने का शौक था, वो उस वक्त 8वीं क्लास में थे और बरसात का मौसम था. जब वो अपने बड़े भाई के साथ किताबें लेने नई सड़क की गलियों में भटक रहे थे. तमाम किताबों में से उन्हें जासूसी की किताबें ही रास आ रही थी, और ये कोई एक दिन की बात नहीं थी ऐसा हर बार होता था जब भी वो नई सड़क जाया करते.
सुधांशु याद करते हैं, 'मैं वहां से मोगली की किताबें खरीदा करता था और अपने दोस्तों को पढ़ कर सुनाया करता था, और दोस्तों को भी कहानियां सुनने में खूब रोमांच आता था. वो मेरी कही कहानियां इतना पंसद करते थे कि कहानियां सुनाने की डिमांड करने लगे.' बस यहीं से सुधांशु का जासूसी कहानियां कहने का सफर शुरू हुआ.
सीरीज की शूटिंग करना एक दिलचस्प सफर
डिटेक्टिव बुमराह एंड द मिसिंग मैन की शूटिंग बनारस और गोरखपुर में की गई है. इसमें हॉलीवुड की मूवी जैसा फील देने की कोशिश की गई है. बुलंदशहर के पास लगभग 100-150 साल पुराना एक किला है, जिसमें यह मिस्ट्री-थ्रिलर फ़िल्म शूट हुई है. सुधांशु ने बताया कि फिल्म में ऐसे ऐसे सीन हैं जिसके साथ इंसाफ करना काफी मुश्किल भरा काम रहा, और यही सबसे बड़ा चैलेंज था. और ये चैलेंज सीरीज के रिलीज होने के बाद सबको दिखाई देने वाला है.
जनवरी के तीसरे हफ्ते में रिलीज होगी डिटेक्टिव बुमराह
वेब सीरीज का पहला एपिसोड जनवरी के तीसरे हफ्ते में यूट्यूब पर रिलीज होगा. डिटेक्टिव बुमराह का ट्रेलर मंगलवार को लॉन्च हो रहा है.