मशहूर गजल गायक और पद्मश्री से सम्मानित पंकज उधास ने 73 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह दिया. सिंगर बीमारी के चलते पिछले 10 दिनों से अस्पताल में भर्ती थे. उन्होंने एक से बढ़कर एक बेहतरीन गजलें गाईं. उनकी 'चिट्ठी आई है, आई है..', 'चांदी जैसा रंग है तेरा..', 'ना कजरे की धार, ना मोतियों की हार...' जैसी सुपरहिट गजलों ने दर्शकों का दिल जीत लिया. चलिए आपको गुजरात के राजकोट से उठकर गजल की दुनिया में मशहूर होने वाले पंकज उधास की कहानी बताते हैं.
पंकज उधास का बचपन-
गुजरात में राजकोट के जेतपुर में 17 मई 1951 को पंकज उधास का जन्म एक जमींदार परिवार में हुआ था. उनके पिता केशुभाई उधास एक सरकारी कर्मचारी थे. उनका मां का नाम जीतूबेन उधास था. उनकी शुरुआती पढ़ाई-लिखाई भावनगर में हुई. हालांकि उसके बाद उनका परिवार मुंबई चला गया. पंकज उधास ने सेंट जेवियर्स कॉलेज से पढ़ाई की. पंकज उधास ने राजकोट की संगीत नाट्य अकादमी में तबला बजाने की ट्रेनिंग ली थी. उन्होंने ग्वालियर घराने के गायक नवरंग नागपुरकर से भी ट्रेनिंग ली थी.
संगीत की दुनिया में पहली कमाई-
पंकज उधास को पहली बड़े स्टेज पर गाने का मौका भारत-चीन युद्ध के दौरान मिला था. उस दौरान उन्होंने स्टेज पर 'ऐ मेरे वतन के लोगों..' गाया था. उनकी आवाज ने समां बांध दिया था. इस गाने के लिए एक दर्शक ने उनको 51 रुपए का इनाम दिया था. संगीत की दुनिया में पंकज उधास की ये पहली कमाई थी.
फिल्म 'कामना' से बॉलीवुड में पहला ब्रेक-
पंकज को बॉलीवुड में पहला ब्रेक साल 1972 में फिल्म 'कामना' से मिला. पंकज उधास ने साल 1980 में पहला एल्बम 'आहट' लॉन्च किया. इस एल्बम के रिलीज होते ही बॉलीवुड से उनको ऑफर मिलने लगा. उन्होंने साल 1981 में 'तरन्नुम' और साल 1982 में 'महफिल' लॉन्च किया. उन्होंने अपनी गायकी से खूब नाम कमाया. लेकिन उनको एक बात का हमेशा अफसोस रहा कि उन्हें शराबियों का सिंगर का टैग मिल गयाा था.
पंकज की गजलों से मिला था इन एक्टर्स को ब्रेक-
द इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक शाहरुख खान को अपनी पहली सैलरी पंकज उधास के ही कन्सर्ट में मिली थी. उसमें काम करने के लिए शाहरुख को 50 रुपए मिले थे. एक्टर जॉन अब्राहम को पहला ब्रेक भी पंकज ने ही अपनी गजल में दिया था. पंकज उधास की गजल से ही एक्ट्रेस समीरा रेड्डी को भी पहला ब्रेक मिला था.
पंकज उधास की लव स्टोरी-
पंकज उधास की लव स्टोरी किसी फिल्म की कहानी से कम नहीं थी. पंकज ने अपने पड़ोसी के घर में फरीदा को देखा था और दिल हार गए थे. उस समय फरीदा एयर होस्टेस थीं और पंकज उधास ग्रेजुएशन की पढ़ाई कर रहे थे. इसके बाद दोनों की मुलाकातें होने लगीं. बात शादी तक पहुंच गई. लेकिन इस बीच लड़की का परिवार विलेन बन गया. पंकज उधास की फैमिली शादी के लिए राजी थी. लेकिन फरीदा की फैमिली को ये मंजूर नहीं था कि उनकी बेटी पारसी कम्युनिटी के बाहर जाकर शादी करे. इसके बाद फरीदा और पंकज ने तय किया कि जब तक दोनों फैमिली राजी नहीं हो जाती, तब तक शादी नहीं करेंगे. आखिरकार साल 1982 में दोनों परिवार शादी के लिए राजी हो गए और पंकज उधास ने फरीदा से शादी कर ली.
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