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Bhanu Athaiya Birth Anniversary: पहली भारतीय जिन्होंने जीता था ऑस्कर, 100 से ज्यादा फिल्मों के लिए डिजाइन किए थे कॉस्ट्यूम

Bhanu Athaiya Birth Anniversary: गांधी के लिए ऑस्कर जीतने के अठारह साल बाद, भानु अथैया एक और फिल्म का हिस्सा थीं, जो सर्वश्रेष्ठ विदेशी फिल्म श्रेणी में शॉर्टलिस्ट होने वाली भारत की एकमात्र तीसरी फिल्म बनी - लगान (2001).

Bhanu Athaiya Bhanu Athaiya
हाइलाइट्स
  • एडिटर ने पहचाना कपड़े डिजाइन करने का हुनर 

  • कॉस्ट्यूम डिजाइनिंग को बनाया खास फील्ड 

हर साल दुनिया की नजरें ऑस्कर अवॉर्ड्स पर रहती हैं. खासकर कि सिनेमा को सेलिब्रेट करने वाले देश जैसे कि भारत में हर कोई जानना चाहता है कि किस केटेगरी में किसने ऑस्कर जीता. ऑस्कर जीतने के मामले में भारत ने कोई रिकॉर्ड नहीं बनाया है लेकिन जब-जह भारत ने ऑस्कर जीता है तो मान लीजिए की इतिहास रचा है. और सबसे पहले भारत को ऑस्कर का सम्मान दिया था एक महिला ने. 

जी हां, रिचर्ड एटनबरो की "गांधी" (1982) के लिए ऑस्कर जीतने वाली पहली भारतीय थीं कॉस्ट्यूम डिजाइनर भानु अथैया. ज्यादातर लोग भानु को गांधी फिल्म के कॉस्ट्यूम के लिए जानते हैं और यह खास भी है क्योंकि गांधी फिल्म में उन्होंने न सिर्फ गांधीजी बल्कि दूसरे अहम किरदारों के भी कॉस्ट्यूम ऐसे डिजाइन किए कि फिल्म के किरदार हकीकत के करीब लगे. 

पिता से विरासत में मिली कला 
आपको बता दें कि भानु का जन्म 1929 में पश्चिमी भारत के कोल्हापुर में हुआ था. वह हमेशा से ही क्रिएटिव रहीं. उनके पिता, अन्नासाहेब, एक  कलाकार और फोटोग्राफर थे, जिन्होंने भारतीय फिल्म निर्माता बाबूराव पेंटर की फिल्मों पर काम किया था. भानु को भी कला के प्रति दिलचस्पी पिता से ही मिली और यह कोई आश्चर्य की बात नहीं थी, जब उन्होंने मुंबई के जेजे स्कूल ऑफ आर्ट में दाखिला लिया. 

कुछ ही समय बाद, वह बॉम्बे प्रोग्रेसिव आर्टिस्ट्स ग्रुप की सदस्य बन गईं और उनके साथ प्रदर्शन किया. तब वह उनकी एकमात्र महिला सदस्य थीं. फिर, आर्ट्स स्कूल में रहते हुए ही भानु ने "ईव्स वीकली" और "फैशन एंड ब्यूटी" जैसी महिलाओं की पत्रिकाओं के लिए एक स्वतंत्र फैशन इलस्ट्रेटर के रूप में काम करना शुरू किया. 

एडिटर ने पहचाना कपड़े डिजाइन करने का हुनर 
भानु ने शुरुआत में कभी नहीं सोचा था कि वह कपड़े डिजाइन करेंगी. लेकिन जब "ईव्स वीकली" के संपादक ने बुटीक खोला और भानु को कपड़े डिजाइन करने का सुझाव दिया तो उन्होंने कपड़े डिजाइन करने की अपनी प्रतिभा को पहचाना. धीरे-धीरे उन्होंने इस क्षेत्र में काम करना शुरू किया. 

उनकी प्रतिभा ऐसी थी कि फिल्मी दुनिया तक उनके चर्चे पहुंचे और फिल्मी सितारों ने भानु से संपर्क करना शुरू कर दिया और उन्होंने फिल्मों के लिए कॉस्ट्यूम डिजाइन करना शुरू किया. उन्होंने जिस पहली फिल्म में काम किया, वह गुरु दत्त की क्राइम थ्रिलर, C.I.D थी. इसके बाद, उन्होंने प्यासा (1957), चौदहवीं का चांद (1960) और साहिब बीबी और गुलाम (1962) सहित दत्त की कई फिल्मों में काम किया. 

कॉस्ट्यूम डिजाइनिंग को बनाया खास फील्ड 
कहते हैं कि भानु को बॉलीवुड में आने के बाद बहुत कुछ बदला. उनसे पहले तक किरदारों को बस कपड़े पास कर दिए जाते थे. लेकिन भानु ने इस तरीके को बदला. उन्होंने फिल्म की कहानी, किरदारों के हिसाब से कपड़ों पर काम किया. यह उनके आने के बाद से हुआ कि किरदारों के कॉस्टूयम भी एक कहानी कहने लगे. उन्होंने खुद को बॉलीवुड में अग्रणी कॉस्ट्यूम डिजाइनर के रूप में स्थापित किया. 

बताया जाता है कि भानु का काम हमेशा के लिए होता था. वह ट्रेंडी फैशन पर नहीं जाती थीं बल्कि ऐसा कुछ बनाती थी जो हर समय के हिसाब से ठीक हो. दशकों तक, उन्होंने भारत के कई प्रमुख निर्देशकों के साथ काम किया, जिनमें यश चोपड़ा, बी.आर. चोपड़ा, राज कपूर, विजय आनंद, राज खोसला और आशुतोष गोवारिकर शामिल हैं. अपने काम के लिए, भानु को 1991 और 2002 में भारत के दो प्रतिष्ठित राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों सहित कई पुरस्कार मिले.